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अपने बच्चे के साथ सवेंदनशील दिवाली मनाने के टिप्स

Tips to have a sensory friendly Diwali

यह साल का वह समय होता है जब हम रोशनी और पटाखों का त्त्यौहार मनाने के लिए अपने परिवार और दोस्तों के साथ इकट्ठा होते हैं।  हम इस त्यौहार का बेसब्री से इंतजार करते हैं, हमारे विशेष जरूरत वाले बच्चों के लिए त्यौहार के दिन बहुत कठिन होते हैं जो कि सवेंदनशील नियमित और रोज एक ही तरह का जीवन जी रहे होते हैं।

Tips to have a sensory friendly Diwali

यहां कुछ बातें हैं करने जैसी जिससे हम हमारे बच्चों के साथ संवेदना के अनुकूल दिवाली का आनंद ले सकते हैं।

1)  योजना बनाते समय ध्यान रखें – त्यौहार का समय व्यस्त समय होता है इस समय आप अपने बच्चे के लिए कोई योजना बना सकते हैं जिसकी उसे जरूरत है ताकि आप आराम कर सके और अपने बच्चे के साथ इसका आनंद उठा सकें।

2) अपने बच्चे को तैयार करें – अपने बच्चे को आने वाली छुट्टी के लिए तैयार करें, उन्हें बताएं कि छुट्टी के दौरान उनसे क्या उम्मीद की जाएगी। साथ ही इसमें होने वाले किसी भी कार्यक्रम के बारे में और आने वाले मेहमानों के बारे में उन्हें पहले से ही सूचित भी करना जरूरी है। आप अपने बच्चे को तैयार करने के लिए विजुअल शेड्यूल (दृश्य तालिका) और सामाजिक कहानियों का उपयोग कर सकते हैं।

3) अपने मेहमानों को तैयार करें – यदि आपके यहां छुट्टियों में मेहमान आ रहे हैं तो उन्हें अपने बच्चे के प्रति उसकी जरूरतों के प्रति संवेदनशीलता बनाए रखने को पहले से ही कहें ताकि अनजाने में भी वे आपके बच्चे को परेशान ना कर पाएं।

4) नियमित दिनचर्या का पालन करें – विशेष आवश्यकता वाले बच्चे नियमित दिनचर्या का पालन करते हैं उनके लिए त्यौहार का समय एक अस्त-व्यस्त समय हो सकता है। इसलिए यह जरूरी है कि जितना संभव हो सके अपने बच्चे की सामान्य दिनचर्या को अपनाएं और यदि उसमें कोई भी बदलाव होने वाला हो तो अपने बच्चे को पहले से ही इसकी सूचना दे दें।

5) जाने पहचाने अनुभवों को ही अपनाएं – त्यौहार का मौसम आपके बच्चे के लिए नए अनुभव लेकर आता है ऐसे में अपने बच्चे को किसी भी नई चीज से परिचय ना कराएं। फिर वो नया भोजन, नए कपड़े, नए कौशल, नई गतिविधियाँ क्यों ना हों जिससे उन्हें व्याकुल होने से बचाया जा सके।

6) संवेदी (सेंसरी) जरूरतों का ख्याल रखें – त्यौहार का समय नई जगहों, ध्वनियों,बनावटों और गंध से भरा होता है और आपके संवेदनशील संवेदी बच्चों के लिए हानिकारक हो सकता है।यहां कुछ बातें हैं जो आप अपने बच्चे के साथ संवेदी अनुकूल दिवाली मनाने के लिए कर सकते हैं।

* दिवाली की मिठाइयों और नमकीन के साथ वह भोजन तैयार करें जो आपके बच्चे को पसंद हो।

* तेज आवाज से उन्हें बचाने के लिए इयरप्लग या नॉइस कैंसिलेशन हेडफोन का उपयोग करें।

* चमकदार या चमचमाती रोशनी से अगर आपका बच्चा परेशान होता है तो उसका इस्तेमाल ना करें।

* अगर आपके बच्चे को तेज गंध से परेशानी होती है तो उसका इस्तेमाल ना करें।

* त्यौहार के समय में कपड़े खरीदते समय इस बात का ध्यान रखें कि आपके बच्चे के लिए वह आरामदायक हों।

7) अपने बच्चे को उनकी जगह दें – यदि आपको दिखाई देता है कि आपका बच्चा व्याकुल हो रहा है तो उसे सभी गतिविधियों से दूर किसी ऐसी जगह ले जाएं जहां वह आराम कर सके और तरोताजा हो सके।

आपको और आपके परिवार को सवेंदनशील दीपावली की शुभकामनाएं।

संवेदी समस्याओं से छुटकारा पाने के तरीकों को जानने के लिए आप हमारे आर्टिकल को देख सकते हैं “आटिज्म बच्चों के माता-पिता कैसे संवेदी एकीकरण(सेंसरी इशू) के मुद्दों का प्रबंध कर सकते हैं डाउन सिंड्रोम बच्चों में संवेदी मुद्दे के बारे में भी जानकारी ले सकते हैं।

अगर आपके मन में ऑटिज्म डाउन सिंड्रोम एडीएसडी बौद्धिक विकलांगता और विकासात्मक देरी को लेकर कोई सवाल है तो नई दिशा की टीम आपकी मदद के लिए तैयार है। कोई भी प्रश्न हो तो आप हेल्पलाइन नंबर पर या व्हाट्सएप पर कॉल कर सकते हैं 844-844-8996। हमारे मार्गदर्शक विविध भाषाओं में आपसे बात कर सकते हैं इंग्लिश, हिंदी, मलयालम, गुजराती, मराठी, तेलगु और बंगाली।

अस्वीकरण: कृपया ध्यान दें कि यह लेख केवल सूचना के उद्देश्य से है।

ओपन डोर पॉलिसी

Opening the doors

बचपन में बच्चे का दिमाग हर दिन के अनुभवों से तेजी से बढ़ता और बदलता है। ये अनुभव उसके आगे के विकास की नींव रखते हैं। अगर विकास में कोई देरी  दिखाई दे, तो जल्दी पहचाने और समय पर सहायता दें ,यह  बच्चे के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। हर परिवार अलग होता है और माता-पिता अपने बच्चे को सबसे अच्छी तरह जानते हैं, इसलिए जब सहायता की योजना बनाई जाती है, तो बेहतर परिणाम तब मिलते हैं जब परिवार और विशेषज्ञ मिलकर काम करते हैं।

“ओपन डोर” एक अभियान है जो पेशेवरों को प्रोत्साहित करता है कि वे माता-पिता और देखभाल करने वालों को थेरेपी सत्रों के दौरान कमरे में उपस्थित होने का अवसर दें। यह परिवारों के साथ सकारात्मक साझेदारी बनाने की दिशा में पहला कदम हो सकता है।

देखभाल करने वाले अक्सर डॉक्टरों/थेरेपिस्टों को घर में क्या होता है, इसकी झलक दिखाते हैं, और बच्चे की पसंद, नापसंद, व्यवहार आदि के बारे में उनकी राय थेरेपी को अधिक सार्थक बनाने में मदद करती है। कुछ माता-पिता थेरेपी में सीखे हुए तरीकों को अपनाते हैं और अपने बच्चे की जरूरतों  के अनुसार उन्हें सहजता से बदल लेते हैं। बच्चे के साथ-साथ, थेरेपिस्ट/डॉक्टर भी समय के साथ परिवारों के साथ नए संबंध बनाते हैं। “ओपन डोर ” माता-पिता की चिंताओं और भविष्य को लेकर उनके सवालों पर नए संवाद और अवसर पैदा कर सकता है।

सबसे अच्छे नतीजे तब आते हैं जब थेरेपिस्ट और माता-पिता मिलकर काम करते हैं। अधिक जानकारी के लिए, यह वीडियो देखें।

जब माता-पिता और पेशेवर एक-दूसरे की प्राथमिकताओं और दृष्टिकोणों को समझते हैं और मिलकर निर्णय लेते हैं, तो परिवार और बच्चे के लिए बेहतर परिणाम मिलने की संभावना बढ़ जाती है। थेरेपिस्ट के साथ मिलकर काम करना परिवार का अधिकार है और इससे अच्छे नतीजे मिल सकते हैं।

जानें कि कैसे बच्चे की थेरेपी सत्र में भाग लेना माता-पिता के लिए फायदेमंद हो सकता है। अधिक जानकारी के लिए, यह वीडियो देखें।

यदि आपको ऑटिज़्म, डाउन सिंड्रोम, एडीएचडी या अन्य बौद्धिक विकलांगताओं के बारे में कोई सवाल हैं, या किसी बच्चे में विकास संबंधी देरी को लेकर चिंताएँ हैं, तो नई दिशा की टीम आपकी मदद के लिए यहाँ है। किसी भी प्रश्न या जानकारी के लिए हमारी मुफ्त हेल्पलाइन 844-844-8996 पर संपर्क करें। आप हमें कॉल कर सकते हैं या व्हाट्सएप भी कर सकते हैं। हमारे काउंसलर विभिन्न भाषाएँ बोलते हैं, जिनमें अंग्रेज़ी, हिंदी, मलयालम, गुजराती, मराठी, तेलुगु और बंगाली शामिल हैं।

सूचना : कृपया ध्यान दें कि यह मार्गदर्शिका केवल जानकारी के उद्देश्य से है। सुरक्षित उपचार के लिए कृपया किसी योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से परामर्श लें।

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