Skip to main content

एडीएचडी और उसके लक्षण समझिये

FaridaRaj_SEducator

फरीदा राज

इस भाषा में उपलब्ध है English
Like Icon 0पसंद किया गया
Download Icon 0 डाउनलोड्स

महत्वपूर्ण जानकारी

1. ADHD एक आम मानसिक स्थिति है जो बच्चों के ध्यान लगाने, भावनाओं को संभालने, सीखने और दूसरों से दोस्ती रखने की क्षमता को प्रभावित करती है।
2. ADHD वाले बच्चों को ध्यान लगाने, काम पूरा करने और स्कूल या दोस्तों से ठीक से बात-व्यवहार करने में परेशानी हो सकती है।
3. अगर ADHD को समय पर पहचाना जाए तो बच्चे को सही मदद और उसके लिए जरूरी बदलाव दिए जा सकते हैं।
4. ADHD के लक्षण हर बच्चे में अलग-अलग हो सकते हैं। एक ही तरह के लक्षण सभी में नहीं दिखते।
5. अगर बच्चे में ऐसे कई लक्षण दिखें, तो किसी डॉक्टर या विशेषज्ञ से सलाह लेना फायदेमंद होगा। इससे सही जानकारी और इलाज मिल सकता है।
6. ADHD के तीन मुख्य प्रकार होते हैं:
ध्यान की कमी वाला (Inattentive Type) , बहुत ज्यादा एक्टिव और जल्दी प्रतिक्रिया देने वाला (Hyperactive-Impulsive Type) , मिश्रित प्रकार (Combined Type)
7. जानकारियों से भरे तथ्यपत्र (factsheets) और विशेषज्ञों के वीडियो ADHD को बेहतर ढंग से समझने में मदद कर सकते हैं।

Loader Loading...
EAD Logo Taking too long?

Reload Reload document
| Open Open in new tab

Download [496.13 KB]

एडीएचडी क्या है?

एडीएचडी यानी अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर एक आम मानसिक और विकास से जुड़ी स्थिति है। यह बच्चों के ध्यान लगाने, भावनाओं को संभालने, सीखने और दूसरों से मेलजोल करने के तरीके को प्रभावित कर सकती है।

एडीएचडी वाले बच्चों को स्कूल में ध्यान लगाने, काम खत्म करने और पढ़ाई के तरीके अपनाने में दूसरों से थोड़ा अलग अनुभव हो सकता है। उनके दोस्त बनाने और रिश्ते निभाने का तरीका भी थोड़ा अलग हो सकता है।

अगर हम एडीएचडी को समय रहते पहचानें और समझें, तो बच्चों को बेहतर मदद और सपोर्ट दिया जा सकता है ताकि वे अपनी पढ़ाई और जीवन में अच्छा कर सकें।

एडीएचडी के प्रकार

ADHD के तीन मुख्य प्रकार

ADHD को उसके लक्षणों के आधार पर तीन भागों में बाँटा गया है:

  1. मुख्य रूप से ध्यान न देने वाला प्रकार (असावधान प्रस्तुति):
  • ऐसे बच्चे अक्सर एक काम से दूसरे काम में जल्दी चले जाते हैं और बहुत सारे आइडिया सोचते रहते हैं।
    उदाहरण: एक बच्चा कई आर्ट प्रोजेक्ट्स शुरू करता है, लेकिन कोई भी पूरा नहीं करता, क्योंकि उसे अगला प्रोजेक्ट ज़्यादा दिलचस्प लगने लगता है।
  • ये बच्चे जानकारी को अलग तरीके से समझते हैं, जिससे टाइम मैनेजमेंट और काम को अच्छी तरह से ऑर्गनाइज करना मुश्किल हो जाता है।
    उदाहरण: कक्षा में बैठकर ये बच्चे ख्यालों में खो जाते हैं और समय का ध्यान नहीं रख पाते।
  1. मुख्य रूप से बहुत एक्टिव और जल्दी-जल्दी करने वाला प्रकार (अतिसक्रिय-आवेगपूर्ण प्रस्तुति):
  • ये बच्चे बहुत ज्यादा जोश और ऊर्जा दिखाते हैं और हमेशा कुछ करने के लिए तैयार रहते हैं।
    उदाहरण: क्लास के दौरान बिना सोचे सीट से उठ जाते हैं या बिना अपनी बारी का इंतजार किए बात करने लगते हैं।
  • ये तुरंत प्रतिक्रिया देते हैं और तेज़ गतिविधियों को पसंद करते हैं।
    उदाहरण: उन्हें ऐसे खेल पसंद होते हैं जिनमें लगातार दौड़ना-भागना और तेज़ मूवमेंट हो।
  1. मिला-जुला प्रकार (संयुक्त प्रस्तुति):
  • ऐसे बच्चों में ऊपर बताए गए दोनों तरह के लक्षण एक साथ हो सकते हैं — ध्यान में कमी भी और ज़्यादा एक्टिव होना भी।
    उदाहरण: एक बच्चा कभी आर्ट प्रोजेक्ट में खो जाता है, तो कभी ज़ोर-शोर से खेलने में लग जाता है।
  • ये बच्चे कभी बहुत उत्साहित रहते हैं, तो कभी बहुत जल्दी ध्यान भटक जाता है।
    उदाहरण: वे कभी-कभी बहुत तेज़ी से काम करते हैं और कभी-कभी ध्यान ही नहीं दे पाते।

ADHD के लक्षण और उन्हें समझने की ज़रूरत

ADHD के लक्षण हर बच्चे में थोड़े अलग हो सकते हैं और उनकी उम्र या विकास के स्तर के अनुसार बदल सकते हैं। फिर भी, कुछ आम लक्षण अक्सर देखे जाते हैं:

ध्यान से जुड़ी समस्याएँ (असावधान लक्षण):

  • किसी काम पर लंबे समय तक ध्यान बनाए रखना मुश्किल होता है, खासकर जब काम थोड़ा लंबा या बोरिंग लगे।
  • चीज़ों को बार-बार कहीं रख देना या रोज़ की आदतें भूल जाना।
  • घर, स्कूल जैसे जाने-पहचाने माहौल में भी ध्यान भटक जाना या गुमसुम रहना।

बहुत एक्टिव रहना (अति सक्रिय लक्षण):

  • हमेशा कुछ न कुछ करने की ज़रूरत महसूस होना – जैसे बार-बार हिलना, चलना या टेबल पर उंगलियां टैप करना।
  • जब शांत बैठना ज़रूरी हो (जैसे क्लास में), तब भी चुपचाप बैठना मुश्किल होना।
  • ऐसे खेल या काम पसंद करना जिनमें दौड़ना-भागना या बातचीत शामिल हो।

बिना सोचे कुछ कर देना (आवेगपूर्ण लक्षण):

  • बिना सोचे बोल देना या काम कर देना, जिससे कभी-कभी बीच में टोकना या बात काटना हो सकता है।
  • अपनी बारी का इंतज़ार करना मुश्किल होता है।
  • जल्दी गुस्सा या निराश हो जाना – भावनाओं पर कंट्रोल रखना कठिन लग सकता है।

कुछ और ध्यान देने लायक बातें :

  • भावनाओं को संभालना: ऐसे बच्चे गहरी भावनाएं महसूस करते हैं और छोटी-छोटी बातों पर जल्दी निराश या परेशान हो सकते हैं।
  • समय को समझने में परेशानी: उन्हें यह अंदाज़ा लगाना मुश्किल हो सकता है कि किसी काम में कितना समय लगेगा।
  • काम खत्म करने की क्षमता में उतार-चढ़ाव: कभी बहुत अच्छा काम करते हैं, तो कभी बिल्कुल भी मन नहीं लगता – यह उनके मूड, रुचि और आसपास के माहौल पर भी निर्भर करता है।

ADHD का सही और पूरा मूल्यांकन क्यों ज़रूरी है?

एक अच्छे और व्यक्तिगत मूल्यांकन से न सिर्फ ADHD के लक्षणों की पहचान होती है, बल्कि यह भी पता चलता है कि बच्चे की ताकत क्या हैं और उन्हें किस चीज़ में मदद की ज़रूरत है। इससे हम बच्चे को उसकी ज़रूरतों के अनुसार सपोर्ट दे सकते हैं – जिससे वो पढ़ाई, भावनात्मक सेहत और जीवन में बेहतर कर सके। अगर शुरुआती उम्र में ही पहचान हो जाए, तो माता-पिता और शिक्षक बच्चे को समझने, मदद देने और उसके आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए सही कदम उठा सकते हैं।

शुरुआती पहचान का महत्व

अगर ADHD (ध्यान की कमी और ज़्यादा एक्टिव होने की स्थिति) की पहचान बच्चे में शुरुआत में ही हो जाए, तो यह उसके लिए एक सहायक और समझदार माहौल बनाने का अच्छा मौका होता है, जहाँ वह अच्छे से बढ़ सकता है। शुरुआती पहचान से माता-पिता, टीचर और देखभाल करने वाले यह समझ पाते हैं कि बच्चा किस तरह से पढ़ता है, उसे क्या पसंद या नापसंद है, और उसकी भावनाओं की क्या ज़रूरतें हैं। जब ADHD जल्दी पहचान में आ जाता है, तो परिवार केवल उसकी समस्याओं को ठीक करने की कोशिश करने के बजाय, बच्चे की अलग-अलग खूबियों को अपनाने और उसका साथ देने पर ध्यान दे सकते हैं।

शुरुआती पहचान के फायदे

    1. बच्चे के अनुसार मदद मिलना:
      जब ADHD की पहचान जल्दी हो जाती है, तो बच्चे की सीखने की आदतों के अनुसार मदद दी जा सकती है। जैसे – समय पर आराम के लिए छोटा ब्रेक देना या एक तय दिनचर्या बनाना, जिससे उसका रोज़ का काम आसान हो सके।
    2. भावनाओं को समझना और संभालना:
      जल्दी पहचान होने से माता-पिता और टीचर बच्चे की भावनाओं को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं। वे ऐसी तकनीकें अपना सकते हैं जो बच्चे को शांत रखने और भावनात्मक रूप से मज़बूत बनाने में मदद करें।
  • सामाजिक व्यवहार में सुधार:
    अगर शुरुआत से ही सही तरीके से समझ और सपोर्ट मिले, तो बच्चा दूसरों से बात करना और दोस्ती करना आसानी से सीख सकता है। इससे उसका आत्मविश्वास भी बढ़ता है।
  • सभी के लिए सहायक क्लासरूम:
    ADHD की समय पर पहचान से स्कूल ऐसा माहौल बना सकता है जहाँ हर बच्चा अपने तरीके से सीख सके। इससे पढ़ाई का माहौल सभी बच्चों के लिए अच्छा बनता है।
  1. बच्चे को खुद को समझने में मदद:
    जब बच्चे को शुरू से ही अपनी ताकत और ज़रूरतों का पता चलता है, तो वह खुद को लेकर अच्छा महसूस करता है। वह धीरे-धीरे अपने लिए बोलना और मदद मांगना भी सीख जाता है।

ADHD और इसके लक्षणों को पहचानने के तरीके के बारे में अधिक जानने के लिए, आप यह तथ्यपत्र देख सकते हैं। इसके अलावा, आप तेलुगु में ADHD पर डॉ. हरिनी अत्तुरू द्वारा बनाए गए वीडियो भी देख सकते हैं।

नोट: ADHD और अन्य सीखने में कठिनाई के लक्षण हर बच्चे में अलग-अलग होते हैं। हर बच्चा खास होता है, और लक्षणों का कोई एक समूह नहीं होता जो ADHD को परिभाषित करे। लेकिन अगर आपके बच्चे के अनुभवों से कई संकेत मेल खाते हैं, तो पेशेवर से जांच कराना मददगार हो सकता है और आपको सही मार्गदर्शन मिल सकता है।

अगर आपके पास ऑटिज़्म, डाउन सिंड्रोम, ADHD या अन्य विकासात्मक अंतर के बारे में सवाल हैं, या आप किसी बच्चे के विकास और सीखने के बारे में जानना चाहते हैं, तो नई दिशा टीम आपकी मदद के लिए यहाँ है। किसी भी सवाल या मदद के लिए, कृपया हमारी निःशुल्क हेल्पलाइन 844-844-8996 पर संपर्क करें। आप हमें कॉल या व्हाट्सएप कर सकते हैं। हमारी टीम अंग्रेजी, हिंदी, मलयालम, गुजराती, मराठी, तेलुगु और बंगाली भाषाओं में मदद करती है।

अस्वीकरण: यह मार्गदर्शिका केवल जानकारी देने के लिए है। अगर आपको व्यक्तिगत सलाह चाहिए, तो कृपया किसी योग्य पेशेवर से सलाह लें।

टैग्स :
ब्लॉग लिखें

आपके जैसे अन्य माता पिता के साथ अपने अनुभव साझा करें

हिन्दी
Install App
If you're using: