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विशेष जरूरतों वाले बच्चों के लिए विशिष्ट उद्देश्य पत्र

Jitendra Solanki

Also available in: English
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Key Takeaways:

हम इस लेख के मुख्य बिंदु तैयार कर रहे हैं। वे जल्द ही उपलब्ध होंगे।

हमारे बाद इनका क्या होगा?

हमारे बाद इन बच्चों की देखभाल कौन करेगा?

क्या मेरे बच्चे के अभिभावक, देखभाल करने वालों या ट्रस्टियों को उनकी विशेष जरूरतों के बारे में पूरी जानकारी है ?

विशेष जरूरतों वाले बच्चों के माता-पिता को ऐसे ही अनेक प्रश्नों का सामना करना पड़ सकता है और अपने बच्चों के भविष्य को सुरक्शित और सुनिश्चित करने के लिए उन्हें इन प्रश्नों के उत्तर ढूँढने के लिए विभिन्न प्रकार के प्रयास भी करने पड़ सकते हैं। इस संबंध में इन अभिभावकों द्वारा विशिष्ट उद्देश्य पत्र (Letter of Intent) के प्रारूप को तैयार करना, विशेष और पहला कदम सिद्ध हो सकता है। यह विशिष्ट उद्देश्य पत्र मूल रूप से कोई कानूनी दस्तावेज़ नहीं है, लेकिन ये भावी संरक्षकों/देखभाल करने वालो/ट्रस्टियों के लिए एक अच्छी गाइड और आपकी इच्छाओं का ज्ञापन पत्र के रूप में उपयोगी दस्तावेज सिद्ध हो सकता है ।

विशिष्ट उद्देश्य पत्र (Letter of Intent) क्या होता है?

विशिष्ट उद्देश्य पत्र (Letter of Intent), हालांकि कोई कानूनी दस्तावेज़ नहीं होता है, लेकिन इसमें आपके बच्चे की जिंदगी और उससे जुड़े विभिन्न पहलुओं के बारे में स्पष्ट लिखा जाता है। इस एक दस्तावेज़ के माध्यम से बच्चे के भावी संरक्षक/संरक्षकों को उससे जुड़ी हर प्रकार की महत्वपूर्ण जानकारी सरलता से प्राप्त हो जाती  है।

विशिष्ट उद्देश्य पत्र (Letter of Intent) कैसे तैयार करें?

सामान्य रूप से , इस उद्देश्य पत्र को तैयार करते समय आप अपनी ज़रूरत और इच्छा के अनुसार इसमें जानकारी दे सकते हैं। फिर भी, एक सामान्य विशिष्ट उद्देश्य पत्र (Letter of Intent) को निम्न अनुभागों में बांटते हुए तैयार किया जा सकता है:

  1. पारिवारिक इतिहास: इसमें आपके बच्चे के बचपन से जुड़ी सभी ऐसी बातें जिसमें उसके जन्म स्थान, स्कूल और निवास स्थान जानकारी दी जा सकती है। इसके साथ भविष्य में बच्चा कहाँ रहना चाहेगा (यदि ऐसा कोई प्रावधान है) के बारे में भी बताया जा सकता है। बच्चे के दादा/नाना-दादी/नानी, भाई-बहन और दूसरे सगे-संबंधी व रिश्तेदारों का वर्णन भी यहाँ विस्तार से दिया जा सकता है। इस भाग में बच्चे के माता-पिता का जन्म से लेकर अब तक का इतिहास और बच्चे को लेकर उनके निर्धारित लक्ष्य व उद्देश्य भी इस भाग में स्पष्ट रूप से बताए जा सकते हैं।
  2. जीवनयापन: बच्चे के जीवन जीने के तरीके के बारे में संक्षेप में बताएं। उसके प्रतिदिन किए जाने वाले काम जैसे उसके उठने का समय, वह क्या करता/करती है और उसका रोज़ का क्या दिनचर्या  है आदि महत्वपूर्ण जानकारी देनी चाहिए। रोज़ की आदत, पसंद, नापसंद को भी इसमें शामिल किया जा सकता है।
  3. शिक्षा और जीविका : बच्चे की वर्तमान शिक्षा, विशेष क्लास, विशेष स्कूल, मनोरंजक/ अतिरिक्त पाठयक्रम गतिविधियों, व्यावसायिक ट्रेनिंग और रुचियों के विस्तृत रूप से वर्णन किया जा सकता है I इसके साथ, बच्चे से जुड़े हुए अध्यापक/प्रशिक्षक और सहायकों का भी विवरण दे सकते हैं । बच्चे के भावी स्कूल व शिक्षा के बारे में माता-पिता ने क्या लक्ष्य निर्धारित किया है, इसका वर्णन भी इस भाग में विस्तार से देना चाहिए।
  4. स्वास्थ्य सुरक्षा: बच्चे की जन्म से लेकर वर्तमान स्वास्थ्य स्थिति का विस्तृत व सम्पूर्ण ब्यौरा। इसके साथ ही भविष्य में काम आने के लिए बच्चे के विशिष्ट चिकित्सकों के नाम, थेरेपिस्ट, क्लीनिक और अस्पताल आदि का भी सम्पूर्ण ब्यौरा इस भाग में दिया जाएगा। बच्चे के द्वारा समय-समय पर ली जाने वाली विशेष थेरेपी का सम्पूर्ण विवरण, दवाइयों को लेने का उद्देश्य और वजह की जानकारी बच्चे के भावी संरक्षकों के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध हो सकती है।
  5. बच्चे का व्यवहार:  बच्चे के भावी संरक्षको के लिए उसके व्यवहार के बारे में भी विस्तृत जानकारी बहुत सहायक सिद्ध हो सकती है। इसके लिए बच्चे की परिवार और मित्रो संबंधी पसंद, नापसंद और प्राथमिकताओं को स्पष्ट  रूप से बताया जाना चाहिए। इन सब बातों की जानकारी के मिलने से भावी संरक्षकों को इस बारे में पता चल सकेगा कि समय के साथ बच्चे के व्यवहार में क्या और किस प्रकार का परिवर्तन देखा जा सकता है। इस अनुभाग में बच्चे के व्यवहार को संतुलित करने के लिए अपनाई गई तकनीकों का वर्णन भी लाभकारी सिद्ध हो सकता है।
  6. धार्मिक वातावरण – बच्चे के द्वारा अपने मस्तिष्क को शांत व प्रसन्न रखने के लिए अपनाया जाने वाला विशिष्ट धार्मिक/आध्यात्मिक माहौल और रुचियों का विवरण
  7. सामाजिक वातावरण – बच्चा किस प्रकार के सामाजिक स्थलों पर जाना पसंद करता है, जैसे क्या आपका बच्चा प्राकृतिक वातावरण में अपना समय बिता कर प्रसन्न महसूस करता है और किस प्रकार के दृश्यों को देखकर वह अत्यधिक प्रसन्न होता है, आदि विवरण यहाँ दिया जा सकता है।
  8. निवास स्थान की जरूरतें: भविष्य में बच्चे को किस प्रकार के निवास स्थान की ज़रूरत हो सकती है उसका स्पष्ट वर्णन करें। इसमें उन जगहों या स्थानों का विशेष रूप से वर्णन करें जहां बच्चा रोज़ जाने या रहने में असहज महसूस कर सकता है।
  9. अंतिम प्रावधान: अंतिम समय में अपने बच्चे के लिए किस तरह की व्यवस्था आप चाहती/चाहते हैं, इसका स्पष्ट विवरण यहाँ देना ठीक होगा । इसके अतिरिक्त अंतिम यात्रा, धार्मिक सेवायें या फिर दफनाने संबंधी जो भी आपके विचार या लक्ष्य हों, उनको स्पष्ट रूप से यहाँ कहें।
  10. धन-संपत्ति संबंधी जानकारी: बच्चे के लिए यदि किसी प्रकार की वित्तीय योजना को बनाया गया है तो उसको स्पष्ट रूप से यहाँ बताएं। बच्चे की सुविधा और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यहाँ उन सभी सम्पत्तियों का विस्तृत वर्णन करें जो बच्चा पैतृक रूप से प्राप्त करेगा और इस प्रकार से प्राप्त की गई संपत्ति का किस प्रकार से उपयोग किया जाएगा, इसका भी विस्तृत ब्यौरा आप दे सकते हैं। 

इस दस्तावेज़ को आप तिथि के साथ अपने हस्ताक्षर के साथ तैयार करें। समय-समय पर इसमें ज़रूरी सुधार करते हुए इस दस्तावेज़ को अद्यतन करते रहें।

अस्वीकरण : कृपया ध्यान दें, यह निर्देशिका केवल जानकरी देने हेतु तैयार की गई है। अपनी आवश्यकतानुसार धन या कानूनी सलाह के लिए कृपया किसी वित्तीय सलाहकार या कानूनी परामर्शदाता से ही संपर्क करें।

भविष्य की चिंता और डर से स्वयं को मुक्त रखने के लिए और अपने बच्चों को वित्तीय रूप से स्वतंत्र बनाने के उद्देश्य से किसी को भी अपने जीवन में बहुत सोच समझ कर व सावधानी से वित्तीय नियोजन जैसे काम का करना बहुत ज़रूरी है। अपनी वित्तीय योजना को सफलतापूर्वक बनाने के लिए आप इस तीन बिन्दु एजेंडा का सहारा ले सकते हैं।

यदि आप इस विषय और संबंधित क्षेत्रों पर अधिक जानकारी और मार्गदर्शन चाहते हैं, तो नई दिशा का नो योर राइट्स (KYR) कार्यक्रम हर कदम पर आपकी सहायता करने के लिए मौजूद है। इसमें शामिल होने से, आपको सरकारी योजनाओं, लाभों, वित्तीय सहायता, कानूनी अधिकारों और बहुत कुछ पर मूल्यवान संसाधनों तक पहुँच प्राप्त होगी, जिसका उद्देश्य आपके बच्चे के लिए एक उज्जवल भविष्य सुनिश्चित करना है। अधिक जानने के लिए, इस लिंक पर क्लिक करके हमारे चैटबॉट पर जाएँ: https://bit.ly/4dJVCP3, या बस हमारे हेल्पलाइन नंबर 844-844-8996 पर ‘KYR’ टाइप करें।

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