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डिस्लेक्सिया क्या है और इसे कैसे समझें व संभालें?

FaridaRaj_SEducator

फरीदा राज

इस भाषा में उपलब्ध है English
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महत्वपूर्ण जानकारी

  1. डिस्लेक्सिया एक विशेष प्रकार की सीखने में कठिनाई (learning disability) है, जो पढ़ने, शब्दों को समझने और स्पेलिंग में परेशानी पैदा करती है।
  2. यह बुद्धि (intelligence) या मेहनत की कमी से नहीं होता और न ही यह किताबें कम पढ़ने या पढ़ाने में कमी के कारण होता है।
  3. डिस्लेक्सिया के अलग-अलग प्रकार होते हैं — जैसे विजुअल (दृष्टि से जुड़ा), ऑडिटरी (सुनने से जुड़ा) और डीप डिस्लेक्सिया।
  4. हर पढ़ने में देरी को डिस्लेक्सिया नहीं कहा जा सकता। कई बार बच्चे अलग-अलग समय पर पढ़ाई के लिए तैयार होते हैं।
  5. अगर शुरुआत में ही पहचान हो जाए, और धैर्य व सही तरीके से मदद मिले, तो बच्चा अच्छी तरह सीख सकता है और आगे बढ़ सकता है।
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डिस्लेक्सिया क्या है?

डिस्लेक्सिया एक सीखने में कठिनाई (learning disability) है, जिसमें किसी व्यक्ति को पढ़ने, स्पेलिंग करने और लिखी हुई भाषा को समझने में परेशानी होती है, भले ही उसे अच्छी पढ़ाई, सही बुद्धि और पर्याप्त प्रेरणा मिल रही हो। यह सबसे आम सीखने की कठिनाइयों में से एक है और हर 10 में से लगभग 1 बच्चे को प्रभावित करता है।

पढ़ना एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें देखने की क्षमता, आवाज़ों को पहचानना, याददाश्त और समझने की शक्ति शामिल होती है। डिस्लेक्सिया वाले बच्चों में इनमें से एक या अधिक प्रक्रियाएं अलग तरह से काम करती हैं।
इसका मतलब यह नहीं कि बच्चा आलसी है या कोशिश नहीं कर रहा — बल्कि उसका मस्तिष्क भाषा को अलग तरीके से प्रोसेस करता है।

पढ़ाई की तैयारी बनाम डिस्लेक्सिया

हर पढ़ने में कठिनाई डिस्लेक्सिया नहीं होती। कुछ बच्चों को पढ़ने के लिए तैयार होने में बस थोड़ा समय अधिक लगता है। पढ़ने की तैयारी में शामिल होता है:

  • आवाज़ों को सुनना और जोड़ना सीखना (phonemic awareness)
  • अक्षरों और उनकी आवाज़ों को पहचानना
  • बोलचाल की भाषा के ज़रिए शब्दों का भंडार बनाना

हर बच्चा अपने गति से सीखता है। सिर्फ पढ़ने में देरी को डिस्लेक्सिया नहीं कहा जा सकता।
डिस्लेक्सिया की पहचान तब होती है जब लगातार कठिनाई दिखती है, चाहे अच्छी पढ़ाई और मदद मिल रही हो।

डिस्लेक्सिया के लक्षण

हर बच्चे में लक्षण अलग हो सकते हैं, लेकिन नीचे कुछ सामान्य संकेत दिए गए हैं:

प्री-स्कूल (3-5 साल):

  • बोलने में देरी या नए शब्द सीखने में कठिनाई
  • कविताएं या तुक वाले खेल याद रखने में परेशानी
  • अक्षर पहचानने या वर्णमाला याद करने में कठिनाई

प्राइमरी स्कूल (6-11 साल):

  • पढ़ना और स्पेलिंग सीखने में परेशानी
  • अक्षरों और उनकी आवाज़ों को जोड़ने में दिक्कत
  • b/d जैसे अक्षरों को उल्टा लिखना या शब्दों को पीछे से लिखना
  • पढ़ने में बहुत धीमापन या मेहनत लगना
  • ज़ोर से पढ़ने से बचना

बड़े बच्चे (12+ साल):

  • कहानियों को संक्षेप में बताने में परेशानी
  • गलत स्पेलिंग या बार-बार बदलती हुई लेखन शैली
  • विदेशी भाषा सीखने में कठिनाई
  • पढ़े हुए पाठ को समझने में दिक्कत

डिस्लेक्सिया के प्रकार

डिस्लेक्सिया हर बच्चे में एक जैसा नहीं होता। इसके कई प्रकार होते हैं, जो अलग-अलग तरीकों से असर डालते हैं:

  1. विज़ुअल डिस्लेक्सिया (Visual Dyslexia): बच्चे को अक्षरों और शब्दों को देखकर पहचानने और याद रखने में कठिनाई होती है। वह पढ़ते समय शब्द छोड़ सकता है या लाइन भूल सकता है।
  2. ऑडिटरी डिस्लेक्सिया (Auditory Dyslexia / Phonological Dyslexia): बच्चे को शब्दों की आवाज़ों को पहचानने और जोड़ने में कठिनाई होती है। इससे नए शब्दों को पढ़ना और समझना मुश्किल हो जाता है।
  3. डीप डिस्लेक्सिया (Deep Dyslexia): यह एक जटिल प्रकार है जिसमें बच्चे को शब्दों को देखने और सुनने दोनों में परेशानी होती है। वह एक शब्द को किसी और शब्द की तरह पढ़ सकता है या उसका अर्थ समझने में कठिनाई हो सकती है।

 यह जानना कि बच्चे को किस प्रकार का डिस्लेक्सिया है, मदद की सही रणनीति बनाने में सहायक होता है।

 डिस्लेक्सिया की पहचान कैसे होती है?

डिस्लेक्सिया की पहचान एक संपूर्ण मूल्यांकन (comprehensive evaluation) के माध्यम से की जाती है। इसमें यह देखा जाता है कि बच्चा भाषा को कैसे समझता और प्रोसेस करता है, न कि सिर्फ यह कि वह कितनी अच्छी तरह पढ़ या लिख सकता है।

 कौन मूल्यांकन कर सकता है?

डिस्लेक्सिया की औपचारिक पहचान निम्न विशेषज्ञ कर सकते हैं:

  • क्लिनिकल या एजुकेशनल साइकोलॉजिस्ट
  • विशेष शिक्षा प्रशिक्षित शिक्षक (Special Educators)
  • स्पीच और लैंग्वेज थैरेपिस्ट (अगर भाषा से संबंधित समस्याएं हों)

ये विशेषज्ञ मानकीकृत (standardized) उपकरणों और बच्चे के व्यवहार को देखकर यह समझने की कोशिश करते हैं कि बच्चा कैसे सोचता है, सीखता है और विभिन्न तरीकों की पढ़ाई पर कैसे प्रतिक्रिया करता है।

मूल्यांकन में क्या शामिल होता है?

डिस्लेक्सिया की जांच में ये चीज़ें शामिल हो सकती हैं:

  • पृष्ठभूमि जानकारी: बच्चे का शुरुआती विकास, स्कूल का प्रदर्शन, और परिवार में किसी को लर्निंग से जुड़ी कठिनाइयां रही हैं या नहीं।
  • भाषा और पढ़ने का परीक्षण: बच्चे को शब्दों को पहचानने, पढ़ने, समझने और अक्षरों को आवाज़ से जोड़ने की क्षमता की जांच की जाती है।
  • स्मृति और प्रोसेसिंग स्किल्स: यह देखा जाता है कि बच्चा बोले गए या लिखे गए शब्दों को कितनी जल्दी और सही समझ पाता है।
  • अवलोकन (Observation): बच्चे को पढ़ने-लिखने के कार्य करते समय ध्यान से देखा जाता है कि वह क्या तरीके अपनाता है।
  • भावनात्मक और व्यवहारिक स्क्रीनिंग: यह समझने के लिए कि पढ़ाई की कठिनाई उसके आत्मविश्वास या मनोबल पर असर तो नहीं डाल रही।

यह प्रक्रिया सहयोगात्मक और बच्चे की ताक़तों पर आधारित होती है। इसका मकसद किसी कमी को ढूंढना नहीं, बल्कि यह जानना होता है कि बच्चा सबसे अच्छी तरह कैसे सीखता है।

यदि आपको अपने बच्चे में पढ़ाई से जुड़ी बार-बार आने वाली कठिनाइयां दिख रही हैं, और वह नियमित अभ्यास व अच्छे टीचिंग के बाद भी सुधार नहीं दिखा रहा, तो एक पेशेवर मूल्यांकन ज़रूर करवाएं।

जल्दी पहचान से जल्दी मदद मिलती है – और यही बच्चे की सीखने की यात्रा में बड़ा बदलाव ला सकती है।

डिस्लेक्सिया में निदान कब करवाना चाहिए?
अगर आपके बच्चे को अच्छी टीचिंग और नियमित रूप से पढ़ने का अभ्यास मिला है, फिर भी वह लगातार पढ़ने, वर्तनी (spelling), या लिखने में कठिनाई महसूस कर रहा है — तो यह जरूरी हो सकता है कि आप मूल्यांकन (assessment) करवाएं।
जल्दी पहचान = जल्दी मदद — और यही आपके बच्चे की सीखने की यात्रा में बड़ा बदलाव ला सकती है।

 माता-पिता बच्चों की मदद कैसे कर सकते हैं? (Dyslexia में सपोर्ट के टिप्स)

  • धैर्य रखें और प्रोत्साहित करें: पढ़ाई बच्चे के लिए मुश्किल हो सकती है, लेकिन आपका भरोसा और प्यार उनके लिए बहुत मददगार होता है।
  • ताकतों पर ध्यान दें: डिस्लेक्सिया वाले कई बच्चे रचनात्मक (creative), कल्पनाशील (imaginative), समस्या सुलझाने में अच्छे और बोलने में कुशल होते हैं। उनकी खूबियों की सराहना करें।
  • मल्टीसेंसरी टेक्निक अपनाएं: ऑडियो बुक्स, रंगीन पन्नों से पढ़ाई, रेत में अक्षर बनाना या विशेष ऐप्स का उपयोग करें जिससे पढ़ना आसान हो।
  • साथ में पढ़ें: पढ़ाई को बिना दबाव के मज़ेदार बनाएं। आप बच्चे को पढ़कर सुनाएं और जब वह तैयार हो तो उसे भी ज़ोर से पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करें।
  • समय दें: पढ़ने-लिखने में बच्चे को ज़्यादा समय दें। उन्हें जल्दी न करें।
  • बड़े कार्यों को छोटे हिस्सों में बाँटें: लंबे पढ़ाई या लेखन कार्यों को छोटे और आसान भागों में बाँटें।
  • तकनीक का सहारा लें: Text-to-speech ऐप्स, ऑडियो बुक्स, या speech-to-text सॉफ्टवेयर का उपयोग करें जिससे पढ़ाई आसान हो सके।
  • शांत माहौल बनाएं: डिस्लेक्सिया वाले बच्चों को आसानी से तनाव हो सकता है। एक शांत, व्यवस्थित और बिना ध्यान भटकाने वाली जगह पढ़ाई के लिए बनाएं।
  • शिक्षकों से सहयोग लें: शिक्षकों या स्पेशल एजुकेटर्स के साथ मिलकर बच्चे के लिए Individualized Learning Plan (ILP) बनाएं।
  • औपचारिक मूल्यांकन करवाएं: अगर आपको डिस्लेक्सिया का संदेह है, तो किसी मनोवैज्ञानिक (psychologist) या विशेष शिक्षक से मूल्यांकन करवाएं जिससे आपको स्पष्ट जानकारी मिले और एक सहयोग योजना तैयार की जा सके।

हर बच्चा अलग होता है

डिस्लेक्सिया के लक्षण हर बच्चे में अलग-अलग हो सकते हैं। कुछ लक्षण दूसरे लर्निंग डिसऑर्डर से भी मिलते-जुलते हो सकते हैं।
डिस्लेक्सिया अक्सर ADHD, डिस्ग्राफिया (लेखन में कठिनाई), या giftedness (अत्यधिक प्रतिभा) के साथ भी देखा जा सकता है।

अपने बच्चे को अलग-अलग स्थितियों में ध्यान से देखें।
अगर लक्षण लगातार बने रहें और बच्चे की पढ़ाई पर असर डालें — तो विशेषज्ञ से सलाह लेना उचित रहेगा।

डिस्प्रेक्सिया, डिस्केल्कुलिया और डिस्ग्राफिया जैसी अन्य सीखने की कठिनाइयों के बारे में जानने के लिए कुछ समय निकालें। 

मदद चाहिए?

अगर आपके पास ऑटिज़्म, डाउन सिंड्रोम, ADHD, या अन्य विकास से जुड़ी स्थितियों के बारे में सवाल हैं, या किसी बच्चे के विकास में देरी की चिंता है — Nayi Disha टीम आपकी मदद के लिए तैयार है।  कॉल या WhatsApp करें: 844-844-8996 हमारी काउंसलर्स इन भाषाओं में बात कर सकते हैं: हिंदी, अंग्रेज़ी, मलयालम, गुजराती, मराठी, तेलुगु और बंगाली।
हमारी सेवा बिल्कुल मुफ्त और गोपनीय है।

 डिस्क्लेमर

यह गाइड केवल जानकारी के उद्देश्य से है। कृपया उचित सलाह के लिए किसी योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से संपर्क करें।

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