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एडीएचडी क्या है? – आपके बच्चे के डाइग्नोसिस (निदान) को समझने के लिए एक त्वरित मार्गदर्शिका

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डॉ सना स्मृति

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महत्वपूर्ण जानकारी

1. ADHD को समझना
– ADHD एक न्यूरोडेवलपमेंटल स्थिति है, जिसे “ठीक” नहीं किया जा सकता।
– यह बच्चे के ध्यान, गति, आवेग नियंत्रण और संगठन पर असर डालता है।
– हर बच्चा ADHD को अलग-अलग तरीके से महसूस करता है।

2. शुरुआती संकेत और निदान
– ADHD के कुछ संकेत में बेचैनी, बार-बार काम बदलना, आवेग से काम करना और चीज़ों को गलत जगह रखना शामिल हैं।
– ADHD का कोई एक कारण नहीं है। इसमें आनुवंशिकी, मस्तिष्क का विकास, और पर्यावरण सभी का योगदान होता है।
– निदान व्यवहार पैटर्न पर आधारित होता है, न कि किसी मेडिकल टेस्ट पर।

3. ADHD से जुड़े कारन
– ADHD का पारिवारिक इतिहास हो सकता है।
– ऑटिज़्म या डिस्प्रैक्सिया जैसी स्थितियाँ इसके साथ हो सकती हैं।
– जन्म से जुड़ी समस्याएँ, जैसे समय से पहले जन्म या कम वजन में जन्म लेना।
– शराब या ड्रग्स जैसे पदार्थों का गर्भवस्था के दौरान संपर्क भी एक कारण हो सकता है।

4. साक्ष्य-आधारित सहायता
– घर पर: माता-पिता द्वारा दी जाने वाली मदद, जैसे कि घर का माहौल ठीक करना और सही तरीके से बच्चों को सिखाना।
– स्कूल में: शैक्षिक सहायता और व्यवहार को सुधारने के लिए मदद।
– बच्चे के लिए: थेरेपी, काउंसलिंग, और अगर जरूरी हो तो दवा।

5. आयु-आधारित सहायता
– 4-6 साल: इस उम्र में बच्चों के लिए व्यवहार सुधारने वाली रणनीतियाँ मददगार होती हैं; दवा की जरूरत शायद ही कभी होती है।
– 7-11 साल: इस उम्र में बच्चों को व्यवहारिक और शैक्षिक मदद मिलती है, और कभी-कभी दवा भी दी जा सकती है।
– 12-18 साल: इस उम्र में बच्चों को शैक्षिक सहायता, काउंसलिंग और जरूरत पड़ने पर दवा दी जा सकती है।

6. ADHD वाले बच्चे का समर्थन कैसे करें
– दिनचर्या और व्यवस्था बनाए रखें।
– कामों को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटें।
– एक समय में एक काम पर ध्यान देने के लिए बच्चों को प्रेरित करें।
– खुलकर बात करें और धैर्य से जवाब दें।

7. माता-पिता के लिए स्व-देखभाल
– अपनी सेहत का ख्याल रखें – आराम करें, सक्रिय रहें और संतुलन बनाए रखें।
– अपने दूसरे बच्चों और रिश्तों को भी सपोर्ट करें।
– सहायता समूहों में शामिल हों और ADHD के बारे में लोगों को जागरूक करें।

8. अंतिम बात
– ADHD कोई बीमारी नहीं है जिसे ठीक किया जा सके, बल्कि यह सोचने का एक अलग तरीका है।
– गलत जानकारी और फर्जी इलाजों से सावधान रहें।
– अपनी जानकारी बढ़ाएं और अपने बच्चे की खूबियों के लिए उनका साथ दें।

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डॉ सना स्मृति ने न्यूरोडेवलपमेंटल और बिहेवियरल पीडियाट्रिक्स में एमबीबीएस, डीसीएच, फेलोशिप किया है और संबंधी व्यक्तियों पर उपचार कर रही है |

ADHD क्या है?

क्या आपने हाल ही में ADHD के बारे में सुना है, या आप जानने की कोशिश कर रहे हैं कि आपके बच्चे के लिए इसका क्या मतलब है? चाहे आप इसके बारे में पहली बार जान रहे हों, या पहले से कुछ जानते हों, यह तथ्यपत्र आपको ADHD के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देता है – जैसे सामान्य लक्षण, संभावित कारण, सहायक इलाज और आपके बच्चे की भलाई को बढ़ाने के तरीके।

एडीएचडी क्या है?

अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (एडीएचडी) एक मस्तिष्क से जुड़ी समस्या है जो बच्चे के ध्यान केंद्रित करने, आवेगों को नियंत्रित करने और गतिविधियों का स्तर सही से प्रबंधित करने के तरीके को प्रभावित करती है। एडीएचडी वाले बच्चे अक्सर जानकारी को समझने, काम करने और अपने आसपास के माहौल से जुड़ने में अलग तरीके से महसूस करते हैं। ये बदलाव उनके सीखने, भावनाओं को समझने और सामाजिक रिश्तों को प्रभावित कर सकते हैं।

एडीएचडी कोई व्यवहार की समस्या नहीं है, बल्कि यह मस्तिष्क की कार्यप्रणाली में अंतर है, जो ध्यान, आवेग नियंत्रण, और संगठन जैसी महत्वपूर्ण कार्यों को प्रभावित करता है।

एडीएचडी का निदान कैसे होता है?

एडीएचडी का निदान करने के लिए कोई एकल टेस्ट नहीं होता। इसके लिए डॉक्टर बच्चे के विकासात्मक इतिहास, व्यवहार और कुल मिलाकर कार्य करने के तरीके को समझने के लिए कई तरह की जानकारी इकट्ठा करते हैं। एक विस्तृत मूल्यांकन आमतौर पर एक बाल रोग विशेषज्ञ, बाल मनोवैज्ञानिक या मनोचिकित्सक द्वारा किया जाता है।

एडीएचडी निदान के चरण

  • विस्तृत चिकित्सा और विकासात्मक इतिहास
    – बच्चे के जन्म से जुड़ी जानकारी, विकास के मील के पत्थर, पारिवारिक इतिहास और किसी भी स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी की गहन समीक्षा की जाती है।
    – बच्चे की सीखने की शैली, सामाजिक व्यवहार और भावनात्मक प्रतिक्रियाएं समझी जाती हैं।
  • व्यवहार संबंधी अवलोकन
    – माता-पिता, शिक्षक और देखभाल करने वालों से जानकारी ली जाती है कि बच्चा घर, स्कूल और समाज में कैसे व्यवहार करता है
    – यह देखा जाता है कि बच्चा संरचित (व्यवस्थित) और असंरचित (अव्यवस्थित) वातावरण में कैसे प्रतिक्रिया करता है।
  • मानकीकृत रेटिंग स्केल और प्रश्नावली
    – कॉनर्स रेटिंग स्केल, वेंडरबिल्ट असेसमेंट स्केल और अन्य मानकीकृत प्रश्नावली बच्चों के ध्यान, अति सक्रियता और आवेगशीलता को मापने के लिए उपयोग की जाती हैं।
    – ये उपकरण विभिन्न परिस्थितियों में बच्चे के व्यवहार पैटर्न को मापने में मदद करते हैं।
  • नैदानिक साक्षात्कार और बातचीत
    – बच्चे के साथ एक-एक सत्र में पेशेवर लोग उनके व्यवहार और सामाजिक संपर्क का निरीक्षण करते हैं और एडीएचडी के लक्षणों की पहचान करते हैं।
    – पेशेवर अक्सर बच्चे से उम्र के हिसाब से ध्यान, आवेग नियंत्रण और संज्ञानात्मक लचीलापन (सोचने की क्षमता) का आकलन करने के लिए कार्य करते हैं।
  • अन्य स्थितियों को खारिज करना
    – एडीएचडी के लक्षण कभी-कभी चिंता, सीखने में अंतर, संवेदी प्रसंस्करण में अंतर या ऑटिज़्म जैसी समस्याओं के साथ मेल खा सकते हैं।
    इसलिए पेशेवर सभी कारकों का ध्यानपूर्वक मूल्यांकन करते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बच्चे को सही मदद मिल सके।

एक व्यापक निदान क्यों ज़रूरी है

एडीएचडी के लक्षण हर बच्चे में अलग होते हैं, और कोई एकल लक्षण इस स्थिति को पूरी तरह से नहीं समझा सकता। इसलिए, एक संपूर्ण मूल्यांकन बहुत ज़रूरी होता है, ताकि हम बच्चे की ताकत, चुनौतियाँ और जहां मदद की ज़रूरत है, उसे सही तरीके से समझ सकें।

  • व्यक्तिगत समझ: हर बच्चे में एडीएचडी के लक्षण अलग-अलग होते हैं। इसके लिए विस्तार से मूल्यांकन करना ज़रूरी है, ताकि हम बच्चे की ताकत और मदद की ज़रूरत वाले क्षेत्रों को पहचान सकें।
  • गलत निदान से बचना: एडीएचडी के लक्षण कभी-कभी चिंता, सीखने की समस्या या संवेदी प्राथमिकताओं जैसी समस्याओं के साथ मिल सकते हैं। एक संपूर्ण मूल्यांकन इससे बचने में मदद करता है और गलत इलाज को रोकता है।
  • सही फैसले लेना: सही निदान से परिवार और शिक्षक बच्चों को मदद करने के लिए सही रणनीतियाँ, उपचार और सुधार लागू कर सकते हैं।
  • बेहतर शैक्षिक और सामाजिक परिणाम: जल्दी पहचानने से बच्चों को मदद मिलती है, जिससे वे खुद को नियंत्रित करना, भावनात्मक रूप से मजबूत होना और अच्छे सामाजिक रिश्ते बनाना सीखते हैं।
  • शिक्षकों और चिकित्सकों का समर्थन: एक स्पष्ट निदान पेशेवरों को सीखने के तरीके और व्यवहार सुधारने की योजनाएं बनाने में मदद करता है, जिससे बच्चों की विकास यात्रा आसान होती है और वे कम निराश होते हैं।
  • परिवारों को सशक्त बनाता है: बच्चे की ज़रूरतों को समझकर, माता-पिता स्कूल और चिकित्सकों से बेहतर सहयोग कर सकते हैं, सही समायोजन की वकालत कर सकते हैं और घर में सकारात्मक माहौल बना सकते हैं।
  • आत्मविश्वास और जीवन कौशल बढ़ाता है: जल्दी मदद मिलने से बच्चे सीखने के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करते हैं, जिससे उनका आत्मविश्वास और जीवन में खुशहाली बढ़ती है।

निदान के बाद का समर्थन

एक बार जब एडीएचडी का निदान हो जाता है, तो परिवार कई प्रकार की सहायक मदद पा सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • व्यवहार थेरेपी: यह बच्चों को अपनी भावनाओं और आवेगों को नियंत्रित करने, सामाजिक संबंध बनाने और कठिन परिस्थितियों का सामना करने के कौशल सिखाती है।
  • माता-पिता का प्रशिक्षण और समर्थन: यह माता-पिता और देखभाल करने वालों को घर में एक सुरक्षित और व्यवस्थित माहौल बनाने के लिए ज़रूरी उपकरण देता है।
  • कक्षा समायोजन: स्कूल में बच्चों के लिए ध्यान केंद्रित करने, कार्य पूरा करने और भावनाओं को नियंत्रित करने के लिए कुछ विशेष बदलाव किए जाते हैं, ताकि वे बेहतर सीख सकें।
  • दवा (यदि ज़रूरत हो): कुछ मामलों में, डॉक्टर बच्चे के इलाज के लिए दवा भी दे सकते हैं, जो अन्य उपचार के साथ मिलाकर उपयोग की जाती है।

जब परिवार, शिक्षक और चिकित्सक मिलकर काम करते हैं, तो वे बच्चे के विकास के लिए एक सहायक वातावरण बनाते हैं। सभी लोग बच्चे की ताकत और ज़रूरतों को समझते हैं, जिससे हर जगह – घर, स्कूल और थेरेपी में – एक जैसे समर्थन और रणनीतियाँ लागू की जाती हैं। इससे बच्चे को सुरक्षा का अहसास होता है, भ्रम कम होता है और वे सकारात्मक तरीके से सीखते और व्यवहार करते हैं। इससे बच्चे का आत्मविश्वास बढ़ता है, वे ज़रूरी जीवन कौशल सीखते हैं और अपने सामने आने वाली चुनौतियों का सामना बेहतर तरीके से कर पाते हैं, जिससे उनका समग्र विकास और खुशहाली होती है। आप एडीएचडी के बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉ. हरिनी अत्तुरू के तेलुगु में बनाए गए विशेषज्ञ वीडियो भी देख सकते हैं।

आभार: हम इस जानकारी को तैयार करने में अपने विशेषज्ञ मार्गदर्शन के लिए विकासात्मक बाल रोग विशेषज्ञ, डॉ. सना स्मृति का धन्यवाद करते हैं। इस सामग्री का अंग्रेजी से तेलुगु में अनुवाद करने के लिए हमारी स्वयंसेवक, सुश्री सैलजा तदिमेती का विशेष आभार व्यक्त करते हैं।

नोट: हर बच्चा अलग होता है, और ADHD के लक्षण हर बच्चे में अलग-अलग हो सकते हैं। सभी बच्चे सूचीबद्ध लक्षणों का अनुभव नहीं करेंगे। हालांकि, यदि आपके बच्चे में कुछ ऐसे लक्षण दिखाई देते हैं जो यहां बताए गए हैं, तो पेशेवर मूल्यांकन से आपको सही जानकारी और मार्गदर्शन मिल सकता है।

यदि आपको ऑटिज़म, डाउन सिंड्रोम, ADHD या अन्य विकासात्मक अंतर के बारे में कोई सवाल है, तो “नयी दिशा” टीम आपकी मदद के लिए यहां है। आप हमारे मुफ्त हेल्पलाइन 844-844-8996 पर कॉल या व्हाट्सएप करके संपर्क कर सकते हैं। हमारे काउंसलर अंग्रेज़ी, हिंदी, मलयालम, गुजराती, मराठी, तेलुगु और बंगाली में मदद प्रदान करते हैं।

अस्वीकरण: यह तथ्यपत्र केवल जानकारी के उद्देश्य से है। व्यक्तिगत सहायता के लिए कृपया किसी योग्य स्वास्थ्य पेशेवर से सलाह लें।

 

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