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डाउन सिंड्रोम वाले व्यक्तियों के स्वास्थ्य की नियमित जांच के फायदे 

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डीएसएफआई

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महत्वपूर्ण जानकारी

  1. डाउन सिंड्रोम (DS) वाले बच्चों को कुछ स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा ज्यादा हो सकता है — लेकिन इन्हें समय पर जांच और सही देखभाल से अच्छे से संभाला जा सकता है।
  2. नियमित स्वास्थ्य जांच से आप पहले से तैयारी कर सकते हैं और भविष्य में होने वाली समस्याओं को कम कर सकते हैं।
  3. बच्चों के डॉक्टर (पेडियाट्रिशियन) से सलाह लें और जरूरत के अनुसार विशेषज्ञों के पास रेफर करें।
  4. अपने बच्चे की ताकत, जरूरतें और उनकी पसंदीदा चीज़ों पर ध्यान दें — हर बच्चा अपनी रफ्तार से बढ़ता है।
  5. आप अकेले नहीं हैं — समुदाय से समर्थन और मार्गदर्शन हमेशा उपलब्ध है।
Infographic Image

डाउन सिंड्रोम वाले बच्चे अपनी खास योग्यता, व्यक्तित्व और ताकत लेकर आते हैं। इनके साथ-साथ उन्हें कुछ स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती हैं, जो आम बच्चों की तुलना में ज्यादा हो सकती हैं। लेकिन अच्छी बात यह है कि अगर इन्हें जल्दी पहचान लिया जाए और सही देखभाल की जाए तो इन्हें आसानी से संभाला जा सकता है।

यह मार्गदर्शिका माता-पिता, देखभाल करने वालों और परिवारों के लिए है ताकि वे समझ सकें कि स्वास्थ्य जांच क्यों जरूरी है और किन बातों पर ध्यान देना चाहिए, ताकि आपका बच्चा अच्छे से बढ़ सके, सीख सके और खुश रह सके।

डाउन सिंड्रोम में नियमित स्वास्थ्य जांच क्यों जरूरी है?

डाउन सिंड्रोम एक आनुवंशिक स्थिति है जो शरीर के कई सिस्टम्स को प्रभावित कर सकती है। इसका मतलब है कि डाउन सिंड्रोम वाला बच्चा सुनने, देखने, बढ़वार, रोगप्रतिरोधक क्षमता, पाचन या थायरॉयड जैसे क्षेत्रों में थोड़ी ज्यादा देखभाल और समर्थन मांग सकता है।
इन चीज़ों की नियमित जांच करने से समस्याओं का खतरा कम होता है और आपका बच्चा सही समय पर सही मदद पा सकता है।
हालांकि हर डाउन सिंड्रोम वाला बच्चा इन सभी स्वास्थ्य समस्याओं का सामना नहीं करता, लेकिन नियमित डॉक्टर से मिलना और जांच कराना आपको एक कदम आगे रखता है।

डाउन सिंड्रोम वाले बच्चों में सामान्य स्वास्थ्य समस्याएं जिन पर ध्यान देना ज़रूरी है

यहाँ कुछ आम स्वास्थ्य समस्याएं दी गई हैं जो डाउन सिंड्रोम वाले बच्चों में हो सकती हैं। अच्छी बात यह है कि अगर इन्हें जल्दी पहचान लिया जाए, तो इन्हें आसानी से संभाला जा सकता है:

  1. बार-बार संक्रमण (Infections)
    त्वचा, मूत्राशय या सांस की नली में बार-बार संक्रमण हो सकते हैं, क्योंकि इम्यून सिस्टम थोड़ा कमजोर हो सकता है।
    किससे मिलें: बाल रोग विशेषज्ञ (Pediatrician) या इम्यूनोलॉजिस्ट
    कब जांच कराएं: अगर संक्रमण एक मौसम में 2–3 बार या ज़्यादा हो, या बहुत गंभीर लगे
  2. थायरॉयड की समस्या
    थायरॉयड हार्मोन (Hypothyroidism) कम हो सकता है, जिससे ऊर्जा, विकास और मूड पर असर पड़ता है।
    किससे मिलें: बाल रोग विशेषज्ञ या एंडोक्रिनोलॉजिस्ट
    कब जांच कराएं: जन्म के समय, फिर हर 6–12 महीने में
  3. दिल की समस्याएं
    कुछ बच्चों में जन्म से ही दिल में दोष (congenital heart defect) हो सकता है।
    किससे मिलें: बच्चों के हृदय रोग विशेषज्ञ (Pediatric Cardiologist)
    कब जांच कराएं: जन्म के बाद जल्दी, या अगर बच्चा दूध कम पिए, जल्दी थक जाए या सांस लेने में दिक्कत हो
  4. सुनने की परेशानी
    कान में बार-बार संक्रमण या तरल पदार्थ जमा होने से सुनाई देना प्रभावित हो सकता है।
    किससे मिलें: ईएनटी डॉक्टर और ऑडियोलॉजिस्ट
    कब जांच कराएं: पहले कुछ महीनों में, फिर हर 6–12 महीने में
  5. आंखों की समस्याएं
    नज़दीक का कम दिखना, मोतियाबिंद या आंखों का तिरछा होना (strabismus) आम हो सकते हैं।
    किससे मिलें: बच्चों के नेत्र विशेषज्ञ (Pediatric Ophthalmologist)
    कब जांच कराएं: 6 महीने की उम्र तक पहली बार आंखों की जांच कराएं
  6. मुंह और बोलने की समस्याएं (Oro-motor issues)
    खाना चबाने, दूध पीने या बोलने में परेशानी हो सकती है क्योंकि मुंह की मांसपेशियां कमजोर होती हैं।
    किससे मिलें: स्पीच-लैंग्वेज थैरेपिस्ट या फीडिंग थैरेपिस्ट
    कब जांच कराएं: अगर बच्चा दूध पीने में परेशानी दिखाए, चबाने में देरी हो या साफ बोल न पाए

  7. मांसपेशियों की कमजोरी (Hypotonia)
    बैठने, चलने, संतुलन और पोस्चर पर असर हो सकता है।
    किससे मिलें: फिजियोथेरेपिस्ट या ऑक्यूपेशनल थैरेपिस्ट
    कब जांच कराएं: अगर बैठने या चलने में देरी हो
  8. नींद से जुड़ी समस्याएं
    कुछ बच्चों को नींद में रुकावट या नींद में सांस लेने में दिक्कत (sleep apnea) हो सकती है।
    किससे मिलें: बाल रोग विशेषज्ञ या स्लीप स्पेशलिस्ट
    कब जांच कराएं: अगर बच्चा खर्राटे लेता है, बेचैन रहता है या दिन में थका हुआ दिखता है
  9. पाचन तंत्र की समस्याएं
    कब्ज, उल्टी (reflux) या पेट से जुड़ी संवेदनशीलता हो सकती है।
    किससे मिलें: बाल रोग विशेषज्ञ या बच्चों के गैस्ट्रो विशेषज्ञ
    कब जांच कराएं: अगर खाने में परेशानी, बार-बार पेट दर्द या वजन न बढ़े
  10. पैरों की बनावट और चलने की समस्या
    फ्लैट फीट (चपटे पैर) या चलने का ढंग अलग हो सकता है।
    किससे मिलें: फिजियोथेरेपिस्ट या ऑर्थोपेडिक डॉक्टर
    कब जांच कराएं: जब बच्चा खड़ा होना या चलना शुरू करे

कैसे रखें अपने बच्चे के स्वास्थ्य का ध्यान?

आप कैसे ट्रैक पर रह सकते हैं?
अपने बच्चे की उम्र के अनुसार एक हेल्थ चेकलिस्ट बनाएं
हर साल बाल रोग विशेषज्ञ के साथ हेल्थ रिव्यू शेड्यूल करें
घर पर बच्चे की वृद्धि (growth), खाने और नींद की आदतों पर नज़र रखें
सभी मेडिकल रिपोर्ट्स और रेफरल्स को एक हेल्थ फोल्डर में संभाल कर रखें
अगर बच्चे को चलने, बोलने या सीखने में देरी हो, तो जल्दी हस्तक्षेप (early intervention) सेवाओं से जुड़ें

स्वास्थ्य निगरानी को लेकर महत्वपूर्ण बात
ऊपर बताए गए कुछ लक्षण ऐसे बच्चों में भी देखे जा सकते हैं जिनको डाउन सिंड्रोम नहीं है।
उसी तरह, हर डाउन सिंड्रोम वाले बच्चे में ये सभी समस्याएं नहीं होंगी। सबसे जरूरी है
जागरूक रहना, ध्यान देना और समय रहते कदम उठाना।

एक देखभाल करने वाले (caregiver) के रूप में अगर आपको अपने बच्चे के विकास या स्वास्थ्य को लेकर कोई लगातार बदलाव दिखे या शंका हो, तो डॉक्टर से सलाह लेना बिल्कुल ठीक है।

डाउन सिंड्रोम कोई बीमारी नहीं है, और इसका इलाज नहीं है। लेकिन सही सपोर्ट के साथ, हर बच्चा एक पूरा, खुशहाल और अर्थपूर्ण जीवन जी सकता है।

स्वास्थ्य की निगरानी का मकसद समस्याएं ढूंढना नहीं, बल्कि आपके बच्चे को अच्छा बढ़ने और सीखने का मौका देना है।

अगर आप इस जानकारी का एक विज़ुअल सारांश (infographic) चाहते हैं, तो हम आपको डाउन सिंड्रोम वाले बच्चों की स्वास्थ्य निगरानी पर एक इनफोग्राफिक डाउनलोड करने का सुझाव देते हैं। इसमें ऊपर बताए गए सभी स्पेशलिस्ट्स की जानकारी भी दी गई है।

इसके अलावा, हम आपको एक प्रेज़ेंटेशन और वीडियो भी देखने के लिए आमंत्रित करते हैं, जो डाउन सिंड्रोम वाले बच्चों के लिए सेंसरी सपोर्ट पर आधारित हैये दोनों सामग्री मुफ्त में उपलब्ध हैं ।

सहायता चाहिए?

अगर आपके पास डाउन सिंड्रोम, ऑटिज़्म, एडीएचडी या किसी और विकास से जुड़ी स्थिति को लेकर सवाल हैं, तो नयी दिशा की टीम आपके साथ है। कॉल या व्हाट्सएप करें: 844-844-8996 भाषाएं: हिंदी, अंग्रेज़ी, मलयालम, गुजराती, मराठी, तेलुगू और बंगाली
हमारी सहायता सेवा नि:शुल्क और गोपनीय है।

आभार
विशेष धन्यवाद डॉ. नीना पीयूष वैद्य (बाल रोग विशेषज्ञ) को, जिनके विशेषज्ञ सुझावों ने इस जानकारी को बेहतर बनाने में मदद की।

हम अपने स्वयंसेवकों श्रीमती राधिका गुडुगुंटला और श्रीमती निवेदिता अग्रवाल का आभार प्रकट करते हैं, जिन्होंने इस सामग्री का तेलुगू और हिंदी में अनुवाद किया।

डिस्क्लेमर:
यह गाइड सिर्फ शैक्षणिक उद्देश्य के लिए है। यह चिकित्सा सलाह नहीं है। कृपया हमेशा एक योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से सलाह लें।

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