यह ऑडियो श्रृंखला डाउन सिंड्रोम बच्चों के माता-पिता और देखभालकर्ताो के लिए। इसका मक़सद हैं आपके मन में कुछ अक्सर आने वाले सवालों का जवाब देना। इन सवाल-जवाबों को इकट्ठा करने के लिए हम Down Syndrome Federation of India, Chennai के आभारी हैं।
Q1 डाउन सिंड्रोम क्या है?
A1 जब किसी व्यक्ति के सेल में दो क्रोमोसोम 21 के बजाय तीन क्रोमोसोम 21 पाए जाते हैं, तब यह स्थिति डाउन सिंड्रोम का कारण बनती है। यह सबसे सामान्य तौर पर पाई जाने वाली क्रोमोसोमल असामान्यता है।
यह अतिरिक्त क्रोमोसोम व्यक्ति के शारीरिक एवं मानसिक विकास को प्रभावित करता है। डाउन सिंड्रोम से प्रभावित व्यक्ति में कुछ हद तक बौद्धिक अक्षमता देखी गई है, जो आमतौर पर हल्के से मध्यम श्श्रेणी में हो सकती है। डाउन सिंड्रोम से जुड़ी कई विशेषताएँ हैं, जैसे की दुर्बल मांसपेशियाँ, बढ़ी हुई जीभ, सपाट चेहरा और संबंधित चिकित्सा स्थितियों का खतरा।हालाँकि प्रत्येक डाउन सिंड्रोम वाला व्यक्ति अपने आप में अलग है और उपरोक्त विशेषताएँ, विभिन्न स्तरों पर या फिर बिलकुल भी नहीं हो सकती हैं। एवं, यह सारे लक्षण अक्सर सामान्य व्यक्तियों में भी पाए जाते हैं।
Q2 किसी भी शिशु को डाउन सिंड्रोम होने की संभावना क्या है?
A2 डाउन सिंड्रोम सबसे सामान्य तौर पर पाई जाने वाली जेनेटिक स्थिति है। जन्म लेने वाले हर 800-1000 जीवों में एक बच्चा डाउन सिंड्रोम के साथ जन्म लेता है, इस तरह अकेले अमेरिका में ही लगभग 5 हज़ार बच्चे प्रतिवर्ष डाउन सिंड्रोम के साथ जन्म लेते हैं। आज अमेरिका में 3,50,000 से भी ज्यादा लोग डाउन सिंड्रोम से प्रभावित हैं। डाउन सिंड्रोम से प्रभावित 80 प्रतिशत बच्चों के मां की उम्र 35 वर्ष से कम हैं। हालाँकि स्त्री की उम्र बढ़ने के साथ साथ ही बच्चे को डाउन सिंड्रोम होने की संभावना भी बढ़ती जाती है। डाउन सिंड्रोम की संभावना 800 -1,100 जीवो में 1 तक हो सकती है। हाल ही में की गई गणना अनुसार यह संभावना 1000 जीवों में से १ के होने को दर्शाती है। डाउन सिंड्रोम का संबंध किसी भी संस्कृति, जातीय समूह, सामाजिक-आर्थिक स्तर, या भौगौलिक क्षेत्र से नहीं है।
Q3 डाउन सिंड्रोम की वजह क्या है?
A3 अतिरिक्त क्रोमोसोम 21 की मौजूदगी का कारण तो हम नहीं जानते, पर हम यह जरूर जानते हैं कि इस क्रोमोसोम 21 की वजह से शरीर में कुछ विशिष्ट प्रोटीनों की मात्रा बढ़ जाती हैं, और फिर इन्हीं प्रोटीन की वजह से शरीर में डाउन सिंड्रोम के लक्षण विकसित होते हैं। इस प्रक्रिया में सम्मलित होने वाले बहुत से प्रोटीनों की जानकारी हमें नहीं है, और हम यह भी नहीं जानते कि यह प्रोटीन किस तरह से डाउन सिंड्रोम का कारण बनते हैं। पर हमें यह जरूर पता है कि माँ की उम्र और बच्चे को डाउन सिंड्रोम होने की संभावना का आपसी संबंध है। अभी तक किसी भी एकमेव कारण का ना तो पहचान और ना ही निश्चय हुआ हैं। हालाँकि यह कहा जाता है कि ९५ प्रतिशत मामलों में सेल के गलत तरीके से बटने का कारण होता हैं, जिसे ‘नॉन-दीस्जंक्शन’ कहा जाता है। कुछ केसेस में यह ‘मोसैकिसम’ और ‘ट्रांसलोकेशन’ नाम के दो अन्य क्रोमोसोमल असामान्यताओं के कारण होता है। अतिरिक्त जेनेटिक सामग्री विकास के क्रम को बदल देती है और डाउन सिंड्रोम से जुड़े विशिष्ट लक्षणों के विकसित होने का कारण बनती है।
Q4 डाउन सिंड्रोम का निदान कैसे किया जाता है?
A4 बच्चे के जन्म के तुरंत बाद उसे देखकर ही डाउन सिंड्रोम का अनुमान लगाया जाता है। डाउन सिंड्रोम से जुड़े ऐसे कई शारीरिक लक्षण हैं जिससे माता-पिता या डॉक्टर बच्चे को डाउन सिंड्रोम होने का अंदाजा लगाते हैं।
इनमें से बहुत सारे लक्षण सामान्य व्यक्तियों में भी पाए जाते हैं और इसी लिए डाउन सिंड्रोम के अनुमान को सुनिश्चित करने के लिए एक क्रोमोसोम टेस्ट किया जाता है। इस टेस्ट में बच्चे का खून लेकर उसमे मौजूद क्रोमोसोम का विश्लेषण किया जाता है। इस टेस्ट के परिणाम को कार्योटाईप कहा जाता है।
Q5 कार्योटाईप क्या है?
A5 कार्योटाईप किसी भी व्यक्ति के क्रोमोसोम का वर्णन है। इस वर्णन के लिए पहले एक नमूना लिया जाता है, फिर उसमें से क्रोमोसोम को अलग कर उन्हें रेखांकित किया जाता है व उनकी तस्वीर खींची जाती है।
सेल के बँटवारे के समय क्रोमोसोम अधिक स्पष्ट दिखने पर यह तस्वीर उस समय खींची जाती है। जेनेटिक वैज्ञानिक तस्वीर में से क्रोमोसोम को काटते है व उन्हें अपने अनुरूप जोड़े से मिला कर एक पंक्ति में व्यवस्थित क्रम से लगाते है, जिससे क्रोमोसोम स्पष्ट रुप से दिखाई देते हैं। क्रोमोसोम किस प्रकार से अधोरेखित किया जाता है उस पर उसका विस्तृतता से दिखाई देना निर्भर करता हैं। परीक्षण के लिए कैरियोटाइप किसी भी व्यस्क,बच्चे या भ्रूण की कोशिका से तैयार की जा सकती है।
Q6 क्या डाउन सिंड्रोम के विभिन्न प्रकार होते हैं?
A6 डाउन सिंड्रोम हर बच्चे को भिन्न भिन्न तरीक़े से प्रभावित करता है, ठीक उसी तरह जिस तरह हर सामान्य बच्चें का विकास भी अलग अलग तरह से होता हैं। अलग-अलग क्षेत्र में हर बच्चे की अपनी अपनी शक्ति या कमज़ोरी होती है।
Q7 क्या डाउन सिंड्रोम का प्रारंभिक निदान कभी गलत भी हो सकता है?
A7 प्रारंभिक अनुमान के बाद दूसरी जांच में क्रोमोसोम का सामान्य दिखाई देने की संभावना बहुत कम हैं।
Q8 डाउन सिंड्रोम के प्रकार कौन-कौन से हैं?
A8 डाउन सिंड्रोम से प्रभावित लोगों में से लगभग 95 प्रतिशत लोगो में ट्राइसोमय 21 पाई जाती हैं जिसमें क्रोमोसोम 21 की संख्या 2 के बजाय 3 होती हैं। आम तौर पर हम सब में क्रोमोसोम के 23 जोड़े होते हैं जो हमारी जीन्स से बनते हैं। अंडे के(या शुक्राणु) निर्माण के समय महिला(या पुरुष) के क्रोमोसोम के जोड़े दो भागों में विभाजित हो जाते हैं ताकि प्रत्येक अंडे(या शुक्राणु) में एक क्रोमोसोम जाता है। ट्राईसोमी 21, या नॉन-डिस्जंक्शन, में क्रोमोसोम संख्या 21 दो भागों में विभाजित नहीं होता है और जोड़े में ही अंडे(या शुक्राणु) में चला जाता है। यह अनुमान है कि 95-97 प्रतिशत अतिरिक्त क्रोमोसोम अंडे से आते हैं। डाउन सिंड्रोम के दूसरे प्रकार को ट्रांसलोकेशन कहा जाता हैं। डाउन सिंड्रोम से प्रभावित लगभग 3 से 4 प्रतिशत लोगों में यह पाया जाता है। इसमे २१वे क्रोमोसोम का एक अतिरिक्त भाग किसी दूसरे क्रोमोसोम से जुड़ जाता है। डाउन सिंड्रोम के तीसरे प्रकार को मोसैकिसम कहते हैं। मोसैकिसम से प्रभावित लोगों में अतिरिक्त २१ वा क्रोमोसोम केवल कुछ सेलओं में ही मौजूद होता है। अन्य सेलओं में २१ वे सेल की मात्रा सामान्य होती है। यह प्रकार 1 से 2 प्रतिशत डाउन सिंड्रोम लोगों में पाया जाता है।
Q9 क्या डाउन सिंड्रोम का कोई इलाज है?
A9 डाउन सिंड्रोम का कोई इलाज नहीं है। हालांकि, शोधकर्ता इससे जुड़ी समस्याओं को कम करने व उनका इलाज करने के कई तरीकों की खोज कर रहे हैं। शोधकर्ता, चूहों पर डाउन सिंड्रोम से संबंधित बौद्धिक और विकासात्मक अक्षमता की रोकथाम के सुझावों का अनुसंधान कर रहे हैं। एक अध्ययन में यह देखा गया है कि डाउन सिंड्रोम से प्रभावित चूहों पर गर्भ में ही कुछ ख़ास रसायन का प्रयोग किये जाने पर विकास के कई सारे पड़ाव हासिल करने में उन्हें कोई देरी नहीं हुई। एक अन्य अध्ययन में यह भी देखा गया है कि डाउन सिंड्रोम से प्रभावित चूहों पर कुछ ख़ास रसायनों का प्रयोग किए जाने पर उनमें सीखने की अक्षमता काफ़ी हद तक कम हुईं।
Q10 क्या डाउन सिंड्रोम आनुवंशिक है?
A10 ज्यादातर मामलों में डाउन सिंड्रोम आनुवंशिक नहीं होता है। अंडा, स्पर्म, अथवा भ्रूण के सेल विभाजन दौरान क्रोमोसोम २१ का असामान्य रूप से विभाजन डाउन सिंड्रोम का कारण बनता है। केवल ट्रांसलोकेशन डाउन सिंड्रोम ही आनुवंशिक है। डाउन सिंड्रोम से प्रभावित लोगों में से लगभग 4 प्रतिशत बच्चों में ही ट्रांसलोकेशन पाया जाता है व इनमें सिर्फ लगभग आधे केसेस अनुवांशिक होते हैं। जब ट्रान्सलोकेशन आनुवंशिक होता है तब माता या पिता में कुछ जेनेटिक सामग्री की रचना अलग तरीके से बनी हुई है, परन्तु उनमें किसी भी प्रकार की अतिरिक्त जेनेटिक सामग्री नहीं है। उनमें डाउन सिंड्रोम के कोई भी लक्षण नहीं होते हैं परंतु वह अपने बच्चों में ट्रान्सलोकेशन वंशानुगत कर सकते है।
Q11 किसी भी बच्चे को डाउन सिंड्रोम हने की संभावना क्या है?
A11 सामान्य परिस्थितियों में डाउन सिंड्रोम होने की संभावना मां की उम्र पर निर्भर करती है। मां की उम्र 35 साल होने पर हर 350 में से 1, 25 वर्ष से कम होने पर हर 1400 में से 1 व 40 होने पर हर 100 में से एक बच्चे को डाउन सिंड्रोम होने की संभावना होती है। ट्रॉयसोमी 21 से प्रभावित बच्चे के माता-पिता की दूसरी संतान में भी डाउन सिंड्रोम होने की संभावना लगभग 100 मैं 1 होती है I यदि बच्चे को ट्रांसलोकेशन है, तब दोबारा होने की संभावना अधिकतम 100% या न्यूनतम 2% हो सकती है। डाउन सिंड्रोम के वाहक स्थिति का पता लगाने के माता-पिता को गुणसूत्र विश्लेषण (क्रोमोसोम एनालिसिस) कराना चाहिए।
Q12 डाउन सिंड्रोम से प्रभावित बच्चे के माता-पिता की दूसरी संतान को भी डाउन सिंड्रोम होने की संभावना क्या होती है?
A12 सामान्य तौर पर, 40 से कम उम्र की महिलाओं में दूसरे बच्चे को डाउन सिंड्रोम होने की संभावना 1 प्रतिशत होती है। मां की उम्र बढ़ने के साथ डाउन सिंड्रोम की संभावना भी बढ़ती हुई देखी गई है। यहाँ यह जानना भी महत्वपूर्ण है कि डाउन सिंड्रोम वाले लगभग 80 प्रतिशत बच्चों के मां की उम्र 35 से कम होती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि 35 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं के बच्चों की संख्या 35 वर्ष से ज्यादा उम्र की महिलाओं के बच्चों की तुलना में अधिक है।
आपके डाॅक्टर शायद आपको जेनेटिक काउंसलर से सलाह मशविरा करने के लिए कह सकते है जो आपके क्रोमोसोमल टेस्ट के परिणामों को विस्तार से समझाने के साथ साथ ही यह भी बता सकता है कि दोबारा गर्भधारणा करने पर डाउन सिंड्रोम का खतरा कितना हैi इसके अलावा बच्चे के जन्म से पहले ही क्रोमोसोमल समस्याओं को जाँचने के तरीक़ों के बारे में बता सकता है।
Q13 प्रीनेटल यानि गर्भावस्था के दौरान डाउन सिंड्रोम जांच की जरूरत कब होती हैं?
A13 कुछ समय पहले तक सभी गर्भवती महिलाओं, जो 35 वर्ष की उम्र पार कर चुकी है या फिर जिनकी पहली संतान डाउन सिंड्रोम के साथ जन्मी हो, उन महिलाओं को एमनियोसेंटेसिस की सलाह दी जाती थी ।परंतु अब कुछ डॉक्टर सभी गर्भवती महिलाओं को स्क्रीनिंग टेस्ट की सलाह देते हैं।
Q14 जन्म से पहले शिशु की जाँच के लिए कौन से टेस्ट किये जाते हैं?
A14 जन्म से पहले शिशु की जाँच के लिए किये जाने वाले टेस्ट्स दो तरह के होते हैं – डायग्नोस्टिक एवं स्क्रीनिंग। डायग्नोस्टिक टेस्ट में भ्रूण की सेलओं की जाँच कर के एक निश्चित निदान किया जाता हैं। स्क्रीनिंग टेस्ट डायग्नोस्टिक टेस्ट की तुलना में काफी आसान होती है जिसमें डाउन सिंड्रोम से जुड़े बहुत से लक्षणों की पहचान की जा सकती है परंतु यह टेस्ट कभी कभी उन लक्षणों को भी ढुंढ लेती है जिनका डाउन सिंड्रोम से कोई संबंध नहीं होता है। डायग्नोस्टिक जाँच द्वारा ही स्क्रीनिंग जाँच की पुष्टि की जानी चाहिए। डायग्नोस्टिक टेस्ट में एमनियोसेंटेसिस और कोरियोनिक विल्स सैम्पलिंग (CVS) जांच शामिल होती हैं। एमनियोसेंटेसिस में मां की नाभि से एक सूई उसके गर्भाशय में डाली जाती है जिसके द्वारा एमनियोटिक फ्लुएड से भ्रूण की सेल का नमूना लिया जाता है। फिर इन सेलओं को क्रोमोसोमल विश्लेषण के लिए भेजा जाता है। सुई को सुरक्षित गर्भ में पहुँचाने के लिए अल्ट्रासाउंड का उपयोग किया जाता है। आम तौर पर यह जाँच गर्भावस्था के 14 से 18वें सप्ताह में की जाती है। हालाँकि यह काफ़ी सुरक्षित है फिर भी इसमें गर्भपात की थोड़ी सी संभावना होती है।
कोरियोनिक विल्स सैम्पलिंग (CVS) में सेलओं का नमूना कोरियोनिक विलाई से लिया जाता है। कोरियोनिक विलाई भ्रूण से नहीं लिया जाता है I यह माता के गर्भ में मौजूद एक संरचना होती है जिससे भ्रूण की सेल प्राप्त की जाती है। यह जांच गर्भावस्था के 9-12 वें सप्ताह में की जाती है। इसमें भी कुछ हद तक गर्भपात की संभावना होती है।
स्क्रीनिंग टेस्ट में माता के अल्फाफिटोप्रोटीन की जाँच तथा हाल ही में ट्रिपल टेस्ट को भी शामिल किया गया है। अल्ट्रासाउंड का उपयोग आमतौर पर स्क्रीनिंग टेस्ट के रूप में नहीं किया जाता है। यह एमनियोसेंटेसिस और कोरियोनिक विलस सैंपलिंग के संयोजन में किया जाता है। शुरु में मां के अल्फाफिटो प्रोटीन की जाँच, स्पाइना बाईफिडा जैसी न्यूरल ट्यूब की कमियों को ढूंढने के लिए की जाती थी। अल्फाफिटो प्रोटीन का कम स्तर व डाउन सिंड्रोम और कुछ अन्य क्रोमोसोमल डिसॉर्डर का आपस में संबंध होता है।
एमनियोसेंटेसिस के द्वारा पुष्टि होने पर इस परीक्षण से लगभग 35 प्रतिशत परिस्थितियों में भ्रूण के डाउन सिन्ड्रोम से प्रभावित होने का पता लगाया जा सकता है। ट्रिपल टेस्ट से, मां के रक्त में ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन(hCG), मेटरनल सीरम अल्फाफिटो प्रोटीन (MSAFP) तथा अनकॉनज़ुगेटेड एसटिरियोल के स्तर को मापा जाता है। प्राप्त तीनों परिणाम को एक कंप्यूटर प्रोग्राम में संकलित कर, भ्रूण के डाउन सिंड्रोम से प्रभावित होने की संभावना का आकलन किया जाता है। अब तक के अध्ययन में यह देखा गया है कि एमनियोसेंटेसिस द्वारा सुनिश्चित होने पर 55-60 प्रतिशत केसेस में यह आकलन सही साबित होता हैं।
(Haddow, Palomaki, Knight, Williams, Pulkkinen, Canick, et al., 1992)
यदि टेस्ट पॉज़िटिव आती है तो अल्ट्रासाउंड से गर्भावस्था की नियत तारीख़ को निश्चित किया जाना चाहिए क्योंकि सभी सीरम टेस्टस् की सटीकता इस बात पर निर्भर करती है कि गर्भावस्था का कौनसा सप्ताह चल रहा हैं। यदि ट्रिपल टेस्ट का नतीजा अभी भी पॉज़िटिव आता है तब एमनियोसेंटेसिस या कोरयोनिक विलस सैम्पलिंग टेस्ट किया जाना चाहिए। यहाँ चिकित्सा संबंधी दिक्कतों के अलावा नैतिक मुद्दे भी जुड़े हुए हैं।
इस तरह के टेस्ट रिजल्ट का उपयोग मुख्यत: दो उद्देश्यों के लिए किया जाता है। इन टेस्ट परिणामों की मदद से या तो दम्पत्ती खुद को प्रसव के लिए तैयार करते हैं या फिर इससे वे यह निश्चित करते हैं कि उन्हें गर्भपात कराना है या नहीं। हालाँकि जो लोग इस तरह के ब्लड टेस्ट की सलाह देते हैं वह काउंसलिंग की भी सलाह देते हैं, किसी विशिष्ट प्रकार के परामर्श को वे संबोधित नहीं करते हैं। काउंसलिंग से दंपति को सभी प्रकार की सूचनाओं से अवगत कराया जाना चाहिए। उन्हें डाउन सिंड्रोम से प्रभावित लोगों से मिलाया जाना चाहिए या फिर ऐसे परिवारों से उनका संपर्क कराया जाना चाहिए, जिनका बच्चा डाउन सिंड्रोम से प्रभावित है।
Q15 क्या डाउन सिंड्रोम के निवारण के लिए या उसके उपचार के लिए कोई टिका उपलब्ध है?
A15 नहीं, डाउन सिन्ड्रोम की रोकथाम के लिए या उसके उपचार के लिए कोई भी टिका उपलब्ध नहीं है। हालाँकि चिकित्सा के क्षेत्र में हुई तरक़्क़ी ने डाउन सिंड्रोम से होने वाली समस्याओं के असर को काफ़ी हद तक कम कर दिया है। और कम उम्र से ही अच्छी देखभाल, चिकित्साएं, अच्छी शिक्षा तथा परिवार एवं दोस्तों का सहयोग, यह सब बातें डाउन सिंड्रोम से प्रभावित व्यक्ति को एक सफल जीवन जीने में मदद करती हैं। डाउन सिंड्रोम की रोकथाम के लिए कोई उपाय तो नहीं है पर डाउन सिंड्रोम से प्रभावित बच्चे के अभिभावकों की दूसरी संतान भी डाउन सिंड्रोम से प्रभावित हो इसकी संभावना माता की उम्र पर निर्भर 1 प्रतिशत से भी कम होती हैं। जब मां की उम्र 35 या अधिक हो या परिवार मे पहले से किसी को अनुवांशिक समस्या हो तब बच्चे का डाउन सिंड्रोम से प्रभावित होने की संभावना बढ़ जाती हैं। तब शायद माता-पिता स्क्रीनिंग और नैदानिक परीक्षण करने की चाह रख सकते हैं।
Q16 डाउन सिंड्रोम से प्रभावित व्यक्ति का जीवन काल कितना होता है?
A16 एक समय में डाउन सिंड्रोम से प्रभावित व्यक्ति का जीवन काल 25 से भी कम था पर अब डाउन सिंड्रोम की बढ़ती समझ और वैद्यकीय क्षेत्र में हुई प्रगति के कारण वर्तमान समय में, डाउन सिंड्रोम से प्रभावित व्यक्ती का जीवन काल 60 है।
Q17 डाउन सिंड्रोम के साथ जन्म लेने वाले बच्चों के जीवन में क्या समस्याएं हो सकती हैं?
A17 डाउन सिंड्रोम वाले लगभग 40-50% बच्चों में हृदय दोष होता है। कुछ दोष छोटे होते हैं जिन्हें दवाइयों से ठीक किया जा सकता है जबकि कुछ दोष में सर्जरी की आवश्यकता होती है। डाउन सिंड्रोम से प्रभावित सभी शिशुओं की जाँच शिशु हृदय रोग चिकित्सक के द्वारा की जानी चाहिए एवं शुरुआती दो महीनों में इकोकार्डियोग्राम भी कराना चाहिए, जिससे हृदय संबंधी किसी भी समस्या का उचित समय पर निदान किया जा सके।
डाउन सिंड्रोम से प्रभावित बच्चों में से लगभग 10% बच्चे आँतो की विकृति के साथ जन्म लेते हैं जिन्हें शल्य चिकित्सा/ आॅपरेशन द्वारा ठीक किया जाता है। इन बच्चों में दृष्टी एवं श्रवण संबंधी समस्याएं होने का ख़तरा होता है ।। आँखों का भेंगापन, निकट अथवा दूरदृष्टि दोष, मोतियाबिंद यह दृष्टि से संबंधित कुछ आम समस्याएं हैं। दृष्टि से संबंधित अधिकतर समस्याएं चश्मा या आॅपरेशन की मदद जैसे उपचार द्वारा ठीक की जा सकती हैं। जन्म के पहले वर्ष में ही शिशु नेत्ररोग विशेषज्ञ (एक फिजीशियन जो नेत्र संबंधी बीमारियों की जाँच तथा उपचार करता है) से मिलना चाहिए।
डाउन सिंड्रोम से प्रभावित बच्चों में, कान के मध्य भाग में कुछ द्रव जम जाने से या किसी नस के खराब होने की वजह से अथवा दोनों कारणों से श्रवण शक्ति में खराबी होती है। डाउन सिंड्रोम से प्रभावित सभी बच्चों के दृष्टि एवं श्रवण क्षमता की नियमित जाँच होनी चाहिए ताकि इससे संबंधित सभी समस्याओं का समय पर निदान हो सके और शिशु की भाषा या अन्य क्षमता के विकास पर कोई असर न पड़े।
डॉउन सिंड्रोम के साथ जन्म लेने वाले शिशुओं में थायराइड एवं ल्युकेमिया के होने का ख़तरा भी बहुत होता है। इन बच्चों को बार बार जुकाम होने की और ब्रोंकाइटिस या निमोनिया होने की भी संभावना होती है। डाउन सिंड्रोम से प्रभावित बच्चों को टीकाकरण के साथ साथ नियमित वैद्यकीय देखभाल भी मिलनी चाहिए। नैशनल डाउन सिन्ड्रोम कांग्रेस ने एक “प्रिवेंटिव मेडिसीन चेक लिस्ट” जारी की है जिसमें उम्र के विभिन्न पड़ावों पर करायी जाने वाली जांच व वैद्यकीय परिक्षणों के बारे में बताया गया है।
Q18 मेरे बच्चे में डाउन सिंड्रोम के बहुत सारे शारीरिक लक्षण नहीं हैं तो क्या इसका मतलब है कि उसमें बौद्धिक अक्षमता कम होगी?
A18 बच्चे में विशिष्ट शारीरिक लक्षण होने या न होने का व उसकी बौद्धिक अक्षमता के संयंत्र का आपस में कोई संबंध नहीं है।
Q19 डाउन सिंड्रोम के साथ जन्में व्यक्ति में कौन से विशेष लक्षण पाए जाते है?
A19 डाउन सिंड्रोम से प्रभावित सभी शिशुओं के शारीरिक लक्षण एक सरीखे नहीं होते हैं, किसी में ये लक्षण ज़्यादा होते हैं, किसी में कम।
डाउन सिंड्रोम के शारीरिक लक्षण हैं —
दुर्बल मांसपेशियां
सपाट चेहरा एवं छोटी या चपटी नाक
छोटे आकार के कान
तिरछी आँखें
जोड़ों में अतिरिक्त लचीलापन
हथेली के बीचों-बीच एक गहरी सिलवट
आँखों के आंतरिक कोने में त्वचा की एक अतिरिक्त परत
हाथ की पाँचवी उंगली में दो की जगह एक जोड़ होना
पैर की बड़ी उंगली एवं दूसरी उंगली के बीच में अतिरिक्त जगह होना
मुंह के आकार के हिसाब से बड़ी जीभ
उपरोक्त लक्षण अलग अलग बच्चों में अलग अलग स्तर पर होते हैं। डाउन सिन्ड्रोम से प्रभावित बच्चों में संक्रमण, स्वास संबंधी समस्याएं, नेत्र विकार, थायराइड, बाधित पाचन तंत्र, एवं ल्यूकेमिया होने की भी संभावना होती है। हाल में चिकित्सा विज्ञान में हुई तरक़्क़ी के कारण कई समस्याओं का निदान अब संभव है और डाउन सिंड्रोम से प्रभावित लोगों की औसत आयु अब 55 वर्ष है। डाउन सिंड्रोम से प्रभावित बच्चों का शारीरिक एवं मानसिक विकास जीवन भर होता रहता है परंतु हर व्यक्ति में इसका स्तर काफ़ी हद तक अलग अलग होता है। आम तौर पर, सामान्य बच्चों की तुलना में, इन बच्चों की प्रगति धीरे होती हैं। इन बच्चों के सुनने की क्षमता पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती हैं क्योंकि यह उनके बोलने की क्षमता को प्रभावित कर सकती है। यथा, कान में द्रव का जमा होना बोलने एवं सुनने की समस्याओं का मुख्य कारण है।
Q20 डाउन सिंड्रोम के कारण मानसिक विकलांगता किस हद तक गंभीर होती हैं?
A20 डाउन सिंड्रोम से जुड़ी हुई मानसिक विकलांगता कमतर या मध्यम स्तर से लेकर तीव्र स्तर तक हो सकती है पर ज्यादातर यह कमतर या मध्यम स्तर तक ही होती है। डाउन सिंड्रोम से प्रभावित बच्चों के मानसिक विकास का अनुमान उनके शारीरिक लक्षणों पर आधारित नहीं होता है।
Q21 डाउन सिंड्रोम पर क्या अनुसंधान हुए हैं?
A21 क्रोमोसोम विभाजन में खोट क्यों होती है इस पर शोध जारी है, इस आशा में कि एक दिन हम डाउन सिंड्रोम या अन्य परिस्थितियां जो क्रोमोसोम की संख्या या संरचना के कारण होती हैं, उसका निदान कर सके। इंप्रूव लैंग्वेज इंटरवेंशन प्रोग्राम एक ऐसा ही उदाहरण है जो कि बच्चों को आसानी से बातचीत करने में मदद करता है।
Q22 क्या डाउन सिंड्रोम के साथ जन्म लेने वाले लोगों के बच्चे होते हैं?
A22 डाउन सिंड्रोम के साथ जन्म लेने वाले पुरुषों के पिता बनने के सिर्फ़ मुट्ठी भर ही मामले अब तक दर्ज हुए हैं। डाउन सिंड्रोम वाले लोगों को व्यक्तिगत एवं यौन संबंध रखने का और शादी करने का अधिकार है। डी एस ए ऐसे बहुत से खुशनुमा दम्पती को जानता है जिसमें एक या दोनों लोग डाउन सिंड्रोम से प्रभावित हैं। डाउन सिंड्रोम से प्रभावित युवाओं को संबंध एवं लैंगिकता के क्षेत्र में शिक्षित करना महत्वपूर्ण है। दूसरे शैक्षिक क्षेत्रों की तरह ही, इस क्षेत्र में भी उन्हें उनकी उम्र के बच्चों से अतिरिक्त मदद की आवश्यकता हो सकती है। यदि दोनों अभिभावक में से कोई एक अभिभावक डाउन सिंड्रोम से प्रभावित है तो 35-50% संभावना है कि बच्चे को डाउन सिंड्रोम हो सकता है। यदि दोनों अभिभावक डाउन सिंड्रोम से प्रभावित हैं तब गर्भपात की संभावना बहुत अधिक हो सकती है। अन्य महिलाओं की तुलना में डाउन सिंड्रोम से प्रभावित महिलाओं में बच्चे का जन्म समय से पूर्व एवं सर्जरी द्वारा (सीज़ेरियन) किए जाने की संभावना अधिक होती है।
डाउन सिंड्रोम वाले से प्रभावित लोगों को बच्चे होने के बारे में सावधान और संवेदनशील सलाह की आवश्यकता होती है, क्योंकि इसमें विचार करने लायक कई मुद्दे हैं। बौद्धिक विकलांगता से प्रभावित लोगों को उपयुक्त सहायता मिलने पर वे अपने बच्चों को सफलतापूर्वक पाल सकते हैं। हालांकि, कई दंपति ज़िम्मेदारी व कठिनाईयां एवं वित्तीय कारणों से बच्चे पैदा न करने का फैसला लेते हैं।
Q23 डाउन सिंड्रोम के बारे में बात करते समय हमें किस प्रकार की भाषा का उपयोग करने से बचना चाहिए?
A23 यह आवश्यक है कि पहले हम व्यक्ति के बारे में सोचे और फिर उसके बाद विकलांगता के बारे में। जैसे उदाहरण स्वरूप “जॉन की उम्र 29 वर्ष है और उसे डाउन सिन्ड्रोम है”। उदाहरण के तौर पर “डाउन सिंड्रोम बच्चा” या “डाउन बच्चा” जैसे शब्दों का प्रयोग न करते हुए हमें कहना चाहिए — “डाउन सिंड्रोम से प्रभावित बच्चा”। कोई भी व्यक्ति डाउन सिंड्रोम से ना तो पीड़ित या उसका शिकार एवं न ही बीमार होता है। वे सिर्फ़ डाउन सिंड्रोम से प्रभावित होते है।
डाउन सिंड्रोम किसी भी व्यक्ति के जीवन का मात्र एक हिस्सा है, कभी भी ऐसे लोगों को “डाउन” कह कर संबोधित नहीं करना चाहिए। डाउन सिंड्रोम से प्रभावित सभी व्यक्ती अपने आप में अद्वितीय व्यक्तित्व के धनी होते हैं। इसलिए उन्हें हमेशा पहले एक व्यक्ति के रूप में संबोधित किया जाना चाहिए।
“मंदबुद्धि” शब्द चिकित्सीकीय रूप में स्वीकार्य है जबकि सामाजिक तौर पर “मंदता” शब्द का प्रयोग नहीं किया जाता है, क्योंकि यह शब्द अपने आप में अपमान-जनक है। “बौद्धिक विकलांगता” शब्द का प्रयोग किया जाना चाहिए। “तुम मंदबुद्धि हो” या “तुम मंद हो” ये वाक्य असंवेदनशील हैं तथा यह दर्शाता है कि बौद्धिक विकलांगता से प्रेरित लोगों की क्षमताओं पर विश्वास नहीं रखा जा रहा।
Q24 डाउन सिन्ड्रोम कैसे विकास एवं सीखने की क्षमता को प्रभावित करता है?
A24 यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि डाउन सिंड्रोम से प्रभावित लोगों में कुछ विकासात्मक अवरोध जरूर देखने को मिलते हैं। पर इनमें भी हर इंसान की तरह ख़ास प्रतिभा या गुण होते है। इन्हें भी अपनी प्रतिभा को विकसित करने के लिए बढ़ावा एवं मौक़ा मिलना चाहिए। डाउन सिंड्रोम के कारण बौद्धिक विकलांगता हो सकती है। परंतु इन कमियों को अधोरेखित न करते हुए हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि किसी भी बच्चे का जीवन किसी और बच्चे की तुलना में अधिक या काम मूल्यवान नहीं हैं।
जन्म के तुरंत बाद इन्हें प्रारंभिक हस्तक्षेप दी जानी चाहिए। इस में शारीरिक, विकासात्मक, एवं भाषा संबंधी हस्तक्षेप को शामिल किया जाना चाहिए।
कुछ बच्चे सामान्य स्कूलों मे एवं कुछ विशेष शिक्षा वाले स्कूलों में जाते हैं। कुछ बच्चों की अलग महत्वपूर्ण जरूरतें होती हैं, और उन्हें कुछ विशिष्ट शिक्षा की आवश्यकता होती है।
कुछ बच्चे हाईस्कूल पास कर आगे की पढ़ाई करते हैं। डाउन सिंड्रोम से प्रभावित कई लोग आम समुदाय में काम करने में सक्षम होते हैं परंतु कुछ को ज़्यादा संगठित वातावरण की आवश्यकता होती है।
Q25 डाउन सिंड्रोम से प्रभावित बच्चा क्या क्या कर सकता है?
A25 डाउन सिंड्रोम से प्रभावित बच्चे आमतौर पर ज्यादातर चीजें कर सकते हैं जो कोई भी युवा बच्चा कर सकता है, जैसे कि चलना, बातें करना, कपड़े पहनना एवं शौचालय का इस्तेमाल करना। हालाँकि वह यह सब काम आम बच्चों की तुलना मे थोड़ी देर से सीखते हैं। इन विकासात्मक पड़ावों को बच्चे किस उम्र तक हासिल कर पाएंगे इसकी कोई सीमा तय नहीं है। जबकि प्रारंभिक हस्तक्षेप बच्चों को अपनी क्षमताओं को बढ़ाने में मदद करती है।
Q26 क्या डाउन सिंड्रोम के साथ जन्म लेने वाले सभी बच्चों को विशेष शिक्षा वाली कक्षा में ही डालना चाहिए?
A26 डाउन सिंड्रोम से प्रभावित बच्चों को साधारण कक्षाओं में डाला जा सकता है। उन्हें किसी ख़ास कोर्स में एकीकृत किया जा सकता है, जबकि अन्य परिस्थितियों में बच्चों को सभी विषयों के लिए साधारण कक्षाओं में भी शामिल किया जा सकता है।
अब शैक्षणिक एवं सामाजिक सभी जगहों पर इन बच्चों के समावेश की माँग बढ़ी है। हाई स्कूल पास कर पोस्ट सेकेंडरी शिक्षा हासिल करने वाले डाउन सिंड्रोम से प्रभावित लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। तथा कुछ मामलों में इन लोगों के पास साधारण कोर्सेस के कॉलेज की डिग्रियां भी है।
Q27 डाउन सिंड्रोम से प्रभावित कुछ बच्चे पहले चल रहे थे परन्तु बाद में ऐसा करने में असमर्थ हैं। इसका क्या कारण हो सकता है?
A27 डाउन सिंड्रोम से प्रभावित बच्चों की मांसपेशियां दुर्बल होती हैं जिसके कारण उन्हें शारीरिक संतुलन बनाने में परेशानी होती है। यदि वे शारीरिक रूप से कम सक्रिय हैं तब ऐसी स्थिति में उनके वज़न की बढ़ने की संभावना अधिक होती है। यह सुस्ती के कारण, मासपेशियां मस्तिष्क को कम जानकारी भेज पाती है। इसके फलस्वरूप मस्तिष्क की कार्यशैली प्रभावित होती है जो की चलने के लिए आवश्यक है।
कोई भी कार्य जो मुश्किल होता है, उस का अभ्यास करने का हमारा उत्साह कम होता हैं। कम अब्यास के कारन, वे कार्य करने की हमारी क्षमता भी कम होती है। फलस्वरूप सुस्ता की अंतहीन प्रक्रिया शुरू हो जाती है। यदि हम स्वयं को उस कार्य को करने के लिए उत्साहित करें जो हमें कठिन लग रहा है तो धीरे धीरे हमारा मस्तिष्क उस कार्य को करने में कुशल हो जाता है और हम बिना किसी परेशानी के उस काम को कर पाते हैं।
Q28 मेरी किशोर बेटी जिसे डाउन सिंड्रोम है पहले मिलनसार थी। परंतु बाद में वह परिवार के अन्य बच्चों के साथ खेलना पसंद नहीं करती है। इसका क्या कारण हो सकता है? मैं उसे फिर से मिलानसार बनने हेतु कैसे प्रोत्साहित किया जा सकता हैं?
A28 उसके उम्र के साथ सामाजिक बंधन टूटने के बहुत से कारण हो सकते हैं। ऐसा हो सकता है की जो दूसरे बच्चे बोल रहे हो वह उसे समझ मे ही नहीं आ रहा हो। या किशोरावस्था से गुज़रते वक़्त बच्चे तुनक मिज़ाज हो जाते हैं। उस तरह वह भी तुनक मिज़ाज हो गयी हो।
ऐसी परिस्थिति में आपको अपने परिवार के लोगों एवं बच्चों से इस बारे में बात करनी चाहिए। किसी भी बच्चे को संबोधन स्थापित न कर पाने के लिए आरोपित ना करें बल्कि बच्चों को आप अपनी बच्ची के साथ खेलने के लिए प्रोत्साहित करें तथा उन्हें अलग अलग जिम्मेदारियां दे। इस तरह आप बच्चों को एक समूह बनाने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं जिससे वह आपकी बच्ची को अपने समूह में सम्मिलित कर उसके साथ खेले।
Q29 क्या डाउन सिंड्रोम के कारण होने वाले विकासात्मक चुनौतियों को खानपान में बदलाव से ठीक किया जा सकता है?
A29 डाउन सिंड्रोम से प्रभावित बच्चों में एक अतिरिक्त क्रोमोजोम की उपस्थिति से अधिक ऑक्सीडेटिव तनाव होता है। इस कारण बूढ़े होने की प्रक्रिया तेज हो जाती है। उम्र से पहले बूढ़े होने की प्रक्रिया को ख़ान पान से नहीं रोका जा सकता है।
फोलिक ऐसिड और जिंक की अधिकता वाले भोजन को ग्रहण करने से बार बार संक्रमण (जिसकी संभावना ऐसे बच्चों में बहुत होती ह) होने से बचा जा सकता है। इस प्रकार खानपान का असर बच्चों के रोग प्रतिरोधक क्षमता पर हो सकता है। मगर उनके विकासात्मक चुनौतियों पर ख़ान पान का कोई असर नहीं होता है।
Q30 क्या डाउन सिंड्रोम से प्रभावित बच्चों में ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसॉर्डर भी हो सकता है?
A30 हाँ, यह हो सकता है। दोनों परिस्थितियाँ एक ही बच्चे में एक साथ हो सकती हैं।
Q31 यह डाउन सिंड्रोम है या डाउन’स सिंड्रोम है? इसका उच्चारण करने का सही तरीका क्या है?
A31 बहुत सारी वैद्यकीय परिस्थितियाँ एवं बिमारियों को किसी व्यक्ति का नाम दिया गया है; इसे एपॅनिम कहते है। किसी एपॅनिम को किसी व्यक्ति के नाम के साथ जोडा जाए या नही इस बात पर वैज्ञानिक समुदाय में लंबे समय से बहस चल रही है । आप डाऊन सिंड्रोम या डाउन’स सिंड्रोम दोनो शब्द लिखे हुए देख सकते है। संयुक्त राज्य अमेरिका में “डाउन सिंड्रोम” लिखने को प्राथमिकता दी जाती है क्योंकि नाही डाॅक्टर डाऊन खुद इस सिंड्रोम से प्रभावित थे और नाही उन्होंने इसका स्वामित्व लिया था।
अस्वीकरण :इस ऑडियो को मेडिकल चिकित्सा के रूप में न ले। यह केवल आपकी जानकारी के लिए हैं।
ACKNOWLEDGEMENTS:
Special thanks to our volunteer Mrs.Geeta Vivekanand for the time and effort taken towards recording the audio series.