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वसीयत बनाने के कुछ सुझाव – विशेष जरूरतों वाले बच्चों के परिवार के लिए

Jitendra Solanki

Also available in: English
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Key Takeaways:

हम इस लेख के मुख्य बिंदु तैयार कर रहे हैं। वे जल्द ही उपलब्ध होंगे।
  • अपनी सभी देनदारियों और खर्चों का ब्यौरा तैयार करने के साथ ही सभी प्रकार की पूंजी और  सम्पत्तियों की लिस्ट तैयार करें I
  • अपनी संपत्ति का आप किस प्रकार बंटवारा करना चाहते हैं, यानी की किस सदस्य को कौन सी और कितनी  संपत्ति मिलेगी , इसका वर्णन करें I
  • अपनी वसीयत में बच्चे की  विशेष जरूरत (डिसेबिलिटी प्रमाणपत्र के आधार पर )और असमर्थता खासकर वित्ययी मामलों को लेकर   इसका स्पष्ट उल्लेख करें I 
  • यदि आप अपने विशेष जरूरतों वाले बच्चे के नाम पर संपत्ति का बड़ा हिस्सा छोड़ना चाहते हैं तो कृपया इस विषय को स्पष्ट रूप से बताएं। यह भी बताएं, कि क्या आप चाहते हैं कि ट्रस्ट के बनने पर यह संपत्ति उसमें चली जाये? एक लिस्ट में उन सभी चल और अचल संपत्ति के बारे में लिखे जो वसीयत के माध्यम से ट्रस्ट के अधिकार में दी जाएंगी?
  • आपकी बची हुई संपत्ति का परिवार के अन्य सदस्य जैसे जीवनसाथी, दूसरे बच्चे या कोई अन्य संबंधीयों के बीच में बंटवारा किस प्रकार होगा (दान इत्यादि इसमें शामिल करें अगर आपकी इच्छा है)?
  • यदि आप परिवार के किसी सदस्य को संपत्ति का उत्तराधिकारी  नहीं बनाना चाहते, तो इस बात का वर्णन करें और स्पष्ठ रूप से इसका कारण बताएं I
  • यदि आप दूसरी शादी में हैं और आप दोनों की पिछली शादी से बच्चे हैं, तो इस स्थिति में आप उपलब्ध विकल्पों में से अपने सभी बच्चों  सहित विशिष्ट ज़रूरत वाले बच्चे के भविष्य पर विचार करना चाहेंगे। इसके लिए  बहुत ज़रूरी है कि आप अपने जीवनसाथी के साथ चर्चा करते हुए अपनी योजनाओं पर आपसी सहमति से काम करें।
  • वसीयत में निर्धारित किए गए नियम के अनुसार क्या परिवार के दूसरे सदस्य सीधे ही संपत्ति के उतराधिकारी बनेंगे या इसे भी ट्रस्ट के माध्यम से प्राप्त किया जाएगा? वसीयत में इस बात को निर्धारित करें।
  • परिवार के दूसरे सदस्यों को ट्रस्ट के माध्यम से या सीधे ही संपत्ति ट्रांसकर के फायदे और नुकसान के बारे में समझाएँ ।
  • आपकी मृत्यु होने की स्थिति में , आपके दूसरे बच्चे तुरंत ही संपत्ति के  के उतराधिकारी बनेंगे लेकिन अगर वो अवयस्क  हैं तो उनको उस संपत्ति को अभी प्राप्त नहीं कर पाएंगे ? जब तक आपका बच्चा/बच्ची 18 वर्ष की आयु तक नहीं पहुँचते हैं, तब तक आप उनकी संपत्ति की देखभाल का अधिकार किसे देना चाहेंगे? इसका स्पष्ट उल्लेख करें

सूचना: यदि बच्चे अवयस्क (माइनर, यानी 18 वर्ष से कम उम्र का/ की) हैं तब आपको उस उम्र की सीमा को स्पष्ट रूप से बताना होगा जब वो अपनी संपत्ति को प्राप्त कर सकेंगे। उस उम्र पर पहुँचने तक आप एक अवयस्क ट्रस्ट को बना सकते हैं जो बच्चे की धन संबंधी जरूरतों की देखभाल कर सकता है। 

  • विशिष्ट  ज़रुरत वाले बच्चे को 18 साल की उम्र के बाद भी अभिभावक की ज़रुरत होगी I  माता पिता पहले अभिभावक होते हैं मगर आपकी मृत्य के पश्चात कौन इस बच्चे का अभिभावक बनेगा इसका निर्णय ले कर इसका उल्लेख वसीहत में स्पष्ट करें.
  • क्या बच्चे के लिए नियुक्त संरक्षक/अभिभावक ही केवल उनके निजी मामले या धन संबंधी जरूरतों की देखभाल करेंगे? कृपया सुनिश्चित करें कि इस विषय को लेकर आपके पास अभिभावक की सहमति है I

सूचना : यदि ट्रस्ट बनाया जाता है तब आपको निजी मामलों की देखभाल करने के लिए एक अभिभावक/संरक्षक की ही ज़रूरत होगी क्योंकि ट्रस्ट केवल धन संबंधी मामलों की ही देखरेख करेगा। वो अभिभावक/संरक्षक भी अपनी वसीहत में अपनी मृत्य के बाद किसी और व्यक्ति को अभिभावक/संरक्षक  बना सकता है.

  • यदि आपके किसी बच्चे की मृत्यु हो जाती है, इस स्थिति में क्या आप संपत्ति में उसके हिस्से को, उसके या फिर अपने दूसरे बच्चों को देना चाहते हैं या फिर इसके लिए दूसरे कानूनी दावेदार जैसे जीवनसाथी या फिर दूसरे भाई-बहन को देना चाहेंगे?
  • बच्चे के किस उम्र में आप यह सुनिश्चित करना चाहेंगे कि उन्हें आपकी सम्पत्ति प्राप्त होगी
  • आपके द्वारा उल्लेख कर्तव्यों को पूरा करने के दौरान नियुक्त संरक्षक/अभिभावक द्वारा आपके विशेष बच्चे के खर्चों के प्रबंधन के लिए धन कैसे प्रदान किया जाएगा I
  • वसीयत को बनाते समय अपनी सभी इच्छाएँ और मर्ज़ी स्पष्ट रूप से लिखें और कहीं भी किसी प्रकार का कोई असपष्ट या अनेक अर्थ वाला वाक्य नहीं लिखें नहीं तो आखिरी स्पष्ट लिखी वसीयत ही जारी मानी जाएगी।
  • कानूनी ज़रूरी नहीं हैं लेकिन आप मानसिक रूप से स्वस्थ हैं अगर इस बात की पुष्टि करने के लिए डॉक्टर का प्रमाणपत्र लगाते हैं तो यह आपकी वसीहत को और सुनिश्चित करता है.

सूचना: जब भी किसी वसीयत की वैधता पर प्रश्न उठाया जाता है तब सबसे पहले यह बात रखी जाती है कि वसीयत को लिखने वाले व्यक्ति की मानसिक  अवस्था  ठीक नहीं थी । इसका कारण हैं कानूनन  मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति किसी भी प्रकार की वसीयत नहीं लिख सकता । भविष्य में इस वसीयत पर सवाल उठाये जाने पर डॉक्टर द्वारा दिया गया यह प्रमाण पत्र मदद कर सकता है।

  • आपकी मृत्य होने पर कौन आपकी वसीहत को संचालित करेगा  इसकी नियुक्ति करें
  • जो व्यक्ति इस वसीयत को संचालित करेगा, उसे इसके बने होने की जानकारी जरूर दें जिससे वसीयत के होने का पता रहेगा I
  • किसी भी प्रकार का परिवर्तन होने की स्थिति में वसीयत को प्रत्येक 3-4 वर्ष बाद इस परिवर्तन के साथ दोबारा अवश्य लिखें I
  • वसीयत के प्रत्येक पृष्ठ पर अपने हस्ताक्षर ज़रूर करें।
  • आपने जो कुछ लिखा है उसको प्रमाणित करवाने के लिए किसी पेशेवर व्यक्ति की मदद जरूर लें।

अस्वीकरण : कृपया ध्यान दें, यह निर्देशिका केवल जानकरी देने हेतु तैयार की गई है। अपनी आवश्यकतानुसार धन या कानूनी सलाह के लिए कृपया किसी वित्तीय सलाहकार या कानूनी परामर्शदाता से ही संपर्क करें।

 

 

 

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