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बच्चों में इंतज़ार करना और अपनी बारी का इंतज़ार करना सिखाना

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Nayi Disha Team

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महत्वपूर्ण जानकारी

1. बारी लेना खेलों और मज़ेदार गतिविधियों से सीखा जा सकता है – ज़रूरी नहीं कि यह सख्त नियमों से हो।
2. खेल, कहानियाँ और एक्टिविटीज़ बच्चों के लिए इंतज़ार करना आसान बनाते हैं।
3. छोटे-छोटे पढ़ने के हिस्से बच्चों में धीरे-धीरे धैर्य (पेशेंस) बढ़ाते हैं।
4. प्रशंसा और हौसला बढ़ाने से इंतज़ार करने का अनुभव अच्छा बनता है।
5. विज़ुअल शेड्यूल (तस्वीरों वाले टाइम टेबल) और टाइमर से बच्चों को पता चलता है क्या और कब होगा।
6. प्यार और समझ के साथ दी गई गाइडेंस से बच्चा इंतज़ार के समय भी ध्यान में बना रह सकता है।

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बच्चों को इंतज़ार करना और अपनी बारी का इंतज़ार करना सिखाना: धैर्य और जुड़ाव को बढ़ावा देना

इंतज़ार करना और अपनी बारी का इंतज़ार करना बच्चों के लिए एक ज़रूरी सामाजिक कौशल है। ये आदतें उन्हें रोज़मर्रा की ज़िंदगी और सामाजिक मेलजोल में मदद करती हैं – जैसे कि दोस्तों, परिवार और आस-पास के लोगों के साथ बेहतर तरीके से बातचीत करना। इससे मिल-जुलकर की गई गतिविधियाँ ज़्यादा मज़ेदार और कम तनाव वाली बनती हैं। ऑटिझम से जुड़े बच्चों के लिए ये स्किल्स सीखने में थोड़ा समय लग सकता है, लेकिन समझदारी, प्यार और सही सहयोग के साथ वे धीरे-धीरे इन बातों में सहज हो सकते हैं। 

यह सफर किसी बच्चे को “जैसा समाज चाहता है वैसा” बनाने का नहीं है, बल्कि यह उनके अपने विकास के रास्ते पर प्यार और सहारे से आगे बढ़ाने का है। ऑटिझम वाले बच्चों की अपनी अलग संवेदनाएँ, सामाजिक पसंद और ज़रूरतें होती हैं – इसलिए वे इन चीज़ों को अपने ढंग से अपनाते हैं। इसी वजह से समझदारी भरा और सहयोगी माहौल बनाना बहुत ज़रूरी है।

इंतज़ार करना और बारी लेना क्यों ज़रूरी है?

इंतज़ार करना और अपनी बारी लेना बहुत ज़रूरी सामाजिक कौशल हैं जो बच्चों को दूसरों के साथ ठीक से व्यवहार करना सिखाते हैं।

  • ये स्किल्स बच्चों को स्कूल, खेल के मैदान और घर जैसे अलग-अलग जगहों पर सही से व्यवहार करना सिखाती हैं।
  • इससे बच्चों में धैर्य और दूसरों के लिए भावना (empathy) पैदा होती है, जो दोस्ती और साथ में काम करने के लिए ज़रूरी हैं।
  • ये आदतें बच्चों को “हम भी इस माहौल का हिस्सा हैं” – ऐसा महसूस कराती हैं और उन्हें शामिल होने का आत्मविश्वास देती हैं।

ऑटिझम वाले बच्चों के लिए खास ध्यान देने की बातें कभी-कभी उन्हें अपनी बारी के लिए इंतज़ार करना या तुरंत चीज़ न मिल पाने को समझना मुश्किल हो सकता है। कुछ बच्चों को अचानक प्रतिक्रिया देने की आदत होती है या उन्हें किसी चीज़ का इंतज़ार करना तकलीफ़देह लग सकता है। तेज़ रोशनी, शोर या भीड़ वाले माहौल में उनके लिए शांत रहना और बैठना और भी मुश्किल हो सकता है।

मुख्य बात:  हर बच्चा अपनी रफ्तार से सीखता है। हर बच्चे की प्रगति अलग दिख सकती है – और यह बिल्कुल ठीक है। सबसे ज़रूरी बात है कि हम ऐसा माहौल बनाएं जो उन्हें आगे बढ़ने, धैर्य रखने और हौसला पाने में मदद करे।

बच्चों को इंतज़ार करना और अपनी बारी लेना सिखाने के लिए उपयोगी तरीके

सही सहयोग और समझ के साथ, ऑटिझम से जुड़े बच्चे भी धीरे-धीरे इंतज़ार करने और बारी लेने की आदतें सीख सकते हैं –
यहाँ कुछ आसान और असरदार तरीके दिए गए हैं जो इस स्किल को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं:

  1. बारी लेने वाली गतिविधियाँ कराएँ

ऐसी एक्टिविटीज़ जिनमें बारी लेना खुद ही शामिल हो, बच्चों को ये स्किल सिखाने का अच्छा तरीका है।
जैसे – बोर्ड गेम्स, कार्ड गेम्स, या ग्रुप में मिलकर कहानी बनाना। इनसे बच्चे बिना दबाव के खेल-खेल में दूसरों के साथ जुड़ना और अपनी बारी का इंतज़ार करना सीखते हैं। उदाहरण: “साइमन सेज़” (Simon Says) जैसे खेल से बच्चे सीखते हैं कि कैसे निर्देशों का इंतज़ार करना है, उन्हें समझना है और एक्टिविटी में ध्यान बनाए रखना है।

  1. किताबों से “इंतज़ार” का एहसास करवाना

कहानी की किताबों को एक बार में पूरी पढ़ने के बजाय छोटे-छोटे हिस्सों में पढ़ना बच्चों को “अगली बात का इंतज़ार” करना सिखा सकता है। उदाहरण: आप एक पेज पढ़ें और फिर रुकें – बच्चे को खुद से सोचना और अगली बात जानने का इंतज़ार करना अच्छा लगने लगेगा। इससे बच्चों को धैर्य रखना और भावनाओं पर काबू रखना सीखने में मदद मिलती है।

  1. छोटी-छोटी सफलताओं पर तारीफ़ करें

इंतज़ार को एक अच्छा अनुभव बनाना बहुत ज़रूरी है। जब भी बच्चा थोड़ा भी इंतज़ार कर ले या बारी का पालन करे, तो उसकी तारीफ़ करें। उदाहरण: “वाह! तुमने अपनी बारी का कितना अच्छा इंतज़ार किया।”  “तुम बहुत धैर्य से रुके, बहुत अच्छा किया!” इस तरह की पॉज़िटिव बातें बच्चे का आत्मविश्वास बढ़ाती हैं और उन्हें फिर से अच्छा व्यवहार दोहराने की प्रेरणा देती हैं।

  1. विज़ुअल शेड्यूल और टाइमर का इस्तेमाल करें

ऑटिझम से जुड़े बच्चों को एक ऐसा माहौल पसंद आता है जहाँ चीज़ें साफ़ और पहले से तय हों। विज़ुअल शेड्यूल (तस्वीरों वाला टाइम टेबल) या टाइमर (घड़ी/घंटी) यह समझाने में मदद करते हैं कि उन्हें कब और कितना इंतज़ार करना है। उदाहरण:
एक टाइमर लगाकर दिखाएँ कि अभी कितना समय बाकी है उनकी बारी आने में। इससे बच्चे को समय का अंदाज़ा लगता है और वो ज़्यादा नियंत्रण और आराम महसूस करते हैं।

अगर हम बच्चों के साथ मिलकर ढंग से बनाई गई गतिविधियाँ, सकारात्मक तारीफ़, विज़ुअल शेड्यूल्स और रोज़ की प्रैक्टिस का सही मेल करें, तो ऑटिझम से जुड़े बच्चे भी धीरे-धीरे इंतज़ार और अपनी बारी का पालन करने में सहज महसूस करने लगते हैं। ये स्किल्स ना सिर्फ सामाजिक व्यवहार में काम आती हैं, बल्कि बच्चों में धैर्य, अपनी भावनाओं को संभालने की क्षमता (Self-regulation) और मिल-जुलकर काम करने की आदत भी बढ़ाती हैं – जो ज़िंदगी भर उनके काम आती हैं।

हर बच्चा अलग होता है, इसलिए उसके लिए एक ऐसा प्लान बनाना ज़रूरी है जो उसकी ज़रूरतों, पसंदों और सेंसरी अनुभवों के हिसाब से हो। समझदारी, धैर्य और अच्छे अनुभव देने की कोशिश से हम ऑटिझम से जुड़े बच्चों को ये ज़रूरी सामाजिक स्किल्स सिखा सकते हैं और हर कदम पर उनका साथ दे सकते हैं।

ऊपर दिए गए इन्फोग्राफिक में बच्चों को यह स्किल सिखाने के और भी आसान तरीके बताए गए हैं।

आप हमारे “ऑटिझम से जुड़े बच्चों में मोटिवेशन बढ़ाने के तरीकों” वाले इन्फोग्राफिक को भी ज़रूर देखें।

आभार: इस इन्फोग्राफिक की सामग्री में योगदान देने के लिए हम रेणु के मनीष का दिल से धन्यवाद करते हैं।

अगर आपके मन में ऑटिझम, डाउन सिंड्रोम, ADHD या किसी अन्य विकास संबंधी अंतर को लेकर सवाल हैं, तो नई दिशा (Nayi Disha) की टीम मदद के लिए हमेशा तैयार है।  हमारी मुफ़्त हेल्पलाइन: 844-844-8996 (कॉल या व्हाट्सऐप करें) हमारी टीम कई भाषाएँ बोलती है – जैसे हिंदी, अंग्रेज़ी, मलयालम, गुजराती, मराठी, तेलुगु और बंगाली।

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