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डिस्प्रेक्सिया क्या है और इसका इलाज कैसे करें?

FaridaRaj_SEducator

फरीदा राज

इस भाषा में उपलब्ध है English
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महत्वपूर्ण जानकारी

  • प्रैक्सिस (Praxis) का मतलब है दिमाग की वह क्षमता जिससे हम कोई नया या अनजाना काम सोचकर, योजना बनाकर और सही तरीके से कर पाते हैं।
  • डिस्प्रैक्सिया (Dyspraxia) एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर की हलचल और काम करने की समायोजन शक्ति (coordination) प्रभावित होती है।
  • डिस्प्रैक्सिया से जुड़े बच्चों को सीखने, भाषा समझने, देखने की प्रक्रिया और अपने व्यवहार को नियंत्रित करने में परेशानी हो सकती है।
  • ये बच्चे बटन लगाना, ज़िप चढ़ाना, कैंची चलाना या पेंसिल-पेन पकड़ने जैसे कामों में मुश्किल महसूस कर सकते हैं।
  • वे अक्सर जानते हैं कि उन्हें क्या करना है, लेकिन उसे करने में उन्हें कठिनाई होती है।
  • शुरुआती संकेतों में नकल (इमिटेशन) करके सीखने में परेशानी देखी जा सकती है।
  • हर बच्चे में लक्षण अलग होते हैं – जरूरी नहीं कि सभी लक्षण हर बच्चे में दिखाई दें।
  • इससे जुड़ी दूसरी स्थितियाँ भी समझनी ज़रूरी हैं, जैसे – डिस्लेक्सिया (Dyslexia), डिस्कैल्कुलिया (Dyscalculia), और डिसग्राफिया (Dysgraphia)

डिस्प्रैक्सिया (Dyspraxia) क्या है?

प्रैक्सिस (Praxis) दिमाग की वह क्षमता है जिससे हम कोई काम सोचकर, उसे योजना बनाकर और फिर उस काम को एक क्रम में कर पाते हैं – खासकर ऐसे काम जो नए हों या पहले कभी न किए हों, जैसे किसी की हरकत को पहली बार देखकर उसकी नकल करना।

डिस्प्रैक्सिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें किसी काम को समझदारी से योजनाबद्ध तरीके से करना और उसे ठीक से अंजाम देना मुश्किल हो जाता है। यह दिमाग द्वारा शरीर की हरकतों से जुड़ी जानकारी को प्रोसेस करने के तरीके को प्रभावित करता है। इसका असर रोज़मर्रा के कामों पर पड़ता है – जैसे पेंसिल पकड़ना, खुद से कपड़े पहनना, या किसी की हरकत की नकल करना। ये काम डिस्प्रैक्सिया वाले बच्चों के लिए उतने आसान नहीं होते जितने कि उनकी उम्र के दूसरे बच्चों के लिए होते हैं।

यह इसलिए नहीं होता कि बच्चा कोशिश नहीं कर रहा है या वह आलसी है। डिस्प्रैक्सिया एक न्यूरोडेवलपमेंटल (neurodevelopmental) स्थिति है। इसका मतलब है कि बच्चे का दिमाग थोड़ा अलग तरीके से काम करता है – खासकर उन हिस्सों में जो गति (movement), तालमेल (coordination) और योजना (planning) से जुड़े होते हैं।

डिस्प्रैक्सिया के संकेत और रोज़मर्रा की चुनौतियाँ

डिस्प्रैक्सिया से जुड़े बच्चों को केवल शरीर की हरकतों (motor skills) में ही नहीं, बल्कि सीखने, भाषा समझने, देखने से जुड़ी प्रक्रिया और भावनाओं को संभालने में भी मुश्किलें हो सकती हैं। यहाँ कुछ उदाहरण दिए गए हैं कि डिस्प्रैक्सिया रोज़ की ज़िंदगी में कैसा दिख सकता है:

 बारीक और बड़ी हरकतों (Fine and Gross Motor Skills) में कठिनाई

  • शर्ट के बटन लगाने, जैकेट की ज़िप चढ़ाने या जूते के नाडे बाँधने में परेशानी
  • कैंची, चम्मच-कांटे या क्रेयॉन का इस्तेमाल करने में दिक्कत
  • बॉल को पकड़ना, फेंकना या मारना कठिन लगना

 लिखने और कक्षा से जुड़ी गतिविधियों में कठिनाई

  • धीरे-धीरे और धीमी गति से लिखना
  • पेंसिल को ठीक से पकड़ने में मुश्किल
  • लिखने वाले कामों से बचना या जल्दी हार मान लेना

 मोटर प्लानिंग (Motor Planning) में परेशानी

  • बच्चा जानता है कि क्या करना है, लेकिन करते-करते बीच में ही “रुक” जाता है
  • हड़बड़ाया या असंतुलित (clumsy) लगना
  • नए फिज़िकल रूटीन (जैसे खेल-कूद या डांस स्टेप्स) सीखने में ज़्यादा समय लगना

 शुरुआती विकास के संकेत (Early Developmental Signs)

  • टॉडलर उम्र में दूसरों की नकल करके सीखने में परेशानी
  • रेंगने, चलने या बोलने जैसे विकास के पड़ाव देर से पूरे होना
  • जब एक से ज़्यादा स्टेप्स वाला निर्देश दिया जाए, तो बच्चा जल्दी परेशान हो जाना

 संकेतों को समझते समय ध्यान रखें:

जब आप किसी बच्चे में सीखने या विकास से जुड़ी कठिनाइयों के संकेत और लक्षणों को समझने की कोशिश कर रहे हों, तो यह याद रखना बहुत ज़रूरी है:

  • कोई भी बच्चा सारे संकेत नहीं दिखाता।
  • एक जैसे संकेत हर जगह एक जैसे नहीं दिखते – घर, स्कूल या बाहर के माहौल में अंतर हो सकता है।
  • कभी-कभी बच्चे थके होने या चिंतित होने पर लिखने या तालमेल में परेशानी दिखा सकते हैं – इसका मतलब यह नहीं कि उन्हें कोई समस्या है।
  • लेकिन अगर कई संकेत लंबे समय तक बने रहें और दैनिक जीवन को प्रभावित करें, तो किसी विशेषज्ञ से सलाह लेना फ़ायदेमंद हो सकता है।

यह किसी लेबल (label) देने की बात नहीं है, बल्कि अपने बच्चे को बेहतर समझने और उनके सीखने के तरीके के अनुसार मदद करने की कोशिश है।

डिस्प्रैक्सिया को जल्दी पहचानना क्यों ज़रूरी है

अगर किसी बच्चे में डिस्प्रैक्सिया की पहचान जल्दी हो जाए, तो माता-पिता और शिक्षक यह समझ पाते हैं कि बच्चा आलसी या ज़िद्दी नहीं है, बल्कि वह कुछ असली चुनौतियों से जूझ रहा है – जो हमेशा बाहर से दिखाई नहीं देतीं।
जल्दी पहचान और सही सहयोग इन तरीकों से मदद करता है:

  1. बच्चे का आत्मविश्वास बढ़ता है और निराशा कम होती है

डिस्प्रैक्सिया वाले बच्चों को अक्सर लगता है कि जो काम उनके दोस्तों के लिए आसान हैं, वो उनके लिए बहुत मुश्किल हैं।
अगर उन्हें समय रहते सहयोग न मिले, तो वे खुद पर शक करने लगते हैं या सोचते हैं कि “मैं तो कुछ कर ही नहीं सकता।”

जल्दी पहचान होने पर माता-पिता और शिक्षक:

  • बच्चे की गति के अनुसार उम्मीदें तय कर सकते हैं
  • उस समय मदद दे सकते हैं जब बच्चा ज़्यादा परेशान हो रहा हो
  • कोशिशों और छोटे-छोटे सुधारों की तारीफ़ करके उसका आत्मबल बढ़ा सकते हैं

इससे बच्चा निराश होने की जगह खुद को सुरक्षित और समझा हुआ महसूस करता है।

  1. बच्चा अपने हिसाब से धीरे-धीरे कामों को सीख पाता है

डिस्प्रैक्सिया वाले बच्चों को दैनिक काम जैसे – दाँत साफ़ करना, जूते के फीते बाँधना, साइकिल चलाना या लंबे समय तक सही ढंग से बैठना – सीखने में ज़्यादा समय लगता है। अगर इन बातों की जल्दी पहचान हो जाए, तो इन्हें “मेहनत की कमी” नहीं समझा जाता, बल्कि इसे बच्चे के सीखने के अलग तरीके के रूप में स्वीकार किया जाता है।

इस समझ के साथ माता-पिता और शिक्षक बच्चे को धीरे-धीरे और सहारा देकर नई चीज़ें सिखा सकते हैं।

  1. ग़लतफहमी और ग़लत लेबलिंग से बचाव होता है

अगर डिस्प्रैक्सिया के बारे में जानकारी न हो, तो बच्चे के संघर्ष को “आलस”, “ध्यान की कमी” या “बुरे व्यवहार” के रूप में देखा जा सकता है।

जल्दी पहचान हमें यह सोचने से रोकती है कि “बच्चे में क्या गड़बड़ है?”
बल्कि ये सोचने में मदद करती है – “इस बच्चे के दिमाग के काम करने के तरीके को हम कैसे बेहतर समझ सकते हैं?”

इस बदलाव से:

  • बड़े लोगों में बच्चे के प्रति धैर्य और सहानुभूति आती है
  • बच्चा नकारात्मक नामों या सख्त सज़ा से बचता है
  • उसे अकेले छोड़ने के बजाय शामिल किया जाता है
  1. परिवार को सही रणनीतियाँ और टूल्स मिलते हैं

जब परिवार को सही जानकारी और उपकरण मिलते हैं, तो वे बच्चे की मदद आसानी और आत्मविश्वास के साथ कर पाते हैं। साधारण बदलाव, जैसे: विज़ुअल शेड्यूल का उपयोग, किसी काम को छोटे-छोटे हिस्सों में बाँटना, शांत और प्रोत्साहित करने वाला माहौल बनाना …बच्चे के लिए बहुत बड़ा फ़र्क ला सकते हैं। जब आप समझ पाते हैं कि आपका बच्चा कैसे सीखता है – और आप उसके साथ तालमेल बिठाते हैं (उसके खिलाफ नहीं जाते) – तो तनाव कम होता है और बच्चा अपने ढंग से बेहतर विकास कर पाता है।

डिस्प्रैक्सिया से जुड़े बच्चे अक्सर बहुत संवेदनशील, समझदार और रचनात्मक होते हैं – बस उन्हें थोड़ा अलग तरह का सहारा चाहिए ताकि वे अपनी चमक दिखा सकें।

घर पर अपनाई जा सकने वाली आसान मदद की रणनीतियाँ

अपने बच्चे की मदद करने के कुछ सरल और कोमल तरीके:

  • किसी भी काम को छोटे-छोटे और आसान हिस्सों में बाँटें।
  • दैनिक कामों के लिए विज़ुअल संकेत या चेकलिस्ट का इस्तेमाल करें।
  • केवल नतीजों पर नहीं, बल्कि बच्चे की कोशिशों की भी तारीफ़ करें।
  • खेल और मज़ेदार गतिविधियों के ज़रिए तालमेल (coordination) बढ़ाएँ – जैसे कैच-कैच खेलना, नाचना, या पज़ल्स लगाना।
  • बच्चे को उसकी रफ्तार से चीज़ें समझने और सीखने का समय दें – कई बार बच्चों को थोड़ा ज़्यादा समय और अपनी जगह चाहिए होती है।

जुड़ी हुई अन्य लर्निंग डिफरेंसेज़ के बारे में जानें

कभी-कभी डिस्प्रैक्सिया के साथ-साथ दूसरी सीखने से जुड़ी कठिनाइयाँ या विकास संबंधी स्थितियाँ भी हो सकती हैं। आपको इन स्थितियों के बारे में भी जानकारी लेना फ़ायदेमंद रहेगा:

  • डिस्लेक्सिया (Dyslexia) – पढ़ने और भाषा को समझने में कठिनाई
  • डिस्कैल्कुलिया (Dyscalculia) – गणित और संख्याओं को समझने में परेशानी
  • डिसग्राफिया (Dysgraphia) – लिखावट और बारीक हाथ के कामों में कठिनाई
  • ऑटिज़्म, ADHD और डाउन सिंड्रोम – इन स्थितियों में भी डिस्प्रैक्सिया जैसी कुछ समानताएँ हो सकती हैं, खासकर समन्वय (coordination), आत्म-नियंत्रण (regulation), और सेंसरी प्रोसेसिंग में

इन जानकारियों से आपको अपने बच्चे के लिए सही सहयोग, ज़रूरी सुविधाएँ और अनुकूल शिक्षा का माहौल तैयार करने में मदद मिलेगी, जिससे वह बेहतर तरक्की कर सके।

एक पल निकालकर डिस्लेक्सिया, डिस्कैल्कुलिया और डिसग्राफिया जैसी अन्य सीखने में आने वाली कठिनाइयों (लर्निंग डिसएबिलिटीज़) के बारे में भी जानने और समझने की कोशिश करें।

अगर आपके मन में ऑटिझम, डाउन सिंड्रोम, ADHD या अन्य बौद्धिक/विकास संबंधी अंतर को लेकर सवाल हैं, या आपको किसी बच्चे की विकास गति को लेकर चिंता है, तो नई दिशा (Nayi Disha) की टीम आपकी मदद के लिए हमेशा तैयार है। हमसे मुफ़्त में संपर्क करें: 844-844-8996 (कॉल या व्हाट्सऐप करें) हमारे प्रशिक्षित काउंसलर अंग्रेज़ी, हिंदी, मलयालम, गुजराती, मराठी, तेलुगु और बंगाली जैसी भाषाएँ बोलते हैं।

DISCLAIMER: यह गाइड डिस्प्रैक्सिया और उससे जुड़ी स्थितियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और मूलभूत जानकारी देने के लिए है। यह कोई डायग्नोस्टिक टूल (औपचारिक जांच उपकरण) नहीं है। कृपया किसी योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से सही सलाह लें।

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