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विशेष जरूरतों वाले बच्चे के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए तीन-सूत्री कार्यक्रम

Jitendra Solanki

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Key Takeaways:
हम इस लेख के मुख्य बिंदु तैयार कर रहे हैं। वे जल्द ही उपलब्ध होंगे।

पिछले लेख में हमने उन परिवारों के सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा की जब परिवार के किसी एक सदस्य को विशेष  ज़रूरतें होती हैं। अपने बच्चों के भविष्य के बारे में चिंता और उनके वित्तीय स्वतन्त्रता संबंधी डर से मुक्त रहने के लिए बहुत सोच समझकर और सावधानी से वित्तीय नियोजन करने की ज़रूरत होती है। प्रशिक्षित वित्तीय सलाहकार की सलाह से बनाई गई वित्तीय नियोजन करना अनेक चुनौतियों में से एक होता है जिसके बारे में अधिकतर परिवार परेशान रहते हैं।

इसे सरल रूप में कहें तो, दरअसल वित्तीय नियोजन एक प्रक्रिया है न कि कोई वस्तु है जिसे खरीदा जा सकता है। इस प्रकार से सोचने से यह फायदा होगा कि इससे उन परिवारों को वो उन सभी कठिनाइयों के बारे में पता चल जाता है जो उनके बच्चे के आने वाले समय की वित्तीय सुरक्षा को सुनिश्चित करने के दौरान आ सकती हैं। लेकिन एक प्रभावशाली कूटनीति का इस्तेमाल करके न केवल इन कठिनाइयों को दूर किया जा सकता है बल्कि वित्त प्रबंधन का काम भी प्रभावशाली ढंग से किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त वित्तीय नियोजन एक ऐसी लगातार चलने वाली प्रक्रिया है जो भावी जीवन में आने वाले परिवर्तनों को भी अपने साथ समायोजित कर लेती है। इससे परिवारों को उन उद्देश्यों की पूर्ति करने में मदद मिलती है जो वो अपने लोगों की सुरक्षा के लिए निर्धारित करते हैं।

कृपया इस तीन-सूत्री कार्यक्रम पर ध्यान दें जिसकी मदद से विभिन्न परिवार अपने बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए एक अच्छी योजना बना सकते हैं :

सूत्र 1

जीवन में लक्ष्यों को निर्धारित करते हुए प्राथमिक जीवन लक्ष्य

जीवन में लक्षयों की पहचान करना बहुत सरल काम होता है लेकिन कभी-कभी उन्हें प्राथमिकता देना थोड़ा कठिन हो जाता है। इसके लिए सबसे आसान काम है कि इन लक्ष्यों को उनकी आयु या जीवनकाल के अनुसार  लघु या अल्पकाल , माध्यम और दीर्घ कालीन लक्ष्यों की श्रेणी में बाँट दिया जाये। अल्पकालीन लक्ष्य या उद्देश्य 2-3 वर्षों के लिए निर्धारित किए जाते हैं जैसे गाडी खरीदना, छुट्टियों में घूमने जाना, आदि। मध्यकालीन लक्ष्य 4-6 वर्ष के लिए बनाए जाते हैं जैसे बच्चों की शिक्षा या घर बनाना आदि। इससे आगे का कोई भी लक्ष्य दीर्घकालिक लक्ष्यों के तहत माना जा सकता हैI

विशेष जरूरतों वाले बच्चों के लिए धन का प्रबंध करना (2-3 वर्ष के लिए) अल्पकालीन लक्ष्यों में रखा जा सकता है। इसी प्रकार अगले 5-7 वर्षों के लिए बच्चों के खर्चों को मध्यकालीन लक्ष्यों की श्रेणी में रखा जा सकता है और माता-पिता की रिटायरमेंट के बाद खर्चों के प्रबंध को मुख्य और दीर्घकालीन लक्ष्यों के रूप में निर्धारित किया जा सकता है।

सूत्र 2

वर्तमान वित्तीय स्थिति का निर्धारण करना

इसके लिए माता-पिता को स्वयं से यह पूछना चाहिए कि

हमारे पास कौन-कौन से संसाधन हैं?

क्या ये संसाधन हमारी और हमारे बच्चों की देखभाल के लिए पर्याप्त हैं?

इन प्रश्नों के उत्तर परिवार की वर्तमान वित्तीय स्थिति के प्रभावशाली विश्लेषण के बाद ही  दिये जा सकते हैं।

यह विश्लेषण दो भाग – कुल संपत्ति मूल्य और नकदी का प्रवाह के रूप में किया जा सकता है

वित्त या धन का कुल संपत्ति मूल्य को मालूम करने से आपको आपके अपनी कुल वित्तीय संपत्ति के मूल्य/कीमत का अनुमान हो जाता है। कुल संपत्ति की गणना करने के लिए आपकी सभी सम्पत्तियों और देनदारियों के अंतर को मालूम किया जाता है। इस समय तक आपके पास जो भी संपत्ति है (आपका घर, कार, निवेश जैसे म्यूचल फंड, पी.पी.एफ., निजी बचत आदि )और वो देनदारियाँ जिनका भुगतान (कर्जे या ऋण आदि) आपको किसी तीसरे पक्ष को करना है। इन दोनों का अंतर ही आपको आपकी कुल संपत्ति का मूल्य बता सकता है।

वित्तीय विश्लेषण का दूसरा पहलू नकदी प्रवाह होता है। इससे आपको अपनी निजी बचत की सीमा और प्रकृति के बारे में पता लगता है जो आपके बच्चे की देखभाल के लिए मुख्य स्त्रोत हो सकता है। नकदी प्रवाह के दो अंग – आमदनी और खर्चे होते हैं-

आमदनी व्यक्ति की आमदनी विभिन्न स्त्रोत जैसे माता या पिता या दोनों का वेतन, सरकारी सहायता (विकलांगों के लिए पेंशन) और निवेश से आमदनी, दादा-दादी या नाना-नानी या किसी अन्य संबंधी की ओर से उत्तराधिकार में प्राप्ति आदि के रूप में हो सकती है। आमदनी के सभी स्रोतों को अलग-अलग रूप में स्पष्ट देखा जाना चाहिए।

खर्चे विशेष जर्रोरत वाले बच्चे की सम्पूर्ण  वित्तीय जरूरत का आकलन करें । इस लिए दो अलग-अलग खर्चों की सूची बनाएं – एक जिसमें परिवार के खर्चों को लिखा जाये और दूसरे में बच्चे के रोज़ के होने वाले खर्चों को विस्तृत रूप में लिखा जाना चाहिए। परिवार संबंधी खर्चों को भी स्थायी और परिवर्तनशील खर्चों के रूप में बांटा जा सकता है।

स्थायी खर्चे वो होते हैं जिनके बारे में आपको पता होता है और इनमें समय के साथ अंतर नहीं आता है, जैसे घर का किराया,  घर चलाने के खर्चे, बीमा प्रीमियम आदि। दूसरी ओर परिवर्तनशील खर्चे वो होते हैं जिसमें उन सभी खर्चों को शामिल किया जाता है जिनका पहले से अनुमान लगाना थोड़ा कठिन होता है I ऐसे खर्चे जिन्हे हर महीने अलग करके नहीं रखा जा सकता है जैसे स्थानीय या किसी बाहरी स्थान पर यात्रा, निजी ख़रीदारी आदि।

बच्चे के खर्चों में उसकी थेरेपी, स्कूल संबंधी, आने-जाने, व्यावसायिक प्रशिक्षण और जीने के लिए रोज़मर्रा संबंधी खर्चों को शामिल किया जाएगा। कभी-कभी इनका अनुमान लगाना थोड़ा कठिन होता है विशेषकर तब जब आप पहली बार करने जा रहे हों। बहुत अधिक उत्साही न बनते हुए, आप इन खर्चों को कुछ माह तक ध्यान से देखें और उसके बाद इनका अनुमान लगाने का काम शुरू करें।

सूत्र 3

नियोजन प्रक्रिया में आने वाली कठिनाइयों की पहचान करें

एक बार जब आपको अपने परिवार की धन संबंधी ज़रूरतों के बारे में जानकारी हो जाती है तब आप नियोजन के रास्ते में आने वाली कठिनाइयों का सरलता से अनुमान लगा सकते हैं। हो सकता है कि आपकी आमदनी, खर्चों के तुलना में कम हो और इस कारण पर्याप्त बचत न हो पा रही हो। यह भी हो सकता है कि आप रिटायर होने वाले हों लेकिन आपने जो अभी तक बचत कि हुई है वो भविष्य के लिए काफी न हो। कोई भी स्थिति हो, इस विश्लेषण के बाद आपको अपने बच्चे से जुड़ी धन संबंधी तैयारी की सही तस्वीर मिल सकती है। इसके बाद आप अपने बच्चे के भविष्य को  सुरक्षित करने के लिए एक प्रभावशाली योजना का निर्माण कर सकते हैं।

अस्वीकरण: कृपया ध्यान दें, इस गाइड का उद्देश्य केवल जानकारी देना है अपनी ज़रूरतों के लिए सलाह लेने या किसी कानूनी सलाह के लिए किसी वित्तीय सलाहकार से संपर्क करें।

 

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