ऑडियो श्रृंखला – डाउन सिंड्रोम जानकारी और जागरूकता
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यह ऑडियो श्रृंखला डाउन सिंड्रोम बच्चों के माता-पिता और देखभालकर्ताो के लिए। इसका मक़सद हैं आपके मन में कुछ अक्सर आने वाले सवालों का जवाब देना। इन सवाल-जवाबों को इकट्ठा करने के लिए हम Down Syndrome Federation of India, Chennai के आभारी हैं। Q1 डाउन सिंड्रोम क्या है? A1 जब किसी व्यक्ति के सेल में दो क्रोमोसोम 21 के बजाय तीन क्रोमोसोम 21 पाए जाते हैं, तब यह स्थिति डाउन सिंड्रोम का कारण बनती है। यह सबसे सामान्य तौर पर पाई जाने वाली क्रोमोसोमल असामान्यता है। यह अतिरिक्त क्रोमोसोम व्यक्ति के शारीरिक एवं मानसिक विकास को प्रभावित करता है। डाउन सिंड्रोम से प्रभावित व्यक्ति में कुछ हद तक बौद्धिक अक्षमता देखी गई है, जो आमतौर पर हल्के से मध्यम श्श्रेणी में हो सकती है। डाउन सिंड्रोम से जुड़ी कई विशेषताएँ हैं, जैसे की दुर्बल मांसपेशियाँ, बढ़ी हुई जीभ, सपाट चेहरा और संबंधित चिकित्सा स्थितियों का खतरा।हालाँकि प्रत्येक डाउन सिंड्रोम वाला व्यक्ति अपने आप में अलग है और उपरोक्त विशेषताएँ, विभिन्न स्तरों पर या फिर बिलकुल भी नहीं हो सकती हैं। एवं, यह सारे लक्षण अक्सर सामान्य व्यक्तियों में भी पाए जाते हैं। Q2 किसी भी शिशु को डाउन सिंड्रोम होने की संभावना क्या है? A2 डाउन सिंड्रोम सबसे सामान्य तौर पर पाई जाने वाली जेनेटिक स्थिति है। जन्म लेने वाले हर 800-1000 जीवों में एक बच्चा डाउन सिंड्रोम के साथ जन्म लेता है, इस तरह अकेले अमेरिका में ही लगभग 5 हज़ार बच्चे प्रतिवर्ष डाउन सिंड्रोम के साथ जन्म लेते हैं। आज अमेरिका में 3,50,000 से भी ज्यादा लोग डाउन सिंड्रोम से प्रभावित हैं। डाउन सिंड्रोम से प्रभावित 80 प्रतिशत बच्चों के मां की उम्र 35 वर्ष से कम हैं। हालाँकि स्त्री की उम्र बढ़ने के साथ साथ ही बच्चे को डाउन सिंड्रोम होने की संभावना भी बढ़ती जाती है। डाउन सिंड्रोम की संभावना 800 -1,100 जीवो में 1 तक हो सकती है। हाल ही में की गई गणना अनुसार यह संभावना 1000 जीवों में से १ के होने को दर्शाती है। डाउन सिंड्रोम का संबंध किसी भी संस्कृति, जातीय समूह, सामाजिक-आर्थिक स्तर, या भौगौलिक क्षेत्र से नहीं है। Q3 डाउन सिंड्रोम की वजह क्या है? A3 अतिरिक्त क्रोमोसोम 21 की मौजूदगी का कारण तो हम नहीं जानते, पर हम यह जरूर जानते हैं कि इस क्रोमोसोम 21 की वजह से शरीर में कुछ विशिष्ट प्रोटीनों की मात्रा बढ़ जाती हैं, और फिर इन्हीं प्रोटीन की वजह से शरीर में डाउन सिंड्रोम के लक्षण विकसित होते हैं। इस प्रक्रिया में सम्मलित होने वाले बहुत से प्रोटीनों की जानकारी हमें नहीं है, और हम यह भी नहीं जानते कि यह प्रोटीन किस तरह से डाउन सिंड्रोम का कारण बनते हैं। पर हमें यह जरूर पता है कि माँ की उम्र और बच्चे को डाउन सिंड्रोम होने की संभावना का आपसी संबंध है। अभी तक किसी भी एकमेव कारण का ना तो पहचान और ना ही निश्चय हुआ हैं। हालाँकि यह कहा जाता है कि ९५ प्रतिशत मामलों में सेल के गलत तरीके से बटने का कारण होता हैं, जिसे ‘नॉन-दीस्जंक्शन’ कहा जाता है। कुछ केसेस में यह ‘मोसैकिसम’ और ‘ट्रांसलोकेशन’ नाम के दो अन्य क्रोमोसोमल असामान्यताओं के कारण होता है। अतिरिक्त जेनेटिक सामग्री विकास के क्रम को बदल देती है और डाउन सिंड्रोम से जुड़े विशिष्ट लक्षणों के विकसित होने का कारण बनती है। Q4 डाउन सिंड्रोम का निदान कैसे किया जाता है? A4 बच्चे के जन्म के तुरंत बाद उसे देखकर ही डाउन सिंड्रोम का अनुमान लगाया जाता है। डाउन सिंड्रोम से जुड़े ऐसे कई शारीरिक लक्षण हैं जिससे माता-पिता या डॉक्टर बच्चे को डाउन सिंड्रोम होने का अंदाजा लगाते हैं। इनमें से बहुत सारे लक्षण सामान्य व्यक्तियों में भी पाए जाते हैं और इसी लिए डाउन सिंड्रोम के अनुमान को सुनिश्चित करने के लिए एक क्रोमोसोम टेस्ट किया जाता है। इस टेस्ट में बच्चे का खून लेकर उसमे मौजूद क्रोमोसोम का विश्लेषण किया जाता है। इस टेस्ट के परिणाम को कार्योटाईप कहा जाता है। Q5 कार्योटाईप क्या है? A5 कार्योटाईप किसी भी व्यक्ति के क्रोमोसोम का वर्णन है। इस वर्णन के लिए पहले एक नमूना लिया जाता है, फिर उसमें से क्रोमोसोम को अलग कर उन्हें रेखांकित किया जाता है व उनकी तस्वीर खींची जाती है। सेल के बँटवारे के समय क्रोमोसोम अधिक स्पष्ट दिखने पर यह तस्वीर उस समय खींची जाती है। जेनेटिक वैज्ञानिक तस्वीर में से क्रोमोसोम को काटते है व उन्हें अपने अनुरूप जोड़े से मिला कर एक पंक्ति में व्यवस्थित क्रम से लगाते है, जिससे क्रोमोसोम स्पष्ट रुप से दिखाई देते हैं। क्रोमोसोम किस प्रकार से अधोरेखित किया जाता है उस पर उसका विस्तृतता से दिखाई देना निर्भर करता हैं। परीक्षण के लिए कैरियोटाइप किसी भी व्यस्क,बच्चे या भ्रूण की कोशिका से तैयार की जा सकती है। Q6 क्या डाउन सिंड्रोम के विभिन्न प्रकार होते हैं? A6 डाउन सिंड्रोम हर बच्चे को भिन्न भिन्न तरीक़े से प्रभावित करता है, ठीक उसी तरह जिस तरह हर सामान्य बच्चें का विकास भी अलग अलग तरह से होता हैं। अलग-अलग क्षेत्र में हर बच्चे की अपनी अपनी शक्ति या कमज़ोरी होती है। Q7 क्या डाउन सिंड्रोम का प्रारंभिक निदान कभी गलत भी हो सकता है? A7 प्रारंभिक अनुमान के बाद दूसरी जांच में क्रोमोसोम का सामान्य दिखाई देने की संभावना बहुत कम हैं। Q8 डाउन सिंड्रोम के प्रकार कौन-कौन से हैं? A8 डाउन सिंड्रोम से प्रभावित लोगों में से लगभग 95 प्रतिशत लोगो में ट्राइसोमय 21 पाई जाती हैं जिसमें क्रोमोसोम 21 की संख्या 2 के बजाय 3 होती हैं। आम तौर पर हम सब में क्रोमोसोम के 23 जोड़े होते हैं जो हमारी जीन्स से बनते हैं। अंडे के(या शुक्राणु) निर्माण के समय महिला(या पुरुष) के क्रोमोसोम के जोड़े दो भागों में विभाजित हो जाते हैं ताकि प्रत्येक अंडे(या शुक्राणु) में एक क्रोमोसोम जाता है। ट्राईसोमी 21, या नॉन-डिस्जंक्शन, में क्रोमोसोम संख्या 21 दो भागों में विभाजित नहीं होता है और जोड़े में ही अंडे(या शुक्राणु) में चला जाता है। यह अनुमान है कि 95-97 प्रतिशत अतिरिक्त क्रोमोसोम अंडे से आते हैं। डाउन सिंड्रोम के दूसरे प्रकार को ट्रांसलोकेशन कहा जाता हैं। डाउन सिंड्रोम से प्रभावित लगभग 3 से 4 प्रतिशत लोगों में यह पाया जाता है। इसमे २१वे क्रोमोसोम का एक अतिरिक्त भाग किसी दूसरे क्रोमोसोम से जुड़ जाता है। डाउन सिंड्रोम के तीसरे प्रकार को मोसैकिसम कहते हैं। मोसैकिसम से प्रभावित लोगों में अतिरिक्त २१ वा क्रोमोसोम केवल कुछ सेलओं में ही मौजूद होता है। अन्य सेलओं में २१ वे सेल की मात्रा सामान्य होती है। यह प्रकार 1 से 2 प्रतिशत डाउन सिंड्रोम लोगों में पाया जाता है। Q9 क्या डाउन सिंड्रोम का कोई इलाज है? A9 डाउन सिंड्रोम का कोई इलाज नहीं है। हालांकि, शोधकर्ता इससे जुड़ी समस्याओं को कम करने व उनका इलाज करने के कई तरीकों की खोज कर रहे हैं। शोधकर्ता, चूहों पर डाउन सिंड्रोम से संबंधित बौद्धिक और विकासात्मक अक्षमता की रोकथाम के सुझावों का अनुसंधान कर रहे हैं। एक अध्ययन में यह देखा गया है कि डाउन सिंड्रोम से प्रभावित चूहों पर गर्भ में ही कुछ ख़ास रसायन का प्रयोग किये जाने पर विकास के कई सारे पड़ाव हासिल करने में उन्हें कोई देरी नहीं हुई। एक अन्य अध्ययन में यह भी देखा गया है कि डाउन सिंड्रोम से प्रभावित चूहों पर कुछ ख़ास रसायनों का प्रयोग किए जाने पर उनमें सीखने की अक्षमता काफ़ी हद तक कम हुईं। Q10 क्या डाउन सिंड्रोम आनुवंशिक है? A10 ज्यादातर मामलों में डाउन सिंड्रोम आनुवंशिक नहीं होता है। अंडा, स्पर्म, अथवा भ्रूण के सेल विभाजन दौरान क्रोमोसोम २१ का असामान्य रूप से विभाजन डाउन सिंड्रोम का कारण बनता है। केवल ट्रांसलोकेशन डाउन सिंड्रोम ही आनुवंशिक है। डाउन सिंड्रोम से प्रभावित लोगों में से लगभग 4 प्रतिशत बच्चों में ही ट्रांसलोकेशन पाया जाता है व इनमें सिर्फ लगभग आधे केसेस अनुवांशिक होते हैं। जब ट्रान्सलोकेशन आनुवंशिक होता है तब माता या पिता में कुछ जेनेटिक सामग्री की रचना अलग तरीके से बनी हुई है, परन्तु उनमें किसी भी प्रकार की अतिरिक्त जेनेटिक सामग्री नहीं है। उनमें डाउन सिंड्रोम के कोई भी लक्षण नहीं होते हैं परंतु वह अपने बच्चों में ट्रान्सलोकेशन वंशानुगत कर सकते है। Q11 किसी भी बच्चे को डाउन सिंड्रोम हने की संभावना क्या है? A11 सामान्य परिस्थितियों में डाउन सिंड्रोम होने की संभावना मां की उम्र पर निर्भर करती है। मां की उम्र 35 साल होने पर हर 350 में से 1, 25 वर्ष से कम होने पर हर 1400 में से 1 व 40 होने पर हर 100 में से एक बच्चे को डाउन सिंड्रोम होने की संभावना होती है। ट्रॉयसोमी 21 से प्रभावित बच्चे के माता-पिता की दूसरी संतान में भी डाउन सिंड्रोम होने की संभावना लगभग 100 मैं 1 होती है I यदि बच्चे को ट्रांसलोकेशन है, तब दोबारा होने की संभावना अधिकतम 100% या न्यूनतम 2% हो सकती है। डाउन सिंड्रोम के वाहक स्थिति का पता लगाने के माता-पिता को गुणसूत्र विश्लेषण (क्रोमोसोम एनालिसिस) कराना चाहिए। Q12 डाउन सिंड्रोम से प्रभावित बच्चे के माता-पिता की दूसरी संतान को भी डाउन सिंड्रोम होने की संभावना क्या होती है? A12 सामान्य तौर पर, 40 से कम उम्र की महिलाओं में दूसरे बच्चे को डाउन सिंड्रोम होने की संभावना 1 प्रतिशत होती है। मां की उम्र बढ़ने के साथ डाउन सिंड्रोम की संभावना भी बढ़ती हुई देखी गई है। यहाँ यह जानना भी महत्वपूर्ण है कि डाउन सिंड्रोम वाले लगभग 80 प्रतिशत बच्चों के मां की उम्र 35 से कम होती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि 35 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं के बच्चों की संख्या 35 वर्ष से ज्यादा उम्र की महिलाओं के बच्चों की तुलना में अधिक है। आपके डाॅक्टर शायद आपको जेनेटिक काउंसलर से सलाह मशविरा करने के लिए कह सकते है जो आपके क्रोमोसोमल टेस्ट के परिणामों को विस्तार से समझाने के साथ साथ ही यह भी बता सकता है कि दोबारा गर्भधारणा करने पर डाउन सिंड्रोम का खतरा कितना हैi इसके अलावा बच्चे के जन्म से पहले ही क्रोमोसोमल समस्याओं को जाँचने के तरीक़ों के बारे में बता सकता है। Q13 प्रीनेटल यानि गर्भावस्था के दौरान डाउन सिंड्रोम जांच की जरूरत कब होती हैं? A13 कुछ समय पहले तक सभी गर्भवती महिलाओं, जो 35 वर्ष की उम्र पार कर चुकी है या फिर जिनकी पहली संतान डाउन सिंड्रोम के साथ जन्मी हो, उन महिलाओं को एमनियोसेंटेसिस की सलाह दी जाती थी ।परंतु अब कुछ डॉक्टर सभी गर्भवती महिलाओं को स्क्रीनिंग टेस्ट की सलाह देते हैं। Q14 जन्म से पहले शिशु की जाँच के लिए कौन से टेस्ट किये जाते हैं? A14 जन्म से पहले शिशु की जाँच के लिए किये जाने वाले टेस्ट्स दो तरह के होते हैं - डायग्नोस्टिक एवं स्क्रीनिंग। डायग्नोस्टिक टेस्ट में भ्रूण की सेलओं की जाँच कर के एक निश्चित निदान किया जाता हैं। स्क्रीनिंग टेस्ट डायग्नोस्टिक टेस्ट की तुलना में काफी आसान होती है जिसमें डाउन सिंड्रोम से जुड़े बहुत से लक्षणों की पहचान की जा सकती है परंतु यह टेस्ट कभी कभी उन लक्षणों को भी ढुंढ लेती है जिनका डाउन सिंड्रोम से कोई संबंध नहीं होता है। डायग्नोस्टिक जाँच द्वारा ही स्क्रीनिंग जाँच की पुष्टि की जानी चाहिए। डायग्नोस्टिक टेस्ट में एमनियोसेंटेसिस और कोरियोनिक विल्स सैम्पलिंग (CVS) जांच शामिल होती हैं। एमनियोसेंटेसिस में मां की नाभि से एक सूई उसके गर्भाशय में डाली जाती है जिसके द्वारा एमनियोटिक फ्लुएड से भ्रूण की सेल का नमूना लिया जाता है। फिर इन सेलओं को क्रोमोसोमल विश्लेषण के लिए भेजा जाता है। सुई को सुरक्षित गर्भ में पहुँचाने के लिए अल्ट्रासाउंड का उपयोग किया जाता है। आम तौर पर यह जाँच गर्भावस्था के 14 से 18वें सप्ताह में की जाती है। हालाँकि यह काफ़ी सुरक्षित है फिर भी इसमें गर्भपात की थोड़ी सी संभावना होती है। कोरियोनिक विल्स सैम्पलिंग (CVS) में सेलओं का नमूना कोरियोनिक विलाई से लिया जाता है। कोरियोनिक विलाई भ्रूण से नहीं लिया जाता है I यह माता के गर्भ में मौजूद एक संरचना होती है जिससे भ्रूण की सेल प्राप्त की जाती है। यह जांच गर्भावस्था के 9-12 वें सप्ताह में की जाती है। इसमें भी कुछ हद तक गर्भपात की संभावना होती है। स्क्रीनिंग टेस्ट में माता के अल्फाफिटोप्रोटीन की जाँच तथा हाल ही में ट्रिपल टेस्ट को भी शामिल किया गया है। अल्ट्रासाउंड का उपयोग आमतौर पर स्क्रीनिंग टेस्ट के रूप में नहीं किया जाता है। यह एमनियोसेंटेसिस और कोरियोनिक विलस सैंपलिंग के संयोजन में किया जाता है। शुरु में मां के अल्फाफिटो प्रोटीन की जाँच, स्पाइना बाईफिडा जैसी न्यूरल ट्यूब की कमियों को ढूंढने के लिए की जाती थी। अल्फाफिटो प्रोटीन का कम स्तर व डाउन सिंड्रोम और कुछ अन्य क्रोमोसोमल डिसॉर्डर का आपस में संबंध होता है। एमनियोसेंटेसिस के द्वारा पुष्टि होने पर इस परीक्षण से लगभग 35 प्रतिशत परिस्थितियों में भ्रूण के डाउन सिन्ड्रोम से प्रभावित होने का पता लगाया जा सकता है। ट्रिपल टेस्ट से, मां के रक्त में ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन(hCG), मेटरनल सीरम अल्फाफिटो प्रोटीन (MSAFP) तथा अनकॉनज़ुगेटेड एसटिरियोल के स्तर को मापा जाता है। प्राप्त तीनों परिणाम को एक कंप्यूटर प्रोग्राम में संकलित कर, भ्रूण के डाउन सिंड्रोम से प्रभावित होने की संभावना का आकलन किया जाता है। अब तक के अध्ययन में यह देखा गया है कि एमनियोसेंटेसिस द्वारा सुनिश्चित होने पर 55-60 प्रतिशत केसेस में यह आकलन सही साबित होता हैं। (Haddow, Palomaki, Knight, Williams, Pulkkinen, Canick, et al., 1992) यदि टेस्ट पॉज़िटिव आती है तो अल्ट्रासाउंड से गर्भावस्था की नियत तारीख़ को निश्चित किया जाना चाहिए क्योंकि सभी सीरम टेस्टस् की सटीकता इस बात पर निर्भर करती है कि गर्भावस्था का कौनसा सप्ताह चल रहा हैं। यदि ट्रिपल टेस्ट का नतीजा अभी भी पॉज़िटिव आता है तब एमनियोसेंटेसिस या कोरयोनिक विलस सैम्पलिंग टेस्ट किया जाना चाहिए। यहाँ चिकित्सा संबंधी दिक्कतों के अलावा नैतिक मुद्दे भी जुड़े हुए हैं। इस तरह के टेस्ट रिजल्ट का उपयोग मुख्यत: दो उद्देश्यों के लिए किया जाता है। इन टेस्ट परिणामों की मदद से या तो दम्पत्ती खुद को प्रसव के लिए तैयार करते हैं या फिर इससे वे यह निश्चित करते हैं कि उन्हें गर्भपात कराना है या नहीं। हालाँकि जो लोग इस तरह के ब्लड टेस्ट की सलाह देते हैं वह काउंसलिंग की भी सलाह देते हैं, किसी विशिष्ट प्रकार के परामर्श को वे संबोधित नहीं करते हैं। काउंसलिंग से दंपति को सभी प्रकार की सूचनाओं से अवगत कराया जाना चाहिए। उन्हें डाउन सिंड्रोम से प्रभावित लोगों से मिलाया जाना चाहिए या फिर ऐसे परिवारों से उनका संपर्क कराया जाना चाहिए, जिनका बच्चा डाउन सिंड्रोम से प्रभावित है। Q15 क्या डाउन सिंड्रोम के निवारण के लिए या उसके उपचार के लिए कोई टिका उपलब्ध है? A15 नहीं, डाउन सिन्ड्रोम की रोकथाम के लिए या उसके उपचार के लिए कोई भी टिका उपलब्ध नहीं है। हालाँकि चिकित्सा के क्षेत्र में हुई तरक़्क़ी ने डाउन सिंड्रोम से होने वाली समस्याओं के असर को काफ़ी हद तक कम कर दिया है। और कम उम्र से ही अच्छी देखभाल, चिकित्साएं, अच्छी शिक्षा तथा परिवार एवं दोस्तों का सहयोग, यह सब बातें डाउन सिंड्रोम से प्रभावित व्यक्ति को एक सफल जीवन जीने में मदद करती हैं। डाउन सिंड्रोम की रोकथाम के लिए कोई उपाय तो नहीं है पर डाउन सिंड्रोम से प्रभावित बच्चे के अभिभावकों की दूसरी संतान भी डाउन सिंड्रोम से प्रभावित हो इसकी संभावना माता की उम्र पर निर्भर 1 प्रतिशत से भी कम होती हैं। जब मां की उम्र 35 या अधिक हो या परिवार मे पहले से किसी को अनुवांशिक समस्या हो तब बच्चे का डाउन सिंड्रोम से प्रभावित होने की संभावना बढ़ जाती हैं। तब शायद माता-पिता स्क्रीनिंग और नैदानिक ​​परीक्षण करने की चाह रख सकते हैं। Q16 डाउन सिंड्रोम से प्रभावित व्यक्ति का जीवन काल कितना होता है? A16 एक समय में डाउन सिंड्रोम से प्रभावित व्यक्ति का जीवन काल 25 से भी कम था पर अब डाउन सिंड्रोम की बढ़ती समझ और वैद्यकीय क्षेत्र में हुई प्रगति के कारण वर्तमान समय में, डाउन सिंड्रोम से प्रभावित व्यक्ती का जीवन काल 60 है। Q17 डाउन सिंड्रोम के साथ जन्म लेने वाले बच्चों के जीवन में क्या समस्याएं हो सकती हैं? A17 डाउन सिंड्रोम वाले लगभग 40-50% बच्चों में हृदय दोष होता है। कुछ दोष छोटे होते हैं जिन्हें दवाइयों से ठीक किया जा सकता है जबकि कुछ दोष में सर्जरी की आवश्यकता होती है। डाउन सिंड्रोम से प्रभावित सभी शिशुओं की जाँच शिशु हृदय रोग चिकित्सक के द्वारा की जानी चाहिए एवं शुरुआती दो महीनों में इकोकार्डियोग्राम भी कराना चाहिए, जिससे हृदय संबंधी किसी भी समस्या का उचित समय पर निदान किया जा सके। डाउन सिंड्रोम से प्रभावित बच्चों में से लगभग 10% बच्चे आँतो की विकृति के साथ जन्म लेते हैं जिन्हें शल्य चिकित्सा/ आॅपरेशन द्वारा ठीक किया जाता है। इन बच्चों में दृष्टी एवं श्रवण संबंधी समस्याएं होने का ख़तरा होता है ।। आँखों का भेंगापन, निकट अथवा दूरदृष्टि दोष, मोतियाबिंद यह दृष्टि से संबंधित कुछ आम समस्याएं हैं। दृष्टि से संबंधित अधिकतर समस्याएं चश्मा या आॅपरेशन की मदद जैसे उपचार द्वारा ठीक की जा सकती हैं। जन्म के पहले वर्ष में ही शिशु नेत्ररोग विशेषज्ञ (एक फिजीशियन जो नेत्र संबंधी बीमारियों की जाँच तथा उपचार करता है) से मिलना चाहिए। डाउन सिंड्रोम से प्रभावित बच्चों में, कान के मध्य भाग में कुछ द्रव जम जाने से या किसी नस के खराब होने की वजह से अथवा दोनों कारणों से श्रवण शक्ति में खराबी होती है। डाउन सिंड्रोम से प्रभावित सभी बच्चों के दृष्टि एवं श्रवण क्षमता की नियमित जाँच होनी चाहिए ताकि इससे संबंधित सभी समस्याओं का समय पर निदान हो सके और शिशु की भाषा या अन्य क्षमता के विकास पर कोई असर न पड़े। डॉउन सिंड्रोम के साथ जन्म लेने वाले शिशुओं में थायराइड एवं ल्युकेमिया के होने का ख़तरा भी बहुत होता है। इन बच्चों को बार बार जुकाम होने की और ब्रोंकाइटिस या निमोनिया होने की भी संभावना होती है। डाउन सिंड्रोम से प्रभावित बच्चों को टीकाकरण के साथ साथ नियमित वैद्यकीय देखभाल भी मिलनी चाहिए। नैशनल डाउन सिन्ड्रोम कांग्रेस ने एक “प्रिवेंटिव मेडिसीन चेक लिस्ट” जारी की है जिसमें उम्र के विभिन्न पड़ावों पर करायी जाने वाली जांच व वैद्यकीय परिक्षणों के बारे में बताया गया है। Q18 मेरे बच्चे में डाउन सिंड्रोम के बहुत सारे शारीरिक लक्षण नहीं हैं तो क्या इसका मतलब है कि उसमें बौद्धिक अक्षमता कम होगी? A18 बच्चे में विशिष्ट शारीरिक लक्षण होने या न होने का व उसकी बौद्धिक अक्षमता के संयंत्र का आपस में कोई संबंध नहीं है। Q19 डाउन सिंड्रोम के साथ जन्में व्यक्ति में कौन से विशेष लक्षण पाए जाते है? A19 डाउन सिंड्रोम से प्रभावित सभी शिशुओं के शारीरिक लक्षण एक सरीखे नहीं होते हैं, किसी में ये लक्षण ज़्यादा होते हैं, किसी में कम। डाउन सिंड्रोम के शारीरिक लक्षण हैं -- दुर्बल मांसपेशियां सपाट चेहरा एवं छोटी या चपटी नाक छोटे आकार के कान तिरछी आँखें जोड़ों में अतिरिक्त लचीलापन हथेली के बीचों-बीच एक गहरी सिलवट आँखों के आंतरिक कोने में त्वचा की एक अतिरिक्त परत हाथ की पाँचवी उंगली में दो की जगह एक जोड़ होना पैर की बड़ी उंगली एवं दूसरी उंगली के बीच में अतिरिक्त जगह होना मुंह के आकार के हिसाब से बड़ी जीभ उपरोक्त लक्षण अलग अलग बच्चों में अलग अलग स्तर पर होते हैं। डाउन सिन्ड्रोम से प्रभावित बच्चों में संक्रमण, स्वास संबंधी समस्याएं, नेत्र विकार, थायराइड, बाधित पाचन तंत्र, एवं ल्यूकेमिया होने की भी संभावना होती है। हाल में चिकित्सा विज्ञान में हुई तरक़्क़ी के कारण कई समस्याओं का निदान अब संभव है और डाउन सिंड्रोम से प्रभावित लोगों की औसत आयु अब 55 वर्ष है। डाउन सिंड्रोम से प्रभावित बच्चों का शारीरिक एवं मानसिक विकास जीवन भर होता रहता है परंतु हर व्यक्ति में इसका स्तर काफ़ी हद तक अलग अलग होता है। आम तौर पर, सामान्य बच्चों की तुलना में, इन बच्चों की प्रगति धीरे होती हैं। इन बच्चों के सुनने की क्षमता पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती हैं क्योंकि यह उनके बोलने की क्षमता को प्रभावित कर सकती है। यथा, कान में द्रव का जमा होना बोलने एवं सुनने की समस्याओं का मुख्य कारण है। Q20 डाउन सिंड्रोम के कारण मानसिक विकलांगता किस हद तक गंभीर होती हैं? A20 डाउन सिंड्रोम से जुड़ी हुई मानसिक विकलांगता कमतर या मध्यम स्तर से लेकर तीव्र स्तर तक हो सकती है पर ज्यादातर यह कमतर या मध्यम स्तर तक ही होती है। डाउन सिंड्रोम से प्रभावित बच्चों के मानसिक विकास का अनुमान उनके शारीरिक लक्षणों पर आधारित नहीं होता है। Q21 डाउन सिंड्रोम पर क्या अनुसंधान हुए हैं? A21 क्रोमोसोम विभाजन में खोट क्यों होती है इस पर शोध जारी है, इस आशा में कि एक दिन हम डाउन सिंड्रोम या अन्य परिस्थितियां जो क्रोमोसोम की संख्या या संरचना के कारण होती हैं, उसका निदान कर सके। इंप्रूव लैंग्वेज इंटरवेंशन प्रोग्राम एक ऐसा ही उदाहरण है जो कि बच्चों को आसानी से बातचीत करने में मदद करता है। Q22 क्या डाउन सिंड्रोम के साथ जन्म लेने वाले लोगों के बच्चे होते हैं? A22 डाउन सिंड्रोम के साथ जन्म लेने वाले पुरुषों के पिता बनने के सिर्फ़ मुट्ठी भर ही मामले अब तक दर्ज हुए हैं। डाउन सिंड्रोम वाले लोगों को व्यक्तिगत एवं यौन संबंध रखने का और शादी करने का अधिकार है। डी एस ए ऐसे बहुत से खुशनुमा दम्पती को जानता है जिसमें एक या दोनों लोग डाउन सिंड्रोम से प्रभावित हैं। डाउन सिंड्रोम से प्रभावित युवाओं को संबंध एवं लैंगिकता के क्षेत्र में शिक्षित करना महत्वपूर्ण है। दूसरे शैक्षिक क्षेत्रों की तरह ही, इस क्षेत्र में भी उन्हें उनकी उम्र के बच्चों से अतिरिक्त मदद की आवश्यकता हो सकती है। यदि दोनों अभिभावक में से कोई एक अभिभावक डाउन सिंड्रोम से प्रभावित है तो 35-50% संभावना है कि बच्चे को डाउन सिंड्रोम हो सकता है। यदि दोनों अभिभावक डाउन सिंड्रोम से प्रभावित हैं तब गर्भपात की संभावना बहुत अधिक हो सकती है। अन्य महिलाओं की तुलना में डाउन सिंड्रोम से प्रभावित महिलाओं में बच्चे का जन्म समय से पूर्व एवं सर्जरी द्वारा (सीज़ेरियन) किए जाने की संभावना अधिक होती है। डाउन सिंड्रोम वाले से प्रभावित लोगों को बच्चे होने के बारे में सावधान और संवेदनशील सलाह की आवश्यकता होती है, क्योंकि इसमें विचार करने लायक कई मुद्दे हैं। बौद्धिक विकलांगता से प्रभावित लोगों को उपयुक्त सहायता मिलने पर वे अपने बच्चों को सफलतापूर्वक पाल सकते हैं। हालांकि, कई दंपति ज़िम्मेदारी व कठिनाईयां एवं वित्तीय कारणों से बच्चे पैदा न करने का फैसला लेते हैं। Q23 डाउन सिंड्रोम के बारे में बात करते समय हमें किस प्रकार की भाषा का उपयोग करने से बचना चाहिए? A23 यह आवश्यक है कि पहले हम व्यक्ति के बारे में सोचे और फिर उसके बाद विकलांगता के बारे में। जैसे उदाहरण स्वरूप “जॉन की उम्र 29 वर्ष है और उसे डाउन सिन्ड्रोम है”। उदाहरण के तौर पर “डाउन सिंड्रोम बच्चा” या “डाउन बच्चा” जैसे शब्दों का प्रयोग न करते हुए हमें कहना चाहिए -- “डाउन सिंड्रोम से प्रभावित बच्चा”। कोई भी व्यक्ति डाउन सिंड्रोम से ना तो पीड़ित या उसका शिकार एवं न ही बीमार होता है। वे सिर्फ़ डाउन सिंड्रोम से प्रभावित होते है। डाउन सिंड्रोम किसी भी व्यक्ति के जीवन का मात्र एक हिस्सा है, कभी भी ऐसे लोगों को "डाउन" कह कर संबोधित नहीं करना चाहिए। डाउन सिंड्रोम से प्रभावित सभी व्यक्ती अपने आप में अद्वितीय व्यक्तित्व के धनी होते हैं। इसलिए उन्हें हमेशा पहले एक व्यक्ति के रूप में संबोधित किया जाना चाहिए। “मंदबुद्धि” शब्द चिकित्सीकीय रूप में स्वीकार्य है जबकि सामाजिक तौर पर “मंदता” शब्द का प्रयोग नहीं किया जाता है, क्योंकि यह शब्द अपने आप में अपमान-जनक है। “बौद्धिक विकलांगता” शब्द का प्रयोग किया जाना चाहिए। "तुम मंदबुद्धि हो" या "तुम मंद हो" ये वाक्य असंवेदनशील हैं तथा यह दर्शाता है कि बौद्धिक विकलांगता से प्रेरित लोगों की क्षमताओं पर विश्वास नहीं रखा जा रहा। Q24 डाउन सिन्ड्रोम कैसे विकास एवं सीखने की क्षमता को प्रभावित करता है? A24 यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि डाउन सिंड्रोम से प्रभावित लोगों में कुछ विकासात्मक अवरोध जरूर देखने को मिलते हैं। पर इनमें भी हर इंसान की तरह ख़ास प्रतिभा या गुण होते है। इन्हें भी अपनी प्रतिभा को विकसित करने के लिए बढ़ावा एवं मौक़ा मिलना चाहिए। डाउन सिंड्रोम के कारण बौद्धिक विकलांगता हो सकती है। परंतु इन कमियों को अधोरेखित न करते हुए हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि किसी भी बच्चे का जीवन किसी और बच्चे की तुलना में अधिक या काम मूल्यवान नहीं हैं। जन्म के तुरंत बाद इन्हें प्रारंभिक हस्तक्षेप दी जानी चाहिए। इस में शारीरिक, विकासात्मक, एवं भाषा संबंधी हस्तक्षेप को शामिल किया जाना चाहिए। कुछ बच्चे सामान्य स्कूलों मे एवं कुछ विशेष शिक्षा वाले स्कूलों में जाते हैं। कुछ बच्चों की अलग महत्वपूर्ण जरूरतें होती हैं, और उन्हें कुछ विशिष्ट शिक्षा की आवश्यकता होती है। कुछ बच्चे हाईस्कूल पास कर आगे की पढ़ाई करते हैं। डाउन सिंड्रोम से प्रभावित कई लोग आम समुदाय में काम करने में सक्षम होते हैं परंतु कुछ को ज़्यादा संगठित वातावरण की आवश्यकता होती है। Q25 डाउन सिंड्रोम से प्रभावित बच्चा क्या क्या कर सकता है? A25 डाउन सिंड्रोम से प्रभावित बच्चे आमतौर पर ज्यादातर चीजें कर सकते हैं जो कोई भी युवा बच्चा कर सकता है, जैसे कि चलना, बातें करना, कपड़े पहनना एवं शौचालय का इस्तेमाल करना। हालाँकि वह यह सब काम आम बच्चों की तुलना मे थोड़ी देर से सीखते हैं। इन विकासात्मक पड़ावों को बच्चे किस उम्र तक हासिल कर पाएंगे इसकी कोई सीमा तय नहीं है। जबकि प्रारंभिक हस्तक्षेप बच्चों को अपनी क्षमताओं को बढ़ाने में मदद करती है। Q26 क्या डाउन सिंड्रोम के साथ जन्म लेने वाले सभी बच्चों को विशेष शिक्षा वाली कक्षा में ही डालना चाहिए? A26 डाउन सिंड्रोम से प्रभावित बच्चों को साधारण कक्षाओं में डाला जा सकता है। उन्हें किसी ख़ास कोर्स में एकीकृत किया जा सकता है, जबकि अन्य परिस्थितियों में बच्चों को सभी विषयों के लिए साधारण कक्षाओं में भी शामिल किया जा सकता है। अब शैक्षणिक एवं सामाजिक सभी जगहों पर इन बच्चों के समावेश की माँग बढ़ी है। हाई स्कूल पास कर पोस्ट सेकेंडरी शिक्षा हासिल करने वाले डाउन सिंड्रोम से प्रभावित लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। तथा कुछ मामलों में इन लोगों के पास साधारण कोर्सेस के कॉलेज की डिग्रियां भी है। Q27 डाउन सिंड्रोम से प्रभावित कुछ बच्चे पहले चल रहे थे परन्तु बाद में ऐसा करने में असमर्थ हैं। इसका क्या कारण हो सकता है? A27 डाउन सिंड्रोम से प्रभावित बच्चों की मांसपेशियां दुर्बल होती हैं जिसके कारण उन्हें शारीरिक संतुलन बनाने में परेशानी होती है। यदि वे शारीरिक रूप से कम सक्रिय हैं तब ऐसी स्थिति में उनके वज़न की बढ़ने की संभावना अधिक होती है। यह सुस्ती के कारण, मासपेशियां मस्तिष्क को कम जानकारी भेज पाती है। इसके फलस्वरूप मस्तिष्क की कार्यशैली प्रभावित होती है जो की चलने के लिए आवश्यक है। कोई भी कार्य जो मुश्किल होता है, उस का अभ्यास करने का हमारा उत्साह कम होता हैं। कम अब्यास के कारन, वे कार्य करने की हमारी क्षमता भी कम होती है। फलस्वरूप सुस्ता की अंतहीन प्रक्रिया शुरू हो जाती है। यदि हम स्वयं को उस कार्य को करने के लिए उत्साहित करें जो हमें कठिन लग रहा है तो धीरे धीरे हमारा मस्तिष्क उस कार्य को करने में कुशल हो जाता है और हम बिना किसी परेशानी के उस काम को कर पाते हैं। Q28 मेरी किशोर बेटी जिसे डाउन सिंड्रोम है पहले मिलनसार थी। परंतु बाद में वह परिवार के अन्य बच्चों के साथ खेलना पसंद नहीं करती है। इसका क्या कारण हो सकता है? मैं उसे फिर से मिलानसार बनने हेतु कैसे प्रोत्साहित किया जा सकता हैं? A28 उसके उम्र के साथ सामाजिक बंधन टूटने के बहुत से कारण हो सकते हैं। ऐसा हो सकता है की जो दूसरे बच्चे बोल रहे हो वह उसे समझ मे ही नहीं आ रहा हो। या किशोरावस्था से गुज़रते वक़्त बच्चे तुनक मिज़ाज हो जाते हैं। उस तरह वह भी तुनक मिज़ाज हो गयी हो। ऐसी परिस्थिति में आपको अपने परिवार के लोगों एवं बच्चों से इस बारे में बात करनी चाहिए। किसी भी बच्चे को संबोधन स्थापित न कर पाने के लिए आरोपित ना करें बल्कि बच्चों को आप अपनी बच्ची के साथ खेलने के लिए प्रोत्साहित करें तथा उन्हें अलग अलग जिम्मेदारियां दे। इस तरह आप बच्चों को एक समूह बनाने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं जिससे वह आपकी बच्ची को अपने समूह में सम्मिलित कर उसके साथ खेले। Q29 क्या डाउन सिंड्रोम के कारण होने वाले विकासात्मक चुनौतियों को खानपान में बदलाव से ठीक किया जा सकता है? A29 डाउन सिंड्रोम से प्रभावित बच्चों में एक अतिरिक्त क्रोमोजोम की उपस्थिति से अधिक ऑक्सीडेटिव तनाव होता है। इस कारण बूढ़े होने की प्रक्रिया तेज हो जाती है। उम्र से पहले बूढ़े होने की प्रक्रिया को ख़ान पान से नहीं रोका जा सकता है। फोलिक ऐसिड और जिंक की अधिकता वाले भोजन को ग्रहण करने से बार बार संक्रमण (जिसकी संभावना ऐसे बच्चों में बहुत होती ह) होने से बचा जा सकता है। इस प्रकार खानपान का असर बच्चों के रोग प्रतिरोधक क्षमता पर हो सकता है। मगर उनके विकासात्मक चुनौतियों पर ख़ान पान का कोई असर नहीं होता है। Q30 क्या डाउन सिंड्रोम से प्रभावित बच्चों में ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसॉर्डर भी हो सकता है? A30 हाँ, यह हो सकता है। दोनों परिस्थितियाँ एक ही बच्चे में एक साथ हो सकती हैं। Q31 यह डाउन सिंड्रोम है या डाउन'स सिंड्रोम है? इसका उच्चारण करने का सही तरीका क्या है? A31 बहुत सारी वैद्यकीय परिस्थितियाँ एवं बिमारियों को किसी व्यक्ति का नाम दिया गया है; इसे एपॅनिम कहते है। किसी एपॅनिम को किसी व्यक्ति के नाम के साथ जोडा जाए या नही इस बात पर वैज्ञानिक समुदाय में लंबे समय से बहस चल रही है । आप डाऊन सिंड्रोम या डाउन'स सिंड्रोम दोनो शब्द लिखे हुए देख सकते है। संयुक्त राज्य अमेरिका में "डाउन सिंड्रोम" लिखने को प्राथमिकता दी जाती है क्योंकि नाही डाॅक्टर डाऊन खुद इस सिंड्रोम से प्रभावित थे और नाही उन्होंने इसका स्वामित्व लिया था। अस्वीकरण :इस ऑडियो को मेडिकल चिकित्सा के रूप में न ले। यह केवल आपकी जानकारी के लिए हैं। ACKNOWLEDGEMENTS: Special thanks to our volunteer Mrs.Geeta Vivekanand for the time and effort taken towards recording the audio series.
డౌన్ సిండ్రోమ్ పిల్లల తల్లిదండ్రులు మరియు సంరక్షకుల కోసం ఈ ఆడియో సిరీస్. మీ మనసులో తరచుగా వచ్చే కొన్ని ప్రశ్నలకు సమాధానం ఇవ్వడమే లక్ష్యం. ఈ ప్రశ్నలు మరియు సమాధానాలను సేకరించినందుకు చెన్నైలోని డౌన్ సిండ్రోమ్ ఫెడరేషన్ ఆఫ్ ఇండియాకు మా కృతజ్ఞతలు. Q1. డౌన్ సిండ్రోమ్ అంటే ఏమిటి? A1: వ్యక్తులలో ఉండవలసిన 21వ క్రోమోజోములో రెండు కన్నా మూడు ఉండడం. దాని ఫలితంగా ఏర్పడే పరిస్థితి డౌన్ సిండ్రోమ్. ఇది చాలా సాధారణంగా ఏర్పడే క్రోమోజోముల అసాధారణ పరిస్థితి. ఇలా ఎక్కువగా ఉండే జన్యుపదార్థం వ్యక్తి యొక్క భౌతిక మరియు అవగాహన ద్వారా పొందే అభివృద్ధిని(cognitive development) ప్రభావితం చేస్తుంది. డౌన్ సిండ్రోమ్ కలిగిన వ్యక్తులు కొంతవరకు మానసిక వైకల్యాన్ని తక్కువ నుండి ఒక మోస్తరు స్థాయిలో కలిగి ఉంటారు. బలహీనమైన కండరాల స్థాయి, విస్తారమైన నాలుక, సమమైన ముఖము, ఎక్కువ ప్రమాదం తో కూడుకున్న వైద్య సంబంధమైన పరిస్థితులు మొదలైనవి డౌన్ సిండ్రోమ్ కు సంబంధించిన లక్షణాలు. ఏది ఏమైనా డౌన్ సిండ్రోమ్ కలిగిన వ్యక్తి ఈ లక్షణాలను అటు ఇటుగా కలిగి ఉండవచ్చు లేదా ఉండకపోవచ్చు. అంతేకాకుండా ఈ లక్షణాలను సాధారణ వ్యక్తుల్లో కూడా చూడవచ్చు. Q2. డౌన్ సిండ్రోమ్ ఎంత తరచుగా సంభవిస్తుంది? మరియు ఆ సంఘటన జరిగినప్పుడు పరిస్థితి ఎలా ఉంటుంది? A2: డౌన్ సిండ్రోమ్ చాలా సాధారణంగా ఏర్పడే జన్యుపరమైన పరిస్థితి. 800 - 1000 మంది పుట్టిన పిల్లల్లో ఒకరు మాత్రమే డౌన్ సిండ్రోమ్ తో ఉంటున్నారు. దాదాపుగా ఒక అమెరికా దేశంలోనే సంవత్సరానికి 5000 మంది పుడుతున్నారని తెలుస్తోంది. నేడు డౌన్ సిండ్రోమ్ అమెరికా దేశంలో 3,50000 మంది కన్నా ఎక్కువ మందిని ప్రభావితం చేస్తోంది. 35 సంవత్సరముల కన్నా తక్కువ వయసున్న మహిళలకే 80 శాతం మంది పిల్లలు డౌన్ సిండ్రోమ్ తో పుడుతున్నారు. అయితే వయసు పై బడిన మహిళల్లో పిల్లలు డౌన్ సిండ్రోమ్ తో పుట్టే అవకాశం ఎక్కువగా ఉండవచ్చు. డౌన్ సిండ్రోమ్ తో పుట్టిన పిల్లల సంఖ్య 800 మందిలో ఒకరు నుండి 1000 మందిలో ఒకరు కావచ్చని ఇటీవల తయారు చేసిన నివేదిక తెలియచేస్తోంది. డౌన్ సిండ్రోమ్ కి మరియు సంస్కృతి, సంప్రదాయం, సామాజిక ఆర్థిక స్థితిగతులకు, భౌగోళిక ప్రాంతానికి మధ్య ఎటువంటి సంబంధము లేదు. Q3. డౌన్ సిండ్రోమ్ కు కారణాలు ఏమిటి? A3: శరీరంలో ఎక్కువగా ఉన్న 21వ క్రోమోజోము స్థితికి కారణం తెలీదు. ఎక్కువగా ఉన్న 21వ క్రోమోజోము శరీరంలో ప్రొటీన్లు ఎక్కువ మోతాదులో ఉండటానికి కారణం అవుతుంది. ఈ ప్రొటీన్లు డౌన్ సిండ్రోమ్ యొక్క సాధారణ లక్షణాలు ఏర్పడడానికి కారణం అవుతాయి. ఈ ప్రోటీన్లు ఏ విధంగా డౌన్ సిండ్రోమ్ పరిస్థితి రావడానికి కారణం అవుతాయన్నది తెలియదు. తల్లి వయసుకి మరియు పిల్లవాడు డౌన్ సిండ్రోమ్ తో పుట్టడానికి మధ్య సంబంధం ఉందని మాత్రమే మనకు తెలుసు. ఇప్పటివరకు ఈ పరిస్థితికి ఇదీ కారణమని గుర్తించబడలేదు మరియు నిరూపించ బడలేదు. అయితే 95% సంఘటనలలో దీనికి కారణం కణ విభజన (cell division)లోని ఒక తప్పు వల్ల జరిగి ఉండొచ్చని చెప్పబడింది. దీనినే 'నాన్ డిష్ జంక్షన్' అని అంటారు. కొన్ని సంఘటనలకు కారణం మిగిలిన రెండు క్రోమోజోముల అసాధారణ వైపరీత్యాలు : మోసైసిజం మరియు ట్రాన్స్ లొకేషన్. ఎక్కువగా ఉన్న జన్యు పదార్థం ఎదుగుదల మార్గాన్ని మారుస్తూ డౌన్ సిండ్రోమ్ కు సంబంధించిన లక్షణాలు ఏర్పడటానికి కారణం అవుతుంది. Q4. డౌన్ సిండ్రోమ్ ను ఎట్లా నిర్ధారిస్తారు? A4: శిశువు పుట్టగానే ముఖ కవళికలను బట్టి వెంటనే డౌన్ సిండ్రోమ్ అని నిర్ధారిస్తారు. ఆ పరిస్థితిలో పైకి కనిపించే లక్షణాలను బట్టి తల్లిదండ్రులు గాని, వైద్య రంగానికి చెందిన నిపుణులు కానీ పుట్టిన శిశువుకు డౌన్ సిండ్రోమ్ ఉండవచ్చని అని భావిస్తారు. ఈ లక్షణాలు చాలావరకు సాధారణ పిల్లల్లోనూ కనిపిస్తాయి. అందువలన సరి అయిన నిర్ధారణ(positive diagnosis) చేయడానికి ముందుగా శిశువుకి క్రోమోజోము పరీక్ష చేయవలసి ఉంటుంది. శిశువు నుండి రక్తాన్ని తీసి క్రోమోజోములను విశ్లేషించడం ద్వారా ఇది జరుగుతుంది. దాని ఫలితమే కేరియో టైప్. కేరియో టైప్ అనేది వ్యక్తిలోని క్రోమోజోములను చూపించే చిత్రము. దీనికోసం ముందుగా నమూనాను(sample) సేకరించి, క్రోమోజోములను వేరు చేసి తడిపి ఉంచాలి. సాధారణంగా కణ విభజన జరిగే సమయంలో క్రోమోజోములు బాగా కనిపించినప్పుడు ఫోటో తీయాలి. జన్యు శాస్త్ర నిపుణుడు(geneticist) క్రోమోజోములను జత చేసి వరసలో పెడితే బాగా కనిపిస్తాయి. క్రోమోజోములను తడిపే విధానాన్ని బట్టి వివిధ రకాల స్థాయిలలో వివరాలు తెలుసుకోవచ్చు. నిర్ధారణ పరీక్ష చేయడానికి కేరియో టైప్ వ్యక్తి/ శిశువు పిండం యొక్క కణాల నుండి తయారు చేయబడుతుంది. క్రింది చిత్రం (put the picture)డౌన్ సిండ్రోమ్ తో ఉన్న మగవాని కేరియో టైప్. దానిలో ఎక్కువగా ఉన్న 21వ క్రోమోజోమును చూడవచ్చు. Q5. డౌన్ సిండ్రోమ్ లో ఎన్ని రకాలు ఉన్నాయి? A5: డౌన్ సిండ్రోమ్ ఉన్న వారిలో 95 % మంది 'ట్రి సోమి 21' ను కలిగి ఉంటారు. అంటే 21వ క్రోమోజోము 2 కు(జత) బదులుగా 3 ఉండడం. మనం అందరం సాధారణంగా 23 జతల క్రోమోజోములను కలిగి ఉంటాము. ఒక్కొక్క క్రోమోజోము జన్యువులతో(genes) తయారవుతుంది. అండం తయారయ్యే సమయంలో పురుషుడు/ స్త్రీ లో జతలుగా ఉండే క్రోమోజోములు విడిపోయి, ఒక్కొక్క క్రోమోజోమ్ అండాన్ని / స్పెర్మ్ ను చేరుతుంది. 'ట్రిసోమి 21' లేదా 'నాన్ డిష్ జంక్షన్' లో 21వ క్రోమోజోము విడిపోదు మరియు ఎక్కువ మోతాదులో అండాన్ని / స్పెర్మ్ ను చేరుతుంది. ఎక్కువగా ఉన్న క్రోమోజోములు లో 95 -97 % తల్లి నుండి వచ్చిందని అంచనా. డౌన్ సిండ్రోమ్ లో రెండవ రకం ట్రాన్స్ లొకేషన్. డౌన్ సిండ్రోమ్ ఉన్న వారిలో 3 నుంచి 4 శాతం మంది ఈ రకాన్ని కలిగి ఉంటారు. ఈ రకంలో ఎక్కువగా ఉన్న 21వ క్రోమోజోము మరియొక క్రోమోజోముకు సగానికి అతుక్కుని ఉంటుంది. ఇటువంటి పరిస్థితిలో చాలా వరకు తల్లి / తండ్రి ఎక్కువగా ఉన్న 21వ క్రోమోజోము పదార్ధాన్ని సమతుల్యంగా లేదా కనిపించని స్థితిలో పిల్లలకు చేరవేస్తారు. డౌన్ సిండ్రోమ్ లో మూడవ రకాన్ని 'మోసైసిజం' అంటారు. 'మోసైసిజం' లో డౌన్ సిండ్రోమ్ ను కలిగి ఉన్న వ్యక్తి ఎక్కువగా ఉన్న 21 వ క్రోమోజోములను అన్ని కణాలలో(cells) కాకుండా కొన్ని కణాలలో మాత్రమే కలిగి ఉంటాడు. మిగిలిన కణాలు మామూలుగా ఉండే 21 వ క్రోమోజోములను (జత) కలిగి ఉంటాయి. 1 నుండి 2 శాతం మంది మాత్రమే ఇటువంటి డౌన్ సిండ్రోమ్ ను కలిగి ఉంటారు. Q6. డౌన్ సిండ్రోమ్ నయం అవుతుందా? A6: ఇంకా తెలియదు.అయితే పరిశోధకులు డౌన్ సిండ్రోమ్ కు సంబంధించిన మరిన్ని అంశాలను గమనిస్తూ వాటిని సరి చేయాలని చూస్తున్నారు. పరిశోధకులు చిట్టెలుక నమూనాలను ఉపయోగించి డౌన్ సిండ్రోమ్ కు సంబంధించిన మానసిక మరియు అభివృద్ధి వైకల్యాలను నివారించడానికి అవసరమైన చికిత్సలను పరీక్షిస్తున్నారు. ఒక అధ్యయనం ద్వారా గర్భంలో డౌన్ సిండ్రోమ్ తో ఉన్న ఎలుకకు ప్రత్యేక రసాయనాలతో చికిత్స చేసినప్పుడు చాలా అభివృద్ధి దశలను(developmental milestones) పొందడంలో ఎటువంటి ఆలస్యం జరగలేదని తెలుస్తోంది. మరొక అధ్యయనం ద్వారా డౌన్ సిండ్రోమ్ తో ఉన్న పెద్ద ఎలుకలో ప్రత్యేక రసాయనాలు అధ్యయన లోపాల్ని నివారించాయని తెలుస్తోంది. Q7. డౌన్ సిండ్రోమ్ వారసత్వంగా వస్తుందా? A7: డౌన్ సిండ్రోమ్ చాలావరకు వారసత్వంగా రాదు. అండం / స్పెర్మ్ పిండం ఎదుగుతున్న సమయంలో సాధారణంగా గా కణవిభజన జరిగినప్పుడు 21వ క్రోమోజోము విడిపోకుండా ఉండుటవలన డౌన్ సిండ్రోమ్ పరిస్థితి ఏర్పడుతుంది. 'ట్రాన్స్ లొకేషన్' అనే డౌన్ సిండ్రోమ్ మాత్రమే తల్లి/ తండ్రి నుండి పిల్లవాడికి సంక్రమిస్తుంది. అయితే నాలుగు శాతం మంది పిల్లలు మాత్రమే ఈ ట్రాన్స్ లొకేషన్ అనే డౌన్ సిండ్రోమ్ ను కలిగి ఉంటారు. వీరిలో సగం మంది ఈ డౌన్ సిండ్రోమ్ ను తల్లిదండ్రుల నుండి వారసత్వంగా పొందుతారు. ఈ ట్రాన్స్ లొకేషన్ వారసత్వంగా వచ్చినప్పుడు తల్లిదండ్రులలో ఒకరు దీనికి కారకులవుతారు. దాని అర్థం ఏమిటంటే తల్లి/ తండ్రి కాని ఇది సంక్రమించడానికి ఎక్కువగా ఉన్న జన్యు పదార్ధాన్ని కలిగి ఉంటారు. ఎవరైతే ఈ ట్రాన్స్ లొకేషన్ ను చేరవేస్తారో వారు డౌన్ సిండ్రోమ్ కు సంబంధించిన సంకేతాలను గాని లక్షణాలను గాని కలిగి ఉండరు. కానీ వారి పిల్లలకు మాత్రం ట్రాన్స్ లోకేషన్ ను చేరవేస్తారు. Q8. దంపతులకి డౌన్ సిండ్రోమ్ ను కలిగి ఉన్న పిల్లలు పుట్టే అవకాశం ఎంతవరకు ఉంది? A9: సాధారణ పరిస్థితుల్లో ఈ అవకాశం తల్లి వయసు మీద ఆధారపడి ఉంటుంది. 35 సం.. వయసు వారికి డౌన్ సిండ్రోమ్ తో పిల్లలు పుట్టడం అన్నది చాలా అసాధారణం. అంటే దాదాపుగా 350 మందిలో ఒకరికి అన్నమాట. 25 సం.. కన్న తక్కువ వయసు వారిలో 1400 మందిలో ఒకరికి, 40 సంవత్సరాల వయసులో 100 మందిలో ఒకరికి ఈ అవకాశం ఉండొచ్చు. 'ట్రిసోమి 21' డౌన్ సిండ్రోమ్ తో ఉన్న బిడ్డను కలిగి ఉన్న తల్లికి మరో బిడ్డ డౌన్ సిండ్రోమ్ తో పుట్టే అవకాశం దాదాపుగా వందలో ఒకరికి అని చెప్పవచ్చు. ఒకవేళ బిడ్డ 'ట్రాన్స్ లొకేషన్' డౌన్ సిండ్రోమ్ తో పుట్టి ఉంటే, తరువాత పుట్టిన పిల్లలు తిరిగి పొందే అవకాశం వంద శాతం కన్న ఎక్కువ లేదా రెండు శాతం కన్న తక్కువగా ఉండవచ్చు. ట్రాన్స్ లొకేషన్ డౌన్ సిండ్రోమ్ ను కలిగి ఉన్న బిడ్డ తల్లిదండ్రులు చేరవేసే స్థితిని తెలుసుకోవడానికి తప్పనిసరిగా క్రోమోజోముల విశ్లేషణను చేయించుకోవాలి. Q9. డౌన్ సిండ్రోమ్ ను కలిగి ఉన్న పిల్లవాడి తల్లిదండ్రులకు, తరువాతి సంతానం కూడా డౌన్ సిండ్రోమ్ తో ఉండే అవకాశం ఉందా? A9: సాధారణంగా నలభై సం.. వయసు ఉన్న స్త్రీలకు (డౌన్ సిండ్రోమ్ తోఉన్న బిడ్డను కలిగి ఉన్న) మరో బిడ్డ కూడా డౌన్స్ సిండ్రోమ్ తో పుట్టే అవకాశం ఒక శాతం అని చెప్పవచ్చు. డౌన్ సిండ్రోమ్ తో బిడ్డ పుట్టే అవకాశం పెరగటం అన్నది తల్లి వయసు పై ఆధారపడి ఉంటుంది. 40 సం.. వయస్సు తరువాత తల్లికి ప్రమాదం ఉందా అన్నది ప్రసవ సమయంలో ఆమె వయసు మీద ఆధారపడి ఉంటుంది. 80 శాతం మంది డౌన్ సిండ్రోమ్ ను కలిగి ఉన్న పిల్లలు 35 సం.. వయసు కన్న తక్కువ ఉన్న స్త్రీలకే పుడుతున్నారు అన్నది ముఖ్యంగా తెలుసుకోవాలి. ఇది ఎందువలన అంటే 35 సం వయసు వారి కన్న 25 సం.. లోపు వయసు ఉన్న వారికే ఎక్కువ మంది పిల్లలు పుడుతున్నారు అన్న నిజం ధ్రువ పరచబడింది. క్రోమోజోముల పరీక్ష ఫలితాలు వివరంగా తెలుసుకోవడానికి, మళ్లీ గర్భం దాల్చినప్పుడు వచ్చే ప్రమాదాల గురించి మరియు శిశువు పుట్టకముందే చేయించుకోవలసిన పరీక్షలు, వాటి ద్వారా నిర్ధారణ చేసుకోదగిన క్రోమోజోముల సమస్యలు మొదలగు వాటి గురించి అవగాహన కలగడానికి మీ ఫిజీషియన్ మిమ్మల్ని జెనిటిసిస్ట్ / జెనిటిక్ కౌన్సిలర్ ను గాని సంప్రదించమని సూచనలు ఇస్తారు. Q10. ఇందుకుగాను గర్భవతులకు పరీక్షలు ఎప్పుడు చేయాలి? A10: ఇప్పటివరకు కు 35 సం.. లేదా అంతకన్న ఎక్కువ వయస్సు ఉన్న గర్భిణులకు మరియు డౌన్ సిండ్రోమ్ ను కలిగి ఉన్న బిడ్డ తల్లికి 'ఆమ్నియో సెంటిసిస్' (amniocentisis)(ఉమ్మనీటిని సిరంజి ద్వారా తీయడం) ద్వారా నిర్ధారణ చేయడం సిఫార్సు చేయబడింది. ఇప్పుడు డాక్టర్స్ గర్భిణులందరికీ 'స్క్రీన్ టెస్ట్' సిఫార్సు చేస్తున్నారు. పరీక్షలు రెండు రకాలు: స్క్రీనింగ్ మరియు నిర్ధారణ పరీక్ష నిర్ధారణ పరీక్షలో పిండం యొక్క కణాల నమూనాల ద్వారా స్పష్టమైన నిర్ధారణ చేస్తారు. స్క్రీనింగ్ పరీక్షలు కొంతమేరకు సాధారణమైనవి. వీటి ద్వారా డౌన్ సిండ్రోమ్ తో ఉన్న పిండాలను మరియు సాధారణ పిండాలను కూడా కనిపెట్టవచ్చు. స్క్రీనింగ్ పరీక్ష అవసరం ఉన్నదా లేదా అన్నది నిర్ధారణ పరీక్ష ద్వారా తెలుసుకుంటారు. 'ఆమ్నియోసెంటిసిస్' మరియు 'కొరియోనిక్ విలాస్ శాంప్లింగ్'(cvs) అనేవి నిర్ధారణ పరీక్షలు. 'ఆమ్నియోసెంటిసిస్' లో సూదిని సిరంజి ద్వారా తల్లి ఉదరం నుండి గర్భంలోనికి ప్రవేశపెట్టి ఆమ్నియోటిక్ ద్రవం లోని పిండం కణాల నమూనాలను (samples)తీసుకుంటారు. ఈ కణాలను క్రోమోజోముల విశ్లేషణకు పంపిస్తారు. సిరంజి ద్వారా సూదిని లోపల పెట్టడానికి అల్ట్రాసౌండ్ ను ఉపయోగిస్తారు. ఈ పరీక్షను సాధారణంగా 14 మరియు 18 వారాల గర్భం ఉన్నప్పుడు చేస్తారు. ఇది చాలా వరకు సురక్షితం అయినప్పటికీ గర్భస్రావం అవడానికి కొంత అవకాశం ఉంది. 'కొరియోనిక్ విల్లాస్' లో ఉన్న సివిఎస్ కణాలు అన్నవి గర్భంలో ఉన్న ఒక నిర్మాణం/ భాగం. ఇది పిండం కణాలను కలిగి ఉంటుంది కానీ పిండం కాదు. ఈ పరీక్షను 9 నుండి 12 వారాల మధ్య చేస్తారు. ఇది కూడా అటువంటి ప్రమాదాన్ని కలిగి ఉంటుంది. స్క్రీనింగ్ పరీక్షలలో తల్లికి సంబంధించిన 'ఆల్ఫా ఫీటో ప్రోటీన్' మరియు 'ట్రిపుల్ పరీక్షలు' కూడా ఉన్నాయి. అల్ట్రాసౌండ్ ను సాధారణంగా స్క్రీన్ పరీక్షల లాగా వాడరు కానీ దర్యాప్తు చేయడానికి చేస్తారు. దీన్ని 'ఆమ్నియోసెంటిసిస్' 'కొరియోనిక్ విలాస్ శాంప్లింగ్' లతో పాటు కలిపి చేస్తారు. మొదట్లో మాతృ సంబంధమైన ఆల్ఫా ఫీట్ ప్రోటీన్ పరీక్షలను న్యూరల్ ట్యూబ్స్ లోని 'స్పెయిన్ బిఫిడా' అనే లోపాన్ని తెలుసుకోవడానికి కనిపెట్టారు. తక్కువ స్థాయిలో ఉన్న ఆల్ఫా ఫీటో ప్రొటీన్ డౌన్ సిండ్రోమ్ తోనూ మరియు క్రోమోజోముల రుగ్మత తోనూ సహ సంబంధాన్ని కలిగి ఉంటుంది. 'ఆమ్నియోసెంటిసిస్' ద్వారా నిర్ధారించబడిన తరువాత దాదాపుగా 35 శాతం పిండాలు డౌన్ సిండ్రోమ్ ను కలిగి ఉన్నాయని ఈ పరీక్ష ద్వారా అంచనా వేయబడింది ట్రిపుల్ పరీక్ష తల్లి యొక్క రక్తంలోని హ్యూమన్ కొరియానిక్ గొనడొ ట్రోపిన్ (hcg) స్థాయిలను, మాతృ సంబంధమైన సీరం ఆల్ఫా ఫీటో ప్రోటీను మరియు కలవని ఎస్ ట్రియోల్ ను కొలుస్తుంది. ఈ మూడు ఫలితాలను సర్దుబాటు చేస్తూ కంప్యూటర్ ప్రోగ్రామ్ ద్వారా డౌన్ సిండ్రోమ్ ను కలిగి ఉన్న పిండం వలన ఎంత ప్రమాదం ఉన్నదో తెలుసుకోవడానికి వీలవుతుంది. అధ్యయనాలు ఇప్పటివరకు 'ఆమ్నియోసెంటిసిస్' ద్వారా నిర్ధారించబడిన గుర్తింపు రేటు 55 - 60 శాతం ఉందని సూచిస్తున్నాయి. ఎందుకంటే సీరం పరీక్షల (accuracy) ఖచ్చితంగా తెలియటం అన్నది ఎన్ని వారాల గర్భం అన్నదానిమీద ఆధారపడి ఉంటుంది. అల్ట్రాసౌండ్ ను ఉపయోగించి చేసే అనుకూల (పాజిటివ్) పరీక్షను ప్రసవ సమయం తెలుసుకోవడానికి తప్పకుండా చేయాలి. సర్దుబాటు పరీక్షల ఫలితాలు పాజిటివ్ అయితే 'ఆమ్నియోసెంటిసిస్' లేదా 'కొరియోనిక్ విలాస్ శాంప్లింగ్' పరీక్షలను తప్పనిసరిగా చేయాలి. వైద్యపరమైన సమస్యలతోపాటు నైతిక సమస్యలు కూడా తప్పకుండా ఉంటాయి. ఈ పరీక్షల ఫలితాలను చాలా వరకు ఏవేని రెండు ప్రయోజనాలలో ఒక దాని కోసం వాడతారు. దంపతులు వారికి తెలిసిన సమాచారాన్ని ఉపయోగించుకుని గర్భస్రావం చేయించుకోవడమా లేదా ప్రసవానికి అనుకూలంగా ఉన్నామా అన్నది నిర్ణయించుకోవచ్చు. ఈ గ్రూపులు అన్ని మామూలుగా చేయించుకునే రక్త పరీక్షలను , కౌన్సిలింగ్ ను సిఫార్సు చేసినప్పటికీ, వారు ప్రత్యేకంగా ఏ రకమైన కౌన్సిలింగ్ ఇస్తారు అన్నది చెప్పరు. కానీ కౌన్సిలింగ్ ద్వారా దంపతులకు పూర్తి సమాచారాన్ని తెలియజేసి, వారిని డౌన్ సిండ్రోమ్ కలిగి ఉన్న పిల్లల కుటుంబాలతో కానీ నీ లేదా డౌన్ సిండ్రోమ్ ఉన్న వ్యక్తులతో కానీ కలిపి మాట్లాడుకునేలా చేస్తారు. Q11. డౌన్ సిండ్రోమ్ రాకుండా నివారించడానికి ఏమైనా వ్యాక్సిన్లు ఉన్నాయా? A11: డౌన్ సిండ్రోమ్ నయం కావడానికి ఎటువంటి వ్యాక్సిన్ లు లేవు. అయితే అభివృద్ధి చెందిన వైద్యరంగం ఈ పరిస్థితి ప్రభావాన్ని తగ్గించింది. ఆదిలోనే పరీక్షలు, థెరపీ, విద్య, కుటుంబం మరియు స్నేహితులు ఇచ్చే మద్దతు వ్యక్తి ప్రయోజనకరమైన జీవితాన్ని గడపడానికి సహాయం చేస్తాయి. డౌన్ సిండ్రోమ్ ను నివారించే మార్గం లేకపోయినప్పటికీ ఒక శాతం కన్నా తక్కువ అవకాశం ఉంది. ఇది మామూలుగా తల్లి వయసు మీద ఆధారపడి ఉంటుంది. తల్లిదండ్రులు ఎవరైతే డౌన్ సిండ్రోమ్ ను కలిగి ఉన్న బిడ్డతో ఉంటారో, మరో బిడ్డ కూడా జన్యుపరమైన అసాధారణతను కలిగి ఉంటుంది. ఎందుకంటే తల్లి వయసు వల్ల కాని, కుటుంబంలో జన్యుపరమైన లోపాలను కలిగి ఉన్న చరిత్ర ఉండడం వల్ల కాని ఎక్కువ ప్రమాదం జరిగే అవకాశం ఉంది. తల్లిదండ్రులు స్క్రీనింగ్ మరియు నిర్ధారణ పరీక్షలు తప్పక క క చేయించుకోవలసిన అవసరం ఉంది. Q12. సుమారుగా డౌన్ సిండ్రోమ్ ను కలిగి ఉన్న వారి జీవితకాలం ఎంత ఉండవచ్చును? A12: ఒకప్పుడు డౌన్ సిండ్రోమ్ తో ఉన్న వ్యక్తి ఆయుర్ధాయం 25 సం.. కన్న తక్కువగా ఉండేది. ఇప్పుడు డౌన్ సిండ్రోమ్ ను గురించిన అవగాహన ఎక్కువగా ఉండడం వలన వ్యక్తి ఆయుర్దాయం 60 సం.. పెరిగిందని చెప్పవచ్చు. Q13. డౌన్ సిండ్రోమ్ ను కలిగి ఉన్న పిల్లలు సాధారణంగా ఎటువంటి లక్షణాలను కలిగి ఉంటారు? A13: డౌన్ సిండ్రోమ్ ను కలిగి ఉన్న పిల్లల్లో లో 40 - 50 శాతం మంది గుండె లోపాలను కలిగి ఉంటారు. కొన్ని లోపాలు చిన్నవిగా ఉండి మందులతో సరి చేయబడతాయి. మరి కొన్ని లోపాలు సరిదిద్దడానికి శస్త్ర చికిత్స అవసరం అవుతుంది. డౌన్ సిండ్రోమ్ తో ఉన్న పిల్లలకు తప్పకుండా పీడియాట్రిక్ కార్డియాలజిస్ట్( పిల్లల గుండె వ్యాధుల నిపుణులు)/ ఫిజిషియన్ చేత పరీక్ష చేయించి మరియు వారికి 'ఈకో కార్డియో గ్రామ్'ను (గుండె యొక్క నిర్మాణాన్ని మరియు పనిని విశ్లేషించడానికి చేసే ఒక పద్ధతి. అంటే శబ్దతరంగాలను (sound waves) ఉపయోగించి కదులుతున్న ఎలక్ట్రానిక్ సెన్సార్ మీద రికార్డ్ అయిన గుండెను మరియు గుండె గదులను(valves) గమనించవచ్చు. ఇది ఇది ఇది పుట్టిన మొదటి రెండు నెలల్లోనే చేయుట ద్వారా గుండె లోపాలకు చికిత్స అందించవచ్చు. డౌన్ సిండ్రోమ్ ను కలిగి ఉన్న పిల్లల్లో 10 శాతం మంది శస్త్ర చికిత్స అవసరమయ్యే చిన్న, పెద్ద పేగుల వైకల్యాలతో(intestinal malformations) పుడతారు. డౌన్ సిండ్రోమ్ ఉన్న పిల్లలు దృష్టి లేదా వినికిడి లోపానికి గురయ్యే ప్రమాదం ఎక్కువగా ఉంది. సాధారణ దృష్టి లోపాలు ఉదా.. మెల్లకన్ను, దగ్గర /దీర్ఘదృష్టి మరియు కంటి శుక్లాలు. చాలా వరకు దృష్టి లోపాలని కళ్ళద్దాలు, శస్త్రచికిత్స లేదా ఇతర చికిత్సల ద్వారా మెరుగుపరచవచ్చు. పిల్లల సమగ్ర కంటి సంరక్షణ, నిర్ధారణ, కంటి రుగ్మతలకు చికిత్స అందించుటకు మరియు పరీక్షలు జరిపించుటకు కంటి వైద్య నిపుణుడిని ఒక సంవత్సరంలోపు సంప్రదించాలి. డౌన్ సిండ్రోమ్ తో ఉన్న పిల్లలు మధ్య చెవిలోని ద్రవం వలన నరాల లోపం లేదా వినికిడిలోపాన్ని కలిగి ఉంటారు. డౌన్ సిండ్రోమ్ ఉన్న పిల్లలు తప్పకుండా దృష్టి మరియు వినికిడి పరీక్షలను చేయించుకోవాలి. అప్పుడే ఏ సమస్యనైనా పరిష్కరించవచ్చు. అంటే మాట్లాడుట మరియు ఇతర నైపుణ్యాలను వృద్ధి చేయడంలో అంతరాయం కలగకుండా ముందే చికిత్సను అందించవచ్చు. డౌన్ సిండ్రోమ్ ను కలిగి ఉన్న పిల్లలు థైరాయిడ్ సమస్యలు మరియు లుకేమియా తో ఎక్కువ ప్రమాదాన్ని కలిగి ఉంటారు. బ్రాంకైటిస్ మరియు న్యూమోనియా ,శ్వాసకోశ సమస్యలు లాంటి వాటిని కూడా కలిగి ఉంటారు. డౌన్ సిండ్రోమ్ ను కలిగి ఉన్న పిల్లలు సాధారణ వైద్య సంరక్షణతో పాటు చిన్నతనంలో వేసే ఇమ్యునైజేషన్ ఇంజక్షన్లు కూడా తప్పకుండా తీసుకోవాలి. 'ద నేషనల్ డౌన్ సిండ్రోమ్ కాంగ్రెస్' (ప్రివెంటివ్ మెడిసిన్ చెక్ లిస్ట్) నివారణ మందుల చెక్ లిస్టును ప్రచురించింది. అది వివిధ దశలలో సిఫార్సు చేయబడిన చెక్ అప్స్ మరియు వైద్యపరీక్షల వివరణలను కలిగి ఉంది. Q14. మా పాప/బాబు డౌన్ సిండ్రోమ్ కు సంబంధించిన భౌతిక లక్షణాలను (physical characterstics) కలిగిలేరు. దాని అర్థం అభ్యాసన వైకల్యాలు (learning disabilities)ఎక్కువ అని అనుకోవచ్చా? A14: భౌతిక లక్షణాలు కలిగి ఉండాలా లేదా అన్న దానికి మరియు వ్యక్తి యొక్క అభ్యాసన వైకల్యానికి మధ్య ఎటువంటి సంబంధము లేదు. Q15. డౌన్ సిండ్రోమ్ ను కలిగి ఉన్న పిల్లలు ఎటువంటి లక్షణాలను కలిగి ఉంటారు? A15: డౌన్ సిండ్రోమ్ ను కలిగి ఉన్న పిల్లలందరూ ఒకే రకమైన భౌతిక లక్షణాలను కలిగి ఉన్నప్పటికీ కొంతమంది ఈ లక్షణాలను ఎక్కువగా లేదా తక్కువగా కలిగి ఉండవచ్చు. శిశువు పుట్టిన వెంటనే సాధారణంగా ఆ సమయంలో మొట్టమొదటి నిర్ధారణ జరుగుతుంది. శిశువుని చూసిన ఫిజిషియన్ కి డౌన్ సిండ్రోమ్ ఉందని అనుమానం రాగానే కేరియో టైప్ ను పరిశీలిస్తారు. ఈ పరిశీలనలో భాగంగా రక్తం లేదా కణజాలం నమూనాను తీసుకుని తడిపి క్రోమోజోముల పరిమాణం, సంఖ్య మరియు ఆకారం మొదలైన వాటిని నిర్ధారణ కొరకు పరీక్షిస్తారు. బాగా కనిపించే డౌన్ సిండ్రోమ్ యొక్క భౌతిక లక్షణాలు: బలహీనమైన కండరాల స్థాయి సమమైన ముఖము, నొక్కినట్లుగా ఉన్న చిన్న ముక్కు పైకి వాలుగా ఉండే కళ్ళు, అసాధారణ ఆకారంలో చిన్న పరిమాణంలో ఉండే చెవులు అరచేతి మధ్యలో ఉండే ఒక లోతైన మడత(simian crease)కాళ్ళను విస్తరింప చేయగల అధిక సామర్థ్యం( joint hyper mobility) ఐదవ చేతి బొటనవేలు(thumb finger) రెండింటికి బదులుగా వంగి ఉండే ఒకే జాయింట్ ను కలిగి ఉండడం(dysplastic phalanx). కళ్ళలో ఉన్న లోపలి కొనల్లోని చర్మము చిన్న ముడతలను కలిగి ఉండుట.(epicanthic folds). కాలి బొటన వేలికి రెండవ వేలికి మధ్య ఎక్కువ ఖాళీ ఉండటం(sandal gap) నోటి పరిమాణానికి సంబంధించి పెద్ద నాలుక ఉండడం. డౌన్ సిండ్రోమ్ తో ఉన్న పిల్లలు ఈ లక్షణాలను వివిధ కోణాలలో చూపిస్తూ ఉంటారు (ఎక్కువగా/ తక్కువగా). పైన ఉన్న లక్షణాలతోపాటు డౌన్ సిండ్రోమ్ తో ఉన్న పిల్లల్లో సగం మంది పుట్టుకతో వచ్చే గుండె లోపాలను కలిగి ఉంటారు. ఈ లోపాలను చాలావరకు సరిచేయవచ్చు. ఆరోగ్యపరమైన అభివృద్ధి జరగడానికి ఎక్కువ సమయం పడుతుంది. డౌన్ సిండ్రోమ్ ను కలిగి ఉన్న పిల్లలు ఎక్కువగా ఇన్ఫెక్షన్ కు గురి కావడం, శ్వాసకోశ సమస్యలు, కంటి సమస్యలు, థైరాయిడ్ సరిగా పనిచేయకపోవడం, జీర్ణకోశ మార్గాలలో అడ్డంకులు (శిశు దశలో) మరియు చిన్నతనంలో వచ్చే లుకేమియా మొదలగు వాటిని కలిగి ఉంటారు. ఇటీవల వైద్య రంగ పురోగతి వల్ల ఇటువంటి ఆరోగ్యపరమైన సమస్యలకు చికిత్స చేయగలుగుతున్నారు. పుట్టుకతోనే డౌన్ సిండ్రోమ్ ను కలిగిన వ్యక్తులు దాదాపుగా 55 సం.. ల ఆయుర్దాయము కలిగి ఉంటున్నారు. అయితే డౌన్ సిండ్రోమ్ తో ఉన్న పిల్లల సామర్ధ్యాల స్థాయిలు వేరయినప్పటికీ జీవితకాలమంతా భౌతిక మరియు మానసిక నైపుణ్యాలను వృద్ధి చేసుకుంటూ ఉంటారు. సాధారణంగా వారిలో సరాసరి అభివృద్ధి రేటు మిగిలిన పిల్లల్లో కన్నా తక్కువగా ఉంటుంది. ఎందుకంటే మాట రావడంలో ఆలస్యం జరగవచ్చు. పిల్లవాడి వినికిడిని జాగ్రత్తగా గమనిస్తూ ఉండాలి. లోపలి చెవిలో ద్రవం ఉండిపోవడం, వినికిడి మరియు మాట రాక పోవడం మొదలైన సమస్యలు సాధారణంగా కనపడవచ్చు. Q16. డౌన్ సిండ్రోమ్ కు సంబంధించి మానసిక మాంద్యం(mental retardation) ఎలా ఉంటుంది? A16: డౌన్ సిండ్రోమ్ కు సంబంధించిన మానసిక మాంద్యము యొక్క తీవ్రత వివిధ రకాలుగా ఉంటుంది. అంటే తక్కువ నుండి ఒక మోస్తరుగా లేదంటే ఎక్కువగా ఉంటుంది. భౌతిక లక్షణాలపై ఆధారపడి పిల్లవాడి మానసిక అభివృద్ధిని ఊహించ గలిగే పరీక్షలు లేవు. Q17. డౌన్ సిండ్రోమ్ కు సంబంధించి ఎటువంటి పరిశోధనలు జరుగుతున్నాయి? A17: క్రోమోజోముల విభజన సమయంలో ఎందుకు ఈ లోపాలు ఏర్పడుతున్నాయి అన్నదానిమీద, క్రోమోజోముల నిర్మాణం మరియు సంఖ్యలో ఉన్న అసాధారణత వల్ల పుట్టుకతో వచ్చే లోపాలు గురించి తెలుసుకోవడానికి, మరియు డౌన్ సిండ్రోమ్ ను నివారించడానికి పరిశోధనలు జరుగుతున్నాయి. డౌన్ సిండ్రోమ్ ను కలిగి ఉన్న పిల్లల ముఖ కవళికలను బాగు పరచాలని కొందరు పరిశోధకులు కోరుకుంటున్నారు. వీటిలో ఒకదానిని ఉదాహరణగా తీసుకోవచ్చు. అభివృద్ధి చెందిన మాట్లాడే నైపుణ్యానికి (language intervention) సంబంధించిన కార్యక్రమాల ద్వారా పిల్లలు మాట్లాడడాన్ని సులభతరం చేయవచ్చు. Q18. డౌన్ సిండ్రోమ్ ను కలిగి ఉన్న వ్యక్తులు సంతానాన్ని పొందగలరా? A18: డౌన్ సిండ్రోమ్ ను కలిగి ఉన్న పురుషుడు తండ్రి అయ్యాడని నిరూపించబడే సాక్ష్యాధార పత్రాలు కొద్దిగా మాత్రమే ఉన్నాయి. డౌన్ సిండ్రోమ్ ను కలిగి ఉన్న వ్యక్తులు వ్యక్తిగతంగా లైంగిక సంబంధాలను కలిగి ఉండవచ్చు లేదా వివాహం చేసుకోవడానికి హక్కును కలిగి ఉంటారు. సంతోషంగా ఉన్న దంపతులలో ఎవరో ఒకరు లేదా ఇద్దరూ కూడా డౌన్ సిండ్రోమ్ ను కలిగి ఉన్నారని 'డౌన్ సిండ్రోమ్ అసోసియేషన్' వారికి తెలుసు. డౌన్ సిండ్రోమ్ ను కలిగి ఉన్న యువ జంట ముఖ్యంగా సంబంధాలు మరియు లైంగికతకు సంబంధించిన విద్యను తప్పకుండా పొంది ఉండాలి. వీరికి సమ వయసు వారితో పోలిస్తే ఇతర విషయాలకు సంబంధించిన అధ్యయనంలో కొంత మద్దతు అవసరం అవుతుంది. డౌన్ సిండ్రోమ్ ను కలిగిన వ్యక్తులు సంతానాన్ని పొందడంలో జాగ్రత్తగా ఉంటూ సునిశితమైన సలహాలను పొందవలసిన అవసరం ఉంది. ఎందుకంటే వారు చాలా సమస్యలను పరిగణనలోనికి తీసుకోవాల్సి ఉంటుంది. అధ్యయన వైకల్యాలను కలిగి ఉన్న వ్యక్తులకు సరైన మద్దతు ఇవ్వగలిగితే వారు సంతానాన్ని చాలా బాగా పెంచుతారు. అయితే వారు సంతానాన్ని పొందకూడదు అని నిర్ణయించుకుంటారు. ఎందుకంటే అది బాధ్యత, కష్టం మరియు ఆర్థిక స్థితితో కూడుకొన్నది. ఎప్పుడైతే తల్లిదండ్రులలో ఒకరు డౌన్ సిండ్రోమ్ ను కలిగి ఉంటారో పిల్లవాడు కూడా డౌన్ సిండ్రోమ్ ను పొందడానికి 35 నుండి 50 శాతం అవకాశం ఉంది. తల్లిదండ్రులిద్దరూ డౌన్ సిండ్రోమ్ ను కలిగి ఉంటే ఈ అవకాశం ఎక్కువగా ఉంటుంది. ఒక్కోసారి గర్భస్రావం అయ్యే అవకాశం కూడా ఎక్కువగా ఉంటుంది. డౌన్ సిండ్రోమ్ ను కలిగి ఉన్న స్త్రీలకు ఇతర స్త్రీల లాగా సమయానికి ముందుగానే ప్రసవం అవ్వచ్చు లేదా సిజేరియన్ సెక్షన్(శస్త్రచికిత్స ప్రసవం) అవసరం రావచ్చు. Q19. ఇది డౌన్ సిండ్రోమా లేదా డౌన్స్ సిండ్రోమా? A19: ఒక వ్యక్తి చనిపోయిన తరువాత అతని పేరు మీద వైద్య సంబంధమైన పరిస్థితులు, వ్యాధులు పిలువబడ్డాయి. ఇటువంటి పేరును 'ఎపోనిమ్' (మారని పేరు) అంటారు. ఎపోనిమ్ పేర్లకి సాధికారత ఇవ్వాలా లేదా అన్న విషయం మీద వైజ్ఞానిక రంగంలో చాలా రోజులు సుదీర్ఘ చర్చలు జరిగాయి. మీరు డౌన్ సిండ్రోమ్ లేదా డౌన్స్ సిండ్రోమ్ ల అక్షర క్రమాన్ని(spelling) చూడండి. అమెరికా దేశంలో డౌన్ సిండ్రోమ్ అనే అక్షరక్రమానికి ప్రాధాన్యమిస్తారు. ఎందుకంటే డాక్టర్ డౌన్ ఈ సిండ్రోమ్ ను కలిగి ఉండి ఉండవచ్చు లేదా ఈ పరిస్థితిని తన పేరుగా చేర్చుకుని ఉండవచ్చు. సిండ్రోమ్ లోని 'S' అనే అక్షరం పెద్దగా చూపబడలేదు. Q20. డౌన్ సిండ్రోమ్ గురించి చెప్పేటప్పుడు ఎటువంటి భాషను వాడకూడదు? A20: వ్యక్తుల మాతృభాషకు ప్రాధాన్యం ఇవ్వాలి. ఉదా: 'డౌన్ సిండ్రోమ్ పిల్లవాడు' లేదా 'డౌన్ పిల్లవాడు' అనే మాటలకు బదులుగా 'డౌన్ సిండ్రోమ్ తో ఉన్న పిల్లవాడు' అనే మాటను వాడాలి. ఒక వ్యక్తి డౌన్ సిండ్రోమ్ వలన బాధపడడు. అంటే అతడు బాధితుడు/ రోగగ్రస్తుడు కాడు. వారు మామూలుగా డౌన్ సిండ్రోమ్ ను కలిగి ఉంటారు. డౌన్ సిండ్రోమ్ అన్నది మనిషి లో ఒక భాగం మాత్రమే. వారిని 'డౌన్' అని సూచించకూడదు. డౌన్ సిండ్రోమ్ తో ఉన్న వారందరూ ప్రత్యేకమైన వ్యక్తులు. మొదటగా ఆ వ్యక్తి గురించి ఆలోచించాలి. ఉదా: జాన్ కి 29 ఏళ్ల వయసు. అతడు డౌన్ సిండ్రోమ్ ను కలిగి ఉన్నాడు. 'మానసిక బలహీనత'(mental retardation) అన్నది వైద్య పరంగా ఆమోదించినప్పటికీ, సామాజిక పరంగా అంగీకరించబడలేదు. మందబుద్ధి అనే పదము ఆమోదయోగ్యమైనది కాదు. అది ఏ సందర్భంలోనైనా అమర్యాదగా ఉంటుంది. మానసిక వైకల్యం అనే పదానికి ప్రాధాన్యత ఇవ్వాలి. నువ్వు ఒక మందబుద్ధివి లేదా బుద్ధిమాంద్యం కలవాడు అనడానికి బదులుగా (మానసిక వైకల్యం కలిగిన వ్యక్తి) సామర్థ్యం లేనివాడు అని చెప్పాలని సూచించవచ్చు. Q21. డౌన్ సిండ్రోమ్ నేర్చుకోవడాన్ని మరియు మానసిక ఎదుగుదలను ఏ విధంగా ప్రభావితం చేస్తుంది? A21: డౌన్ సిండ్రోమ్ ను కలిగిన పిల్లలు మరియు పెద్దవారు వారి ఎదుగుదల ఆలస్యం అయినప్పుడు కొంత అనుభవాన్ని పొంది ఉంటారు అన్న విషయాన్ని గుర్తు పెట్టుకోవాలి. అవకాశం వస్తే మనం ఇచ్చిన మద్దతుతో వారిలో ఉన్న ప్రతిభను మెరుగు పరుచు కుంటారు. డౌన్ సిండ్రోమ్ తో ఉన్న చాలామంది పిల్లలు కొంచెం తక్కువ నుండి ఒక మోస్తరుగా బలహీనతలను కలిగి ఉంటారు. మనం ముఖ్యంగా గమనించ వలసిన విషయం వారు ఇతర పిల్లలాగానే ఉంటారు కానీ ప్రత్యేకమైన వారిగా ఉండరు. పుట్టిన వెంటనే వారికి ప్రారంభ జోక్య (early intervention) సేవలను అందించాలి. ఈ సేవలలో ముఖ్యంగా భౌతిక పరమైనవి(physical), మాట మరియు ఎదుగుదలకు సంబంధించిన చికిత్సలు ఉంటాయి. చాలామంది పిల్లలు వారి ఇంటి వద్ద ఉన్న బడులకు, కొంతమంది సాధారణంగా రోజు జరిగే తరగతులకు, మిగిలిన వారు ప్రత్యేకమైన పాఠశాలలకు వెళుతున్నారు. కొంతమంది పిల్లలు ముఖ్యమైన అవసరాలను కలిగి ఉంటారు. వారికోసం ప్రత్యేకమైన కార్యక్రమాలు చేయవలసిన అవసరం ఉంది. కొంతమంది డౌన్ సిండ్రోమ్ తో ఉన్న హైస్కూల్ విద్యార్థులు పోస్ట్ సెకండరీ విద్యలో పాల్గొంటున్నారు. డౌన్ సిండ్రోమ్ ను కలిగి ఉన్న చాలామంది పెద్దవారు సమాజంలో అందరితో కలిసి పని చేయగల సామర్థ్యాన్ని కలిగి ఉంటున్నారు. కానీ కొంతమందికి సరైన వాతావరణం అవసరం ఉండవచ్చును. Q22. డౌన్ సిండ్రోమ్ తో ఉన్న పిల్లవాడు ఎలాంటి నడవడికను కలిగి ఉంటాడు? A22: డౌన్ సిండ్రోమ్ తో ఉన్న పిల్లలు చాలా వరకు మిగిలిన పిల్లల లాగానే అన్ని పనులు చేయగలరు. ఉదా: నడవడం, మాట్లాడటం, బట్టలు వేసుకోవడం మరియు పద్ధతిగా తయారవడం. అయితే వీరు సాధారణంగా మిగిలిన పిల్లల మాదిరి కాకుండా ఈ పనులను కొంచెం ఆలస్యంగా చేస్తారు. ఇటువంటి ఎదుగుదలలోని వివిధ దశలను(milestones) ఏ వయసులో వారు పొందగలరు అన్నది ఊహించలేము. అయితే అవసరమైన కార్యక్రమాలను మొదటి దశలోనే మొదలుపెడితే అవి వారి సామర్థ్యాన్ని పెంపొందించడానికి సహాయపడతాయి. Q23. డౌన్ సిండ్రోమ్ తో ఉన్న పిల్లలందరినీ ప్రత్యేక విద్య (స్పెషల్ ఎడ్యుకేషన్) తరగతులలో ఉంచవచ్చా? A23: డౌన్ సిండ్రోమ్ తో ఉన్న పిల్లలను మిగిలిన విద్యార్థులతోపాటు సాధారణ తరగతులకు పంపవచ్చు. వారిని ప్రత్యేక కోర్సులకు గాని, ఎటువంటి పరిస్థితుల్లోనైనా అన్ని విషయాలకు(subjects) సంబంధించిన సాధారణ తరగతులకు కానీ పంపవచ్చు. ప్రస్తుతం సామాజిక పరంగా మరియు విద్యాపరంగా అందరూ కలిసిపోవాలని (fusion) కోరుకుంటున్నారు. డౌన్ సిండ్రోమ్ తో ఉన్న వారు సాధారణ డిప్లమోతో హైస్కూల్ నుండి గ్రాడ్యుయేట్స్ అవుతున్నారు. అంతే కాదు, వారు పోస్ట్ సెకండరీ ఎకడమిక్స్ లో పాల్గొని కళాశాల అనుభవాలను పొంది, డిగ్రీని పొందుతున్నారు. వీరి సంఖ్య పెరుగుతూ ఉంది. Q24. డౌన్ సిండ్రోమ్ తో ఉన్న కొంతమంది పిల్లలు మొదట్లో నడవగలిగి ఉండి క్రమేపీ నడవలేక పోతున్నారు. దీనికి కారణం ఏమిటి? A24: డౌన్ సిండ్రోమ్ తో ఉన్న పిల్లలు బలహీనమైన కండరాల స్థాయిని కలిగి ఉంటారు. అది తక్కువ సమతుల్యానికి(balance) దారి తీస్తుంది. వారు భౌతికంగా తక్కువ చురుకుగా ఉంటే సహజంగానే బరువు పెరుగుతారు. ఈ సోమరితనం వల్ల కావలసిన సంకేతాలు మెదడుకు తక్కువగా చేరుతాయి. దాని ఫలితంగా మెదడు పనితీరు నడకకు అవసరమైన సంబంధాలను ప్రభావితం చేస్తుంది. ఏదైనా కష్టమైన పని చేస్తున్నప్పుడు తక్కువగా ప్రయత్నిస్తే, అది ఫలితాన్ని/ నిర్వహణను ప్రభావితం చేస్తుంది. చివరకు పని ఏమీ జరగలేదు అన్నట్టు అనిపిస్తుంది. దానికి బదులుగా మనకు కష్టంగా కనిపించే పని నేర్చుకోవడానికి మరియు కొనసాగించడానికి ముందుకెళితే అప్రయత్నంగా అనుసరించే ఆ పద్ధతిలోనే పని చేయడానికి మెదడు కూడా తయారవుతుంది. Q25. డౌన్ సిండ్రోమ్ తో ఉన్న మా అమ్మాయి (యుక్తవయసు) అందరితో స్నేహంగా కలసిమెలసి ఉండేది. కానీ రాను రాను ఇతర పిల్లలతో గాని, కుటుంబ సభ్యులతో కానీ, కలవడానికి/ ఆడుకోవడానికి ఇష్టపడేది కాదు. దీనికి కారణం ఏమై ఉంటుంది? ఆమె ఒంటరితనాన్ని పోగొట్టడానికి ఏమి చేయాలి? A25: మీ అమ్మాయి సమ వయస్సుగల వారితో కలవక పోవడానికి చాలా కారణాలు ఉండవచ్చు. మిగిలిన వారు చెప్పేది ఆమెకు అర్థం కాకపోవచ్చు. అది ఆమె స్వభావం కావచ్చు. ఆ వయసులో సహజంగా వచ్చే మార్పుల వల్ల కావచ్చు. ఇతర పిల్లలతో లేదా కుటుంబ సభ్యులతో అప్పుడున్న పరిస్థితిని గురించి మాట్లాడలేక పోవచ్చు. వాళ్లకి ఇతరులతో సంబంధాలు లేనంత మాత్రాన ఎవరిని నిందించకూడదు. దానికి బదులుగా మిగిలినవారికి ప్రత్యేకమైన బాధ్యతలను ఇవ్వటం ద్వారా మీ అమ్మాయితో ఆడుకోవడానికి ప్రోత్సహించండి. ఉదా:ఒకరిని ఆటలకు కోఆర్డినేటర్ గా, మరి ఒకరిని ఏ ఏ ఆటలు ఆడాలో ఎంపిక చేయమని, ఇలా ఒక్కొక్కరికి ఒక్కో బాధ్యత ఇవ్వటం ద్వారా వారిని ఒక గ్రూపుగా ఉండమని చెప్పవచ్చు. ఇలా చేయడంవల్ల బహుశా వారందరూ మీ అమ్మాయితో కలిసి ఆడుకోవడానికి ప్రోత్సహించవచ్చు. Q26. డౌన్ సిండ్రోమ్ ను కలిగి ఉన్న పిల్లల్లో ఆహారాన్ని నియంత్రించుట ద్వారా, కొన్ని లక్షణాలను సరిచేస్తూ ఈ పరిస్థితి నుండి మామూలుగా చేయగలమా ? A26: డౌన్ సిండ్రోమ్ తో ఉన్న పిల్లల్లో అదనపు క్రోమోజోములు ఉండడం వలన ఆక్సీకరణ ఒత్తిడి(oxidative stress) వస్తుంది. ఇది వారు వయసు కన్నా పెద్ద వారిలాగా కనిపించడానికి కారణం అవుతుంది. (తొందరగా పెద్దవాళ్లు అయినట్లు కనిపిస్తారు). ఇటువంటి క్లిష్ట సమస్యలను ఆహారం ద్వారా నివారించ లేకపోయినప్పటికీ, ఫోలిక్ యాసిడ్ మరియు జింక్ ఉన్న ఆహారాన్ని వారికి ఇవ్వడం ద్వారా మళ్లీ మళ్లీ వచ్చే ఇన్ఫెక్షన్స్ ను తగ్గించవచ్చు. (తరచుగా కనిపించే సహ అనారోగ్య పరిస్థితి) ఇటువంటి వాటిలో పౌష్టిక ఆహారం పిల్లవాడి రోగ నిరోధక శక్తి మీద ప్రభావాన్ని చూపుతుంది. కానీ పెరుగుతున్న క్లిష్ట సమస్యలను నివారించలేదు. నిరాకరణ : ఈ ఆడియోను వైద్య చికిత్సగా తీసుకోకండి. ఇది మీ సమాచారం కోసం మాత్రమే. ACKNOWLEDGEMENTS: We thank our volunteers Mrs.Sailaja Tadimeti & Mr.Krishnaji Devalkar for the time and effort taken towards translation of this content from English to Telugu. We would also like to thank Mr.T.Nagabhushanam for his time & effort towards recording the audio series in Telugu.

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